Friday, March 29, 2024
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भूलकर भी कैंसर के इन संकेतों को न करें इग्नोर, जानिए स्टेज और ट्रीटमेंट

कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के कारण शरीर के किसी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। कैंसर जिस अंग से शुरू होता है, वहां से दूसरे अंगों में भी फैल सकता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 11, 2018 11:17 IST
Cancer- India TV Hindi
Cancer

हेल्थ डेस्क: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के कारण शरीर के किसी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। कैंसर जिस अंग से शुरू होता है, वहां से दूसरे अंगों में भी फैल सकता है।

सबसे पहले शरीर के किसी अंग में होने वाला कैंसर प्राइमरी ट्यूमर कहलाता है। इसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाला ट्यूमर मैटास्टेटिक या सेकेंडरी कैंसर कहलाता है। मैटास्टेटिक कैंसर की कोशिकाएं भी प्राइमरी कैंसर के जैसी ही होती हैं। मैटास्टेटिक कैंसर शब्द का इस्तेमाल सोलिड यानी ठोस ट्यूमर के लिए किया जाता है, जो शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गया हो।

कैंसर की स्टेज

कैंसर की मुख्य रूप से चार अवस्थाएं होती हैं। पहली और दूसरी अवस्था में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है और आस-पास के टिश्यूज की गहराई में नहीं फैलता।

तीसरी अवस्था में कैंसर विकसित हो चुका होता है। ट्यूमर बड़ा हो चुका होता है और इसके अन्य अंगों में फैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथी अवस्था कैंसर की आखिरी या सबसे विकसित अवस्था होती है। इसमें कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है। इसे विकसित या मैटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है।

कैंसर के टाइप
भारत में कैंसर के आम प्रकार हैं- मुंह, स्तन, सर्वाइकल, फेफड़ों और प्रोस्टेट का कैंसर। शरीर के किसी भी अंग या इसके कार्यो में बदलाव दिखते ही तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अपनी जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा हर व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए, घर का बना सेहतमंद आहार लें और रोजाना हल्का व्यायाम करें। भारत में मुंह के कैंसर के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं, इसका मुख्य कारण धूम्रपान और तंबाकू है। इसलिए तंबाकू का सेवन और धूम्रपान न करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

भारत में कैंसर के 60 फीसदी मामले तीन प्रकार के होते हैं- मुंह, स्तन एवं गर्भाशय का कैंसर। हालांकि इनका निदान आसान है, लेकिन पूरा इलाज सिर्फ शुरुआती अवस्था में ही संभव है। अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है तब बहुत देर हो चुकी होती है और कैंसर अडवान्स्ड अवस्था में पहुंच चुका होता है।

नियमित जांच के द्वारा समय पर निदान किया जा सकता है। व्यक्ति को अपने शरीर के अंगों एवं कार्यो के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। अगर शरीर के अंगों या कार्यो में कोई भी बदलाव दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और आवश्यकतानुसार जांच करवानी चाहिए।

भीतरी अंगों के कैंसर का निदान अक्सर देर से होता है जैसे फेफड़े, ईसोफेगस, पैनक्रियाज, लिवर, ओवरी का कैंसर शरीर में धीरे धीरे बढ़ता है। ऐसे मामलों में आवश्यकतानुसार जांच की जाती है।

Cancer

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कैंसर फैलने का तरीका
कैंसर के फैलने के तीन तरीके हैं। डायरेक्ट एक्सटेंशन या इंवेजन, जिसमें प्राइमरी ट्यूमर आस-पास के अंगों और टिश्यूज में फैल जाता है। उदाहरण के लिए प्रोस्टेट कैंसर ब्लैडर तक पहुंच जाता है।

लिम्फेटिक सिस्टम में कैंसर की कोशिकाएं प्राइमरी ट्यूमर से टूट जाती हैं और इसके जरिए शरीर के दूसरे अंगों तक चली जाती हैं। लिम्फेटिक सिस्टम टिश्यूज और अंगों का ऐसा समूह है जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने के लिए कोशिकाएं बनाता और इन्हें स्टोर करके रखता है।

कैंसर खून से भी फैलता है। इसे हीमेटोजिनस स्प्रैड कहा जाता है, इसमें कैंसर की कोशिकाएं प्राइमरी ट्यूमर से टूट कर खून में आ जाती हैं और खून की धारा के साथ शरीर के अन्य हिस्सों तक चली जाती हैं। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर खून या लिम्फेटिक सिस्टम में मौजूद कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करती है और इन्हें नष्ट कर देती हैं। लेकिन कभी-कभी कैंसर की कोशिकाएं जीवित रह कर शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच जाती हैं और नया ट्यूमर बन लेती हैं।

कैंसर के लक्षण
जब कैंसर फैल रहा होता है, उस समय इस बात की पूरी संभावना होती है कि यह शरीर के अन्य अंगों पर असर डाले। रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैंसर कौन से हिस्से में हुआ है। कैंसर के आम लक्षण हैं वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या खून आना। यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हो सकता है कि यह कैंसर न हो लेकिन रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है।

ट्रिटमेंट
भारत में आजकल पश्चिमी देशों की तरह कैंसर के इलाज के सभी आधुनिक तरीके उपलब्ध हैं जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, हॉर्मोनल थेरेपी और टारगेट थेरेपी। मरीज के जीवित रहने की संभावना कैंसर के ग्रेड, नंबर और मैटस्टेसिस की साइट पर निर्भर करती है। हालांकि मरीज की सकारात्मक सोच भी उसे ठीक होने में मदद करती है।

अगर कैंसर का निदान समय पर हो जाए तो यह जानलेवा नहीं है अैर इसका इलाज किया जा सकता है। कैंसर का इलाज मरीज पर अच्छी तरह काम करता है अगर मरीज खुश रहे, उम्मीद बनाए रखे, उसे परिवार एवं दोस्तों का प्यार और सहयोग मिले।

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