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आज से शुरू हो रहा है श्री कृष्ण का प्रिय मास मार्गशीर्ष, जानें अगहन का महत्व और नियम

हिन्दी महीनों के अनुसार  मार्गशीर्ष मास साल का नौंवा महीना है, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है । इस महीने को स्वयं भगवान का स्वरूप माना जाता है 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : November 13, 2019 6:42 IST
margshirsha maah- India TV Hindi
margshirsha maah

आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि और बुधवार का दिन है । प्रतिपदा तिथि आज शाम 07 बजकर 42 मिनट तक रहेगी | हिन्दी महीनों के अनुसार ये साल का नौंवा महीना है, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है । इस महीने को स्वयं भगवान का स्वरूप माना जाता है | इतना ही नहीं आज के दिन को यानी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है । कहते हैं इसी दिन कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन मार्गशीर्ष महीने के बारे में कि इस महीने का क्या महत्व है, इस दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए।

क्यों कहते है मार्गशीर्ष मास

आचार्य इंदु प्रकाश से जानें मार्गशीर्ष माह को ‘मार्गशीर्ष’ कहते क्यों हैं। दरअसल जिस महीने की पूर्णिमा तिथि जिस नक्षत्र से युक्त होती है, उस नक्षत्र के आधार पर ही उस महीने का नामकरण किया जाता है। चूंकि इस महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिये इस माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है। इसके अलावा इसे मगसर, मंगसिर, अगहन, अग्रहायण आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पूरा मास बड़ा ही पवित्र माना गया है । साथ ही इसकी महिमा स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने गीता में बतायी है । गीता के 10वें अध्याय के 35वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है -
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्ष Sहमृतूनां कुसुमाकरः।।

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अर्थात् गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छन्दों में मैं गायत्री छन्द हूं तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसन्त मैं हूं । अतः इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की उपासना की बड़ी ही महिमा है । इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति को जीवन में हर तरह की सफलता प्राप्त होती है और वो हर तरह के संकट से बाहर निकलने में सक्षम होता है । 

माना जाता है कि सतयुग में देवों ने वर्ष का आरम्भ मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही किया था । साथ ही ऋषि कश्यप ने भी इसी महीने के दौरान कश्मीर नामक जगह की स्थापना की थी, जो कि इस समय भारत का अभिन्न अंग है । 

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मार्गशीर्ष मास के नियम

  • मार्गशीर्ष मास के दौरान स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है । विशेषकर इस महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान का महत्व है । कहते हैं मार्गशीर्ष महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान करने से भगवान सहज ही प्राप्त होते हैं । अतः जो लोग जीवन में भगवान का आशीर्वाद बनाये रखना चाहते हैं और हर संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें मार्गशीर्ष के दौरान कम से कम एक बार यमुना नदी में स्नान करने अवश्य जाना चाहिए, लेकिन जिन लोगों के लिये ऐसा करना संभव नहीं है, वो लोग घर पर ही अपने स्नान के पानी में थोड़ा-सा यमुना का जल मिलाकर स्नान कर लें | स्नान करने से पहले तुलसी की जड़ की मिट्टी का लेप अपने शरीर पर लगाएं और लेप लगाने के कुछ देर बाद स्नान करें । साथ ही स्नान के समय 'ॐ नमो भगवते नारायणाय' या गायत्री मंत्र का जप करें।
  • मार्गशीर्ष महीने के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से पवित्र होकर भगवान का ध्यान करना चाहिए और उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की मेंटल पावर बहुत अच्छी होती हैं और वो अपने फैसले ठीक ढंग से ले पाता है।
  • मार्गशीर्ष महीने के दौरान ‘विष्णु सहस्त्रनाम’, ‘गजेन्द्रमोक्ष’ और श्रीमद भागवत गीता का पाठ करना भी बड़ा ही पुण्यकारक है। आपको बता दूं कि इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश-सम्मान, सुख-सौभाग्य, सफलता, ऐश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने वाले व्यक्ति के मन में उत्साह बना रहता है और उसकी बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है, जबकि श्रीमद भागवत गीता का पाठ करना हर तरह से फलदायी है।
  • आप पूरे महीने के दौरान रोज थोड़ा-थोड़ा करके गीता का पाठ सम्पूर्ण कर सकते हैं, लेकिन जो लोग भागवत गीता का पाठ करने में असमर्थ हों, उन लोगों के लिये भी उपाय है, आप भागवत गीता के दर्शन करके उसे प्रणाम जरूर करें। जिन लोगों के घर में भागवत गीता की पुस्तक उपलब्ध नहीं है, उन्हें इस पवित्र माह के दौरान अपने घर में भागवत गीता लानी चाहिए और रोज उसे छूकर प्रणाम करना चाहिए । ऐसा करने से आपको अपने जीवन के हर उलझे पहलू को समझने में आसानी होगी। 

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