Tuesday, April 23, 2024
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हनुमान जी के इस 300 साल पुराने मंदिर का निर्माण आखिर नवाब सिराजुद्दौला ने क्यों कराया था? रोचक है इसके पीछे की कहानी

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में स्थित है हनुमानजी का पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी की मौजूदगी में सिराजुद्दौला ने की थी।

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published on: January 20, 2023 17:10 IST
hanuman Garhi Mandir- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM Hanuman Garhi Mandir

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में स्थित है हनुमानजी का पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी। ये मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है। इस मंदिर के चारों तरफ साधु-संतों का निवास है। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक जगह हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी के निर्देश में सिराजुद्दौला ने की थी। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के आदेश पर आज भी हनुमान जी अयोध्या का कार्यभार संभालते हैं। लोग दूर-दूर से यहां हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। चलिए आपको बताते हैं राम नगरी अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में, जहां साक्षात हनुमान जी का वास हैं।

श्रीराम की नगरी में हनुमान जी का डंका

अयोध्या स्वयं प्रभु श्रीराम की नगरी है। यहां के कण-कण में श्रीराम बसते हैं। यहां की मिट्टी भी श्रीराम के चरणों से  पावन है। अब जहां प्रभु श्रीराम हैं, वहां उनके परम भक्त हनुमान तो होंगे ही। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के आदेश पर आज भी हनुमान जी अयोध्या का कार्यभार संभालते हैं। लोग दूर-दूर से यहां हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं

हनुमानगढ़ी है हनुमान जी का घर

अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर को हनुमान जी के घर के रूप में जाना जाता है।  ये मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था इसलिए इसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है। इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान प्रभु श्रीराम के दर्शन से पहले हनुमानजी के दर्शन करने होते हैं।

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मंदिर का इतिहास है रोचक

हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत गौरी शंकर दास के अनुसार इस मंदिर का इतिहास आज से 300 साल पुराण सिराजुद्दौला के समय का है। उस समय नवाब सिराजुद्दौला को कोई बीमारी हो गई थी। नवाब यहां पूजा अर्चना करने वाले बाबा अभयारामदासजी जी के पास आया और स्वस्थ हो गया। उसके बाद स्वामी अभयारामदासजी के निर्देश में सिराजुद्दौला ने इस मंदिर का निर्माण कराया।

 

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