नई दिल्ली। 2019 लोक सभा चुनाव से पहले किसानों के गुस्से को शांत करने के अपने प्रयासों के तहत सरकार ऐसे किसानों को ब्याज में छूट देने पर विचार कर रही है, जो अपना कृषि ऋण समय पर चुकाते हैं। सूत्रों के मुताबिक इस कदम से सरकारी खजाने पर 15,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा सरकार ने खाद्य फसलों के लिए बीमा पॉलिसी लेने पर प्रीमियम को पूरी तरह से माफ करने का प्रस्ताव किया है। बागवानी फसलों पर भी प्रीमियम को घटाया जा सकता है।
सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली पराजय के बाद कृषि क्षेत्र के संकट को दूर कर किसानों को खुश करने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक कई फसलों की बम्पर पैदावार के बावजूद किसानों को नुकसान होने से बचाने के लिए योजना बनाने हेतु पिछले कुछ दिनों में कई उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं।
तत्काल राहत पहुंचाने के लिए, एक प्रस्ताव है कि जो किसान तय समय या इससे पूर्व अपना कृषि ऋण का भुगतान करते हैं उन्हें 4 प्रतिशत ब्याज से छूट देनी चाहिए। वर्तमान में, किसानों को 3 लाख रुपए तक का छोटी अवधि का ऋण 7 प्रतिशत ब्याज दर पर मिलता है। समय पर भुगतान करने वाले किसानों को अतिरिक्त 3 प्रतिशत का फायदा दिया जाता है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपए का ऋण देने का लक्ष्य रखा है। सरकार कृषि ऋण के सामान्य मामलों में 2 प्रतिशत और समय पर भुगतान वाले मामलों में 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी का वहन करने के लिए सालाना 15,000 करोड़ रुपए खर्च करती है। सूत्रों ने बताया कि यदि कृषि ऋण के समय पर भुगतान वाले मामलों में ब्याज दर को पूरी तरह से माफ कर दिया जाता है तो सरकार पर ब्याज बोझ दोगुना होकर 30,000 करोड़ रुपए हो जाएगा।
इसके अलावा सरकार प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना को भी किसानों के लिए अधिक आकर्षक बनाने पर काम कर रही है। सरकार की योजना खाद्य फसलों पर प्रीमियम को पूरी तरह से खत्म करने और बागवानी फसलों पर प्रीमियम को कम करने की है। अप्रैल, 2016 में पेश की गई प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ फसलों के लिए प्रीमियम 2 प्रतिशत, रबि फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत है। शेष प्रीमियम केंद्र और राज्य समान रूप से वहन करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में किसान अपनी खरीफ और रबि फसलों को कवर करने के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम के रूप में लगभग 5,000 करोड़ रुपए खर्च करते हैं। यदि प्रीमियम में कटौती होती है तो किसानों का बोझ कम होगा। 2017-18 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के दौरान, 4.79 करोड़ किसानों को प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर किया गया।