नई दिल्ली। बिजली की मांग में धीरे धीरे सुधार दिखने लगा है और खपत महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गयी है। सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली खपत जुलाई के पहले सप्ताह पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले करीब 18 प्रतिशत बढ़कर 30.33 अरब यूनिट रही और कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच गई। इसका मुख्य कारण कोविड की दूसरी लहर बाद प्रतिबंधों में ढील और मॉनसून में देरी है।
विद्युत मंत्रालय के अनुसार देश में बिजली खपत पिछले वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में 25.72 अरब यूनिट थी। वही 2019 जुलाई के पहले सप्ताह में देश में बिजली खपत 26.63 अरब यूनिट दर्ज की गई थी। इसका मतलब है कि बिजली खपत सालाना आधार पर न केवल बढ़ी है बल्कि कोविड महामारी से पहले के स्तर पर भी पहुंच गई है। मंत्रालय के अनुसार जुलाई 2020 में बिजली खपत 112.14 अरब यूनिट थी। जबकि 2019 जुलाई की बिजली 116.48 अरब यूनिट थी। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई के पहले सप्ताह में बिजली की मांग और खपत में सुधार मुख्य रूप से मानसून में देरी और राज्यों द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के कारण आर्थिक गतिविधियों में सुधार के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में बिजली की मांग और खपत कोविड से पहले के स्तर पर लौट गई हैं। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में मजबूत सुधार होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के नए मामलों में गिरावट आई है। राज्यों के लॉकडाउन में ढील देने से बिजली की वाणिज्यिक और औद्योगिक मांग में जुलाई से बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। मंत्रालय के अनुसार जुलाई के पहले सप्ताह में बिजली की मांग 200.57 गीगावाट के साथ अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। नए आंकड़ों के अनुसार सात जुलाई, 2021 को देश में बिजली की खपत 450.8 करोड़ यूनिट दर्ज की गई, जो कि अब तक सबसे अधिक दैनिक बिजली खपत है।
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