Thursday, April 25, 2024
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Paush month 2021: पौष मास के हर रविवार को ऐसे करें सूर्य की पूजा, बनी रहेगी सुख-समृद्धि

पौष महीने के दौरान सूर्य की उपासना का भी बड़ा महत्व है। जानिए कैसे करें पूजा

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: December 19, 2021 6:51 IST
Lord Sun- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM//ASTROLOGER.AMIT.HARITASH/ Lord Sun

Highlights

  • पौष महीने के दौरान सूर्य की उपासना का भी बड़ा महत्व है।
  • पौष महीने में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है, उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा गया है । पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इसलिये इस महीने को पौष के नाम से जाना जाता है । सनातन संवत के अनुसार पौष दसवां महीना है। पौष माह आज से शुरू होकर 17 जनवरी तक रहेगा। पौष महीने के दौरान सूर्य की उपासना का भी बड़ा महत्व है। 

पौष मास में भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान कहा जाता है कि पौष महीने में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। यही कारण है कि पौष महीने का भग नामक सूर्य साक्षात परब्रह्म का ही स्वरूप माना गया है। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है। 

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महीने के दौरान सूर्य धनु संक्रांति में रहता है । इसलिए इस मास को धनुर्मास भी कहते हैं । धनु संक्रांति से खरमास या मलमास भी लग जाता है । आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सूर्य की धनु संक्रांति 15 दिसंबर को थी यानी खरमास भी लग चुका है।

ज्योतिष शास्त्र में खरमास या मलमास को अच्छा नहीं माना जाता। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि कराने की मनाही होती है।

ऐसे करें सूर्य देव की पूजा

आदित्य पुराण के अनुसार पौष महीने के प्रत्येक रविवार को तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए तथा 'ऊं सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए। 

अगर संभव हो तो रविवार के दिन सूर्यदेव के निमित्त व्रत भी करना चाहिए और तिल-चावल की खिचड़ी का दान करना चाहिए। जबकि व्रत का पारण शाम के समय किसी मीठे भोजन से करना चाहिए। इस व्रत में नमक का सेवन वर्जित है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति तेजस्वी बनता है। 

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