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Holi 2019: 13 मार्च से लगे रहे है होलाष्टक, अगले 8 दिन नहीं होगा कोई भी शुभ काम

होलाष्टक 2019: इस साल होलिका दहन 21 मार्च को है। इसके साथ ही होली के त्योहार को ठीक 8 दिन बाकी हैं और  आपको बता दें कि होली के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ होते हैं। अतः आज से होलाष्टक आरंभ है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 12, 2019 16:23 IST
Holi 2019- India TV Hindi
Holi 2019

होलाष्टक 2019: इस साल होलिका दहन 21 मार्च को है। इसके साथ ही होली के त्योहार को ठीक 8 दिन बाकी हैं और  आपको बता दें कि होली के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ होते हैं। अतः आज से होलाष्टक आरंभ है।

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार होलाष्टक का अर्थ ही है – होली से आठ दिन पहले। ये होलाष्टक आज से शुरू होकर होलिका दहन तक रहेंगे। उसके बाद जिस दिन होली खेली जायेगी, उस दिन से समाप्त हो जायेंगे। यहा ध्यान देने की बात ये है कि इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।

इस दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश आदि सोलह संस्कारों को करने की मनाही है। इसके अलावा अगर होली से इसके संबंध की बात करें, तो होली से संबंधित सारी तैयारियां आज से ही शुरू हो जाती हैं। बाजार में भी आपको आज से ही होली की रौनक दिखनी शुरू हो जायेगी। होलिका दहन के लिये सूखी लकड़ियां, गोबर के उपले आदि भी आज से ही इकट्ठे करने शुरू कर दिये जाते हैं। साथ ही होलिका पूजा के लिये स्थानीय जगहों पर जो गोबर की विभिन्न आकृतियों से माला बनायी जाती है, वो सब कार्य भी आज ही के दिन किये जाते हैं।

खरमास 15 मार्च से

पंचांग के अनुसार 15 मार्च को मीन संक्रांति यानि सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। जिसके साथ गी खरमास शुरु हो जाएगा। जो कि 14 अप्रैल तक रहेगा। खरमास में कोई भी शुभ कार्य, विवाह, मुंडन या फिर गृह प्रवेश जैसा शुभ संस्कार नहीं होंगे।

होलाष्टक को इस लिए माना जाता है अशुभ
होलाष्टक को लेकर 2 पौराणिक कथाएं सामने आईं है। पौराणिक मान्‍यताएं कहती हैं कि होली से 8 दिन पूर्व अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। जिसके कारण कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।

होलाष्टक के दिन यानी फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को दैत्य राज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को बंदी बनाकर यातनाएं देना शुररु किया। उन्हें होलिका में जलाने का प्रयास किया। जिसके लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली, लेकिन इसमें खुद होलिका भस्म हो गई। जो कि रंगोत्सव के रुप में मनाया जाता है।

इसके अलावा दूसरी पौराणिक कथा है कि इस दिन महादेव ने कामदेव को भस्म कर दिया। जिससे प्रकृति पर शोक की लहर फैल गई। इसके साथ ही शुभ काम होना बंद हो गए। होली के दिन भगवान शिव से कामदेव ने वापस जीवित होने का का वरदान मांगा। जिसके बाद प्रकृति फिर से आनंदित हो गई। इसी कारण होलाष्टक से लेकर होली के बीच का समय शुभ नहीं माना जाता है।

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