Friday, April 26, 2024
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Rajnandgaon Lok Sabha Election 2024: 'मुख्यमंत्रियों' वाली सीट पर क्या इस बार जीतेंगे पूर्व सीएम भूपेश बघेल?

Hot seats in Lok Sabha Elections 2024: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की दावेवारी के बाद राजनंदगांव लोकसभा सीट इस बार राज्य की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट हो गई है। वहीं बीजेपी ने वर्तमान सांसद संतोष पांडेय को फिर से टिकट दिया है।

Swayam Prakash Written By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: April 16, 2024 14:34 IST
Rajnandgaon seat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV राजनंदगांव सीट पर भूपेश बघेल बनाम संतोष पांडेय

छत्तीसगढ़ की राजनंदगांव लोकसभा सीट इस बार राज्य की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट हो गई है और वो इसलिए क्योंकि यहां से कांग्रेस की ओर से छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल चुनावी मैदान में उतरे हैं। तो वहीं भूपेश बघेल को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने वर्तमान सांसद संतोष पांडेय को फिर से टिकट दिया है। ऐसे में राजनंदगांव सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प और कांटे का हो गया। चलिए अब आपको छत्तीसगढ़ की राजनंदगांव लोकसभा सीट से जुड़े संपूर्ण चुनावी समीकरण के बारे में विस्तार से बताते हैं। 

कब होंगे राजनंदगांव में चुनाव

छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों पर 3 चरणों में वोटिंग होगी। इसमें पहले चरण यानी 19 अप्रैल को अतिनक्सल प्रभावित इलाका बस्तर में चुनाव होगा। वहीं दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को राजनंदगांव समेत 3 अन्य लोकसभा सीटों पर मतदान होगा।

मुख्यमंत्रियों वाली सीट है राजनंदगांव

राजनंदगांव सीट का इतिहास देखा जाए तो यहां से कई मुख्यमंत्री चुनाव लड़ चुके हैं। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले जब यह सीट मध्य प्रदेश से अलग नहीं हुई थी, तब यहां से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके मोतीलाल वोरा भी चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं राजनंदगांव से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी यहां से चुनाव लड़े हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि राजनंदगांव से मोतीलाल वोरा और डॉ रमन सिंह ने सीएम बनने के पहले चुनाव लड़ा था और भूपेश बघेल सीएम पद जाने के बाद राजनंदगांव से किस्मत आजमा रहे हैं।  

भूपेश बघेल की दावेदारी से बनी हॉट सीट

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2014 और 2019 के बीच राज्य कांग्रेस के प्रमुख रहे हैं। पाटन निर्वाचन क्षेत्र में बघेल का खासा वर्चस्व है, जहां से उन्होंने कई बार विधानसभा चुनाव जीता है। भूपेश बघेल अविभाजित मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बघेल पिछले तीन दशकों में पाटन निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक बनकर छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे हैं। पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने अपने दूर के भतीजे और भाजपा नेता विजय बघेल को 19,723 वोटों के बड़े अंतर से हराया था और एक बार फिर पाटन विधानसभा सीट से जीते थे। अब इस बार बघेल भाजपा के गढ़ राजनंदगांव में कांग्रेस का झंडा लहराने की कोशिश में हैं। हालांकि अभी तक तो राजनंदगांव भाजपा का अभेद किला रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने भूपेश बघेल को यहां से उतारकर बड़ा दांव खेला है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक गिने जाते हैं और पूर्व में राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके बघेल यहां से भाजपा के विजय रथ को रोक सकते हैं। 

बघेल अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य रहे, फिर महासचिव और फिर प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यक्रम समन्वयक भी रह चुके हैं। साल 1993 में बघेल पहली बार पाटन से विधायक बने थे और मध्य प्रदेश विधानसभा (अविभाजित) पहुंचे। इसके पहले वह 1990 से 1994 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष भी रहे और फिर 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निर्देशक भी रह चुके हैं।

संतोष पांडेय का भी कद बड़ा

संतोष पांडेय बचपन से ही राजनीतिक परिवार में पले बढ़े हैं और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बीजेपी से ही जुड़ी रही है। संतोष पांडेय के पिता स्वर्गीय शिव प्रसाद पांडे सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार मंडल अध्यक्ष रहे। उनकी मां सोना देवी पांडेय भी अविभाजित मध्य प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य थीं। इतना ही नहीं संतोष का परिवार आरएसएस (RSS) से जुड़ा रहा है।

संतोष पांडेय भाजपा के मंडल अध्यक्ष से लेकर राजनांदगांव जिला के युवा मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे हैं। संतोष बीजेपी के दो बार प्रदेश मंत्री रहे हैं और इसके अलावा वह प्रदेश महामंत्री भी रहे और कृषि उपज मंडी कवर्धा के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह बीजेपी शासन काल में खेल एवं युवा कल्याण आयोग के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद संतोष राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से 17वीं लोकसभा में सांसद बने और एक बार फिर से राजनांदगांव से बीजेपी के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं।

राजनंदगांव का इतिहास

राजनंदगांव को छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी भी कहा जाता है। यहां प्रसिद्ध राजवंशों जैसे सोमवंशी, कालचुरी और बाद में मराठाओं ने भी शासन किया था। शुरुआती दिनों में इसे नंदग्राम कहा जाता था, इसके बाद इसका नाम राजनांदगांव पड़ गया। देश की आजादी के बाद साल 1948 में राजनांदगांव को मध्य भारत, जो बाद में मध्य प्रदेश हो गया, उसके दुर्ग जिले में विलय कर दिया गया था। लेकिन बाद में 1973 में राजनांदगांव को दुर्ग जिले से अलग करके नया राजनांदगांव जिला बनाया गया। 

राजनांदगांव का सियासी नक्शा

राजनंदगांव लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभाएं आती हैं। जिसमें राजनांदगांव, खुज्जी, मोहला मानपुर, डोंगरगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल हैं। हालांकि इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस का कब्जा है तो वहीं 3 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के विधायक जीते हैं। राजनंदगांव सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, क्योंकि यह सीट बीते 5 लोकसभा चुनावों से भाजपा के ही कब्जे में रही है। राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य के 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह राजनंदगांव जिले से विधायक हैं और लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।

1999 से भाजपा के कब्जे में राजनांदगांव

साल 1999 में इसी सीट पर रमन सिंह के साथ शुरू हुआ भाजपा की जीत का सिलसिला अब तक जारी है। 2004 में भाजपा के प्रदीप गांधी जीते थे, लेकिन 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने उन्हें हरा दिया था। इसके बाद 2009 में बीजेपी के मधुसूदन यादव राजनांदगांव से सांसद बने और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह भी भाजपा के टिकट पर लड़े और सांसद बने। फिर साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से संतोष पांडे को लड़ाया और वह भी जीते। इसलिए राजनांदगांव को भाजपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन इस बार भूपेश बघेल के उतरने से यहां का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।

2019 में राजनांदगांव का चुनाव परिणाम

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के संतोष पांडेय ने 6,62,387 वोटों से जीत दर्ज की थी। वहीं कांग्रेस के भोला राम साहू को 5,50,421 वोट मिले थे और बसपा के रविता लाकड़ा को महज 17,145 वोट मिले थे।

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