नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने आज सहारा समूह को राहत देते हुए महाराष्ट्र के एंबी वैली सिटी प्रोजेक्ट में अपनी पसंद की संपत्ति के किसी भी हिस्से को 15 मई तक बेचने और इससे प्राप्त रकम सेबी-सहारा रिफंड एकाउंट में जमा करने की अनुमति प्रदान कर दी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रंजन गोगोई और एके सिकरी की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि 15 मई तक सहारा समूह अपनी संपत्ति बेचने में विफल रहा तो बंबई हाई कोर्ट के आधिकारिक परिसमापक इस संपत्ति को नीलीमी की प्रस्तावित प्रक्रिया के माध्यम से बेचेंगे।
पीठ ने आधिकारिक परिसमापक और एंबी वैली संपत्ति की देखरेख के लिए नियुक्त अदालत के रिसीवर की रिपोर्ट पर गौर किया और कहा कि सहारा समूह इसकी देखरेख शुरू करेगा। पीठ ने कहा कि अदालत का रिसीवर देखरेख की मद में धन संग्रह करेंगे और समूह यदि देखरेख का काम शुरू करता है तो यह राशि उसे देंगे। आधिकारिक परिसमापक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने एंबी वैली संपत्ति की बिक्री के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए 21 से 31 मई तक निविदा मंगाई जाएंगी और नीलामी दो जून से शुरू होगी।
कोर्ट ने सुब्रत राय और सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा कि उनके पास खुद संपत्ति बेचने के लिए 15 मई तक का समय है अन्यथा इसकी नीलामी कर दी जाएगी। कोर्ट इस मामले में अब 15 मई को आगे की सुनवाई करेगा। शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल 23 नवंबर को बंबई हाई कोर्ट के दो न्यायाधीशों को इन संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया अपनाने की छूट प्रदान करते हुए परिसमापक को निर्देश दिया था कि इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के व्यवधान की इजाजत नहीं दी जाए।
इससे पहले, कोर्ट ने नीलामी प्रक्रिया में सहारा समूह की कथित अड़ंगेबाजी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी थी कि इस तरह के कृत्य में लिप्त व्यक्ति को जेल भेजा जाएगा। न्यायालय ने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉर्प लि. को 31 अगस्त, 2012 को अपने निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया था। इस आदेश का पालन करने में विफल रहने की वजह से सुब्रत राय और दो अन्य निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को गिरफ्तार किया गया था। राय ने करीब दो साल तिहाड़ में गुजारे और इस समय वह पेरोल पर हैं।