Thursday, April 25, 2024
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कोटा में बच्चों की मौत का कारण हाइपोथर्मिया, रिपोर्ट में हुआ खुलासा, जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ

राजस्थान सरकार द्वारा बच्चों की मौतों के कारण का पता लगाने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि हाइपोथर्मिया के कारण शिशुओं की मौत हुई है। जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ। 

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: January 06, 2020 13:10 IST
Hypothermia- India TV Hindi
hypothermia 

राजस्थान के कोटा स्थित जे.के.लोन सरकारी अस्पताल में एक महीने में 105 बच्चों की मौत के बाद सरकार ने जांच पैनल नियुक्त किया था। विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना) के कारण बच्चों की मौत हुई है। अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इसकी वजह हो सकती है।

राजस्थान सरकार द्वारा बच्चों की मौतों के कारण का पता लगाने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि हाइपोथर्मिया के कारण शिशुओं की मौत हुई है।

हाइपोथर्मिया एक ऐसी आपात स्थिति होती है, जब शरीर का तापमान 95 एफ (35 डिग्री सेल्सियस) से कम हो जाता है। वैसे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 एफ (37 डिग्री सेल्सियस) होता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में बच्चे सर्दी के कारण मरते रहे और यहां पर जीवन रक्षक उपकरण भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे।

नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, इसलिए उन्हें वार्मरों पर रखा गया, जहां उनका तापमान सामान्य रहता है। हालांकि अस्पताल में काम कर रहे वार्मर की कमी होती गई और बच्चों के शरीर के तापमान में भी गिरावट जारी रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 में से 22 नेबुलाइजर दुष्क्रियाशील (डिसफंक्शनल) मिले। वहीं 111 में से 81 जलसेक (इनफ्यूजन) पंप काम नहीं कर रहे थे और पैरा मॉनिटर और पल्स ऑक्सीमेटर्स के हालात भी खस्ता थे।

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जिस चीज ने मामले को बदतर बना दिया, वह थी अस्पताल में ऑक्सीजन पाइपलाइन की अनुपस्थिति, जिससे सिलेंडर की मदद से बच्चों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। रिपोर्ट में आईसीयू के हालात भी खराब बताए गए हैं।

जानें क्या है हाइपोथर्मिया?

इस रोग में किसी भी रोगी के हाथ-पैर ठंड़े पड़ने लगते है और ठीक से काम करना बंद कर देते है। इसके अलावा पेट में असहनीय दर्द होता है। इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और बुजुर्ग लोग होते है। छोटे बच्चों में कई बार शरीर में गर्मी पैदा करने की क्षमता विकसित नहीं हो जाती है। जिसके कारण जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। 

हाइपोथर्मिया रोग के लक्षण

  • शरीर का तापमान अगर 95 डिग्री से कम हो जाए या शरीर द्वारा पर्याप्त गर्मी  पैदा न होतो इस रोग का खतरा रहता है। जानें इसके लक्षण। 
  • धीमी, रुकती हुई आवाज
  • अधिक आलस्य आना
  • कदमों का लड़खड़ाना 
  • हृदयगति और सांस लेने में समस्या
  • ब्लड प्रेशर बढ़ना
  • मांसपेशियों में अकड़न
  • कंपकंपी

हाइपोथर्मिया का कारण
शराब पीने या ड्रेग्स लेने से भी ठंड़ महसूस होने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका सेवन करने से रक्त वाहिकाए फैल जाती है। जिससे शरीर गर्म होने की क्षमता तेजी से कम हो जाती है। 
अत्यधिक एंटीड्रिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक दवाओं का सेवन करना। 
मधुमेह, गठिया आदि रोग के कारण 

हाइपोथर्मिया रोग के बचाव
हाइपोथर्मिया के रोगियों को पहले गर्म कपड़े से ढककर किसी गर्म जगह पर लिटा दें। इसके बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 
इस बीमारी में सीधे गर्मी देना खतरनाक हो सकता है। इसलिए आग या फिर हीटर के सामने सीधे बैठने से बचें।
सर्दियों के मौसम में इस बीमारी के होने की आशंका सबसे अधिक होती है। इसलिए अधिक से अधिक गर्म कपड़े पहनें। 

इनपुट आईएएनएस
  

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