Monday, April 22, 2024
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1000 किलो गोभी लेकर मंडी पहुंचा था किसान, रेट सुनकर हो गया दिमाग खराब, फेंक दी सारी उपज

जहानाबाद के किसान, मोहम्मद सलीम ने कहा कि उन्हें व्यापारियों द्वारा उनकी फसल के लिए प्रति किलो 1 रुपये की पेशकश की गई थी, जो उनकी उपज को एपीएमसी परिसर में लाने के परिवहन लागत से भी कम थी। उन्होंने कहा, "मेरे पास आधा एकड़ जमीन है, जहां मैंने फूलगोभी की खेती की थी और बीज, सिंचाई, उर्वरक आदि पर लगभग 8,000 रुपये खर्च किए थे। इसके अलावा, मुझे फसल, परिवहन पर 4,000 रुपये का लागत वहन करना पड़ा।"

IANS Written by: IANS
Published on: February 03, 2021 14:23 IST
farmer throws cauliflower outside apmc mandi in pilibhit 1000 किलो गोभी लेकर मंडी पहुंचा था किसान, र- India TV Hindi
Image Source : IANS 1000 किलो गोभी लेकर मंडी पहुंचा था किसान, रेट सुनकर हो गया दिमाग खराब, फेंक दी सारी उपज

पीलीभीत. कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच पीलीभीत से बड़ी खबर आई है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक किसान ने बाजार में 1 रुपये प्रति किलोग्राम भाव की पेशकश से नाराज होकर अपनी 10 क्विंटल फूलगोभी की उपज को फेंक दिया। उसने जरूरतमंदों और गरीबों को सड़क पर फेंकी गोभी को मुफ्त में ले जाने दिया। पीलीभीत में कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के परिसर में लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों द्वारा उपज के लिए दी जा रही कम कीमत को लेकर किसान परेशान था।

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जहानाबाद के किसान, मोहम्मद सलीम ने कहा कि उन्हें व्यापारियों द्वारा उनकी फसल के लिए प्रति किलो 1 रुपये की पेशकश की गई थी, जो उनकी उपज को एपीएमसी परिसर में लाने के परिवहन लागत से भी कम थी। उन्होंने कहा, "मेरे पास आधा एकड़ जमीन है, जहां मैंने फूलगोभी की खेती की थी और बीज, सिंचाई, उर्वरक आदि पर लगभग 8,000 रुपये खर्च किए थे। इसके अलावा, मुझे फसल, परिवहन पर 4,000 रुपये का लागत वहन करना पड़ा।"

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सलीम ने कहा, "वर्तमान में फूलगोभी का खुदरा मूल्य 12 से 14 रुपये प्रति किलोग्राम है और मैं अपनी उपज के लिए कम से कम 8 रुपये प्रति किलोग्राम की उम्मीद कर रहा था। जब मुझे मात्र 1 रुपये प्रति किलोग्राम की पेशकश की गई, तो मेरे पास अपने सभी फूलगोभी को फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जिससे कि इसे वापस ले जाने में आने वाले परिवहन लागत को बचा सकूं।"

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सलीम ने कहा कि उन्हें अब निजी ऋण अधिक ब्याज दर पर लेना होगा क्योंकि वाणिज्यिक बैंक गरीब किसानों को ऋण सुविधा देने को लेकर अनिच्छुक हैं। उन्होंने कहा, "नुकसान ने मेरे परिवार जिसमें एक 60 वर्षीय मां, छोटा भाई, पत्नी और दो स्कूल जाने वाले बच्चे हैं, को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है। गुजर-बसर करने के लिए मुझे और मेरे भाई को अब मजदूरी करनी होगी।"

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इस बीच, एपीएमसी सचिव विजिल बालियान ने कहा कि हम सब्जियों की खरीद मूल्य के संबंध में कोई नियम लागू नहीं कर सकते क्योंकि ये राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के तहत नहीं है। बालियान ने कहा, "सब्जियों की कीमतें आम तौर पर आपूर्ति की मात्रा से नियंत्रित होती हैं, हालांकि व्यापारियों में लाभ के प्रमुख हिस्से को अर्जित करने की प्रवृत्ति होती है।"

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