नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। महाराष्ट्र के गवर्नर ने राष्ट्रपति को भेजी एक रिपोर्ट में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागाने की मांग की थी। महाराष्ट्र में कोई भी पार्टी बहुमत साबित करने में सफल नही हो पाई जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
इससे पहले शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि महाराष्ट्र में भाजपा के बिना उसकी सरकार का समर्थन करने के लिए राकांपा और कांग्रेस ‘सैद्धांतिक समर्थन’ देने पर सहमत हो गयी हैं लेकिन वह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा तय समयसीमा के पहले इन दलों से समर्थन पत्र नहीं ले सकी।
राज्यपाल ने तीन दिन की और मोहलत देने के शिवसेना के अनुरोध को ठुकरा दिया था। कांग्रेस वैचारिक रूप से अपनी प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के साथ समझौते का कोई फैसला जल्दबाजी में लेती प्रतीत नहीं हुई और उसने समर्थन देने के मुद्दे पर चुनाव पूर्व की अपनी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ आगे और बातचीत करने का फैसला किया। इससे राज्य में गैर-भाजपा सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को बड़ा झटका लगा।
बाद में महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सोमवार रात को राकांपा को राजभवन में आमंत्रित किया। राकांपा राज्य में तीसरा सबसे बड़ा दल है। शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा के 288 सदस्यीय विधानसभा में 54 विधायक हैं जो भाजपा (105) और शिवसेना (56) के बाद तीसरा सबसे बड़ा दल है।