Sunday, April 28, 2024
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Vinayaka Chaturthi 2022: वैनायकी चतुर्थी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए बड़ा ही अच्छा है। जानिए कैसे करें भगवान गणेश की पूजा।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: January 05, 2022 16:34 IST
Vinayaka Chaturthi 2022 - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/MAJHA_SIDDHIVINAYAK_OFFICIAL/ Vinayaka Chaturthi 2022 

Highlights

  • वैनायकी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान
  • वैनायकी चतुर्थी के दिन ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा

पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। वैनायकी गणेश चतुर्थी इस बार 6 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना काफी लाभकारी साबित होगा। 

बता दें कि सप्ताह के सातों दिनों का संबंध किसी न किसी देवी-देवता से है और बुधवार का संबंध भगवान गणेश से है | इसलिए गुरुवार का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए बड़ा ही अच्छा है। जानिए साल के पहले गणेश चतुर्थी के दिन कैसे करें भगवान गणेश की पूजा, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त।

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वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि 5 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 6 जनवरी दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा।

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संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के  बाद प्रसाद बांटे। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

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