Sunday, December 15, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. हेल्थ
  4. खुशखबरी! अब पानी में यूरेनियम की जांच कर कैंसर से बचाएगा ये छोटा सा उपकरण

खुशखबरी! अब पानी में यूरेनियम की जांच कर कैंसर से बचाएगा ये छोटा सा उपकरण

लेजर फ्लोरीमीटर नाम का यह उपकरण पंजाब समेत देश के उन सभी राज्यों के बाशिंदों को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकता है जहां जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश घातक स्तर पर पाये जाते हैं।

Reported by: Bhasha
Published : March 23, 2018 15:44 IST
water cancer- India TV Hindi
water cancer

इंदौर: परमाणु ऊर्जा विभाग के इंदौर स्थित एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान ने पानी में यूरेनियम के अंशों का स्तर पता लगाने के लिये 15 वर्ष के सतत अनुसंधान के बाद विशेष उपकरण विकसित किया है। लेजर फ्लोरीमीटर नाम का यह उपकरण पंजाब समेत देश के उन सभी राज्यों के बाशिंदों को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकता है जहां जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश घातक स्तर पर पाये जाते हैं।

इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरसीएटी) के निदेशक पीए नाइक ने बताया, "मूल रूप से इस उपकरण के अविष्कार की परिकल्पना देश में यूरेनियम के नये भूमिगत भंडारों की खोज के लिये रची गयी थी। लेकिन पंजाब के जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश मिलने के मामले सामने आने के बाद हमने आम लोगों के स्वास्थ्य की हिफाजत के मद्देनजर इसे नये सिरे ​से विकसित कर इसका उन्नत संस्करण तैयार किया है।"

उन्होंने बताया कि इस छोटे-से उपकरण को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। किसी भी स्त्रोत से पानी का नमूना लेकर उपकरण में डाला जा सकता है। यह उपकरण फटाफट बता देता है कि पानी में यूरेनियम के अंशों का स्तर कितना है।

नाइक ने यह भी बताया कि लेजर फ्लोरीमीटर के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिये इसकी तकनीक परमाणु ऊर्जा विभाग की ही इकाई इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ​लिमिटेड (ईसीआईएल) को सौंपी गयी है।

लेजर फ्लोरीमीटर को बनाने में लगे इतने रुपए

लेजर फ्लोरीमीटर विकसित करने में अहम भूमिका निभाने वाले आरआरसीएटी के वैज्ञानिक सेंधिलराजा एस. ने बताया, "वर्ष 1996 में लेजर फ्लोरीमीटर सरीखा उपकरण 19 लाख रुपये प्रति इकाई की दर पर कनाडा से आयात किया जाता था। हमने सतत अनुसंधान के जरिये सुधार करते हुए स्वदेशी तकनीक वाला उन्नत लेजर फ्लोरीमीटर तैयार किया है। इसे बनाने में हमें महज एक लाख रुपये का खर्च आया है। बड़े पैमाने पर उत्पादन की स्थिति में इसकी कीमत और घट सकती है।"

सेंधिलराजा ने बताया कि यह उपकरण जल के नमूने में 0.1 पीपीबी (पार्ट्स-पर-बिलियन) की बेहद बारीक इकाई से लेकर 100 पीपीबी तक यूरेनियम के अंशों की जांच कर सकता है।

पानी में होना चाहिए केवल इतना यूरेनियम
गौरतलब है कि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने पेयजल में यूरेनियम के अंशों की अधिकतम स्वीकृत सीमा 60 पीपीबी तय कर रखी है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि लोगों को अपनी सेहत की हिफाजत के मद्देनजर ऐसे स्त्रोतों के पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, जिनमें यूरेनियम के अंश एईआरबी की तय सीमा से ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं।

पानी में यूरेनियम की मात्रा अधिक होने पर होगा ये कैंसर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी के सचिव और देश के वरिष्ठ कैंसर सर्जन दिग्पाल धारकर ने कहा, "यूरेनियम एक रेडियोएक्टिव तत्व है। अगर किसी जल स्त्रोत में यूरेनियम के अंश तय सीमा से ज्यादा हैं, तो इसके पानी के इस्तेमाल से थायरॉइड कैंसर, रक्त कैंसर, बोन मैरो डिप्रेशन और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इससे बच्चों को भी कैंसर होने का खतरा होता है।"

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement