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अमेरिका के राजदूत ने मल्लिकार्जुन खरगे से की मुलाकात, जानें क्या था कारण

दुनिया में जारी उथल-पुथल के माहौल के बीच अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है। आइए जानते हैं कि क्या था इस मुलाकात का कारण।

Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Published : Sep 04, 2024 6:52 IST, Updated : Sep 04, 2024 7:04 IST
अमेरिकी राजदूत और मल्लिकार्जुन खरगे की मुलाकात।- India TV Hindi
Image Source : X (@KHARGE) अमेरिकी राजदूत और मल्लिकार्जुन खरगे की मुलाकात।

भारत में नियुक्त अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है। जानकारी के मुताबिक, एरिक गार्सेटी ने मल्लिकार्जुन खरगे के नयी दिल्ली स्थित आवास पर उनसे मुलाकात की। गार्सेटी और खरगे ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने पर चर्चा की। ये मुलाकात काफी चर्चा का विषय है। आपको बता दें कि बीते दिनों एरिक गार्सेटी ने एक कार्यक्रम में बयान दिया था कि आपस में जुड़ी दुनिया में कोई भी युद्ध अब किसी से दूर नहीं है। इस बयान पर काफी बहस भी छिड़ी थी। 

 मल्लिकार्जुन खरगे ने दी जानकारी

अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा संचालित मानवीय प्रयास के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करती है। 

क्यों हुई थी मुलाकात?

बैठक के बारे में बताते हुए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारत में अमेरिका के राजदूत, एरिक गार्सेटी, राजनीतिक मामलों के मंत्री-परामर्शदाता, ग्राहम मेयर और चीफ ऑफ स्टाफ, लिसा ब्राउन से मिलकर प्रसन्नता हुई तथा दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने पर चर्चा की।

किस बयान पर हुआ था विवाद?

बीते महीने अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि संघर्ष के समय रणनीतिक स्वायत्तता लागू नहीं हो सकती है तथा भारत और अमेरिका को नियम-आधारित व्यवस्था के उल्लंघन या संप्रभु सीमाओं के उल्लंघन के समय सिद्धांतों को बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए।

भारत ने भी दिया था सख्त जवाब

भारत ने अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के रणनीतिक स्वायत्तता को लेकर दिये गये बयान के कुछ दिन बाद कहा था कि वह राजदूत के विचारों से सहमत नहीं है। भारत ने कहा था कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व देता है। अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का अधिकार है। जाहिर है, हमारे विचार अलग-अलग हैं।

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