Saturday, April 27, 2024
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रोजाना लें 'वियाग्रा' की छोटी सी खुराक और पाएं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से निजात

यौन समस्याओं में इस्तेमाल होने वाली दवा वियाग्रा आपको जानलेवा बीमारी से भी बचा सकती है। ये बात एक शोध में सामने आई।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 03, 2018 12:09 IST
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हेल्थ डेस्क: यौन समस्याओं में इस्तेमाल होने वाली दवा वियाग्रा आपको जानलेवा बीमारी से भी बचा सकती है। ये बात एक शोध में सामने आई। इस शोध के अनुसार दवा वियाग्रा की प्रतिदिन मामूली खुराक लेने से कोलोरेक्टल कैंसर (पाचन तंत्र के निचले भाग पर स्थित कोलन या रेक्टम का कैंसर) का जोखिम कम हो सकता है।

यह शोध अमेरिका स्थित ऑगस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा किया गया है। इन शोधकर्ताओं का कहना है कि रोजाना वियाग्रा की मामूली खुराक लेने से कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

महिलाओं को होता है सबसे ज्यादा ये कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कोलन कैंसर ज्यादा होता है। जो महिलाएं फाइबर वाले आहार कम लेती हैं उनमें कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

अनियमित, अनियंत्रित खान-पान और लाइफस्‍टाइल कोलन कैंसर होने का मुख्य कारण है।

जानिए क्या है कोलोरेक्टल
कोलोरेक्टल पाचन तंत्र के निचले भाग पर स्थित कोलन या रेक्टम का कैंसर है। ऑगस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डारेन डी ब्राउनिंग के अनुसार आंत की परत पर कोशिकाओं के गुच्छे (पॉलिप्स) बन जाते हैं। वियाग्रा उनके निर्माण को घटाकर आधे से भी कम कर देती है। ये गुच्छे कैंसर का रूप ले सकते हैं।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर में होने वाला यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। मलाशय में मौजूद अडेनोमाटोस पॉलिप्स नाम की कोशिकाएं धीरे-धीरे गुच्छे बनाने लगती हैं। हालांकि शुरुआत में यह कैंसर मुक्त होती हैं लेकिन समय के साथ इनमें से कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बन जाते हैं। आंत की परत पर कोशिकाओं के गुच्छे (पॉलिप्स) बन जाते हैं। ये गुच्छे कैंसर का रूप ले सकते हैं। पॉलिस अक्सर छोटे होतें हैं औंर शुरुआत में इनके लक्षण दिखाई नहीं देते। लगातार स्क्रीनिंग टेस्ट कराने से ही इनका पता चल पाता है।

ऐसे किया शोध
अध्ययनकर्ताओं ने यह शोध चूहों पर किया था। इस शोध के दौरान पानी में वियाग्रा डालकर चूहे में पॉलिप्स घट गए। इतना ही नहीं इसकी मामूली सी खुराक देने में इनमे मौजूद ट्यूमर की संख्या घट गई। कैंसर प्रीवेंशन रिसर्च नाम के जनरल में प्रकाशित शोध की रिपोर्ट के अनुसार इस खुलासे के बाद अब इसका ट्रायल उन लोगों पर किया जाएगा, जिन्हें कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है।

अगली स्लाइड में पढ़ें लक्षणों के बारें में

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