अहमदाबाद। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कालाधन के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की दो साल की सक्रियता से विदेशों में भारतीयों द्वारा रखी अवैध कालेधन में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 देशों द्वारा शुरू की गई कार्रवाई के साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी लागू करने से भी लोगों के लिए देश विदेश में कालाधन छुपाना मुश्किल होगा। जेटली ने कहा, आज उन लोगों में घबराहट है जो देश के बाहर संपत्ति रखे हुए हैं। अगर आप 1947 से 2014 को देखें तो उस दौरान जो भी कदम उठाए गए, वह पिछले दो साल में इस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के मुकाबले नगण्य लगते हैं।
मंत्री ने कहा, हाल की रिपोर्ट बताती हैं कि देश के बाहर रखे गए धन की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आई है। जेटली ने कहा कि कालाधन के खुलासे के लिए मोहलत तथा एचएसबीसी, इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) तथा पनामा दस्तावेज खुलासे के आधार पर कार्रवाई समेत सरकार के सामूहिक प्रयासों से विदेशों में रखे गए कालाधन को वापस लाने में मदद मिली। कई लोगों पर कार्रवाई की जा रही है।
यह भी पढ़ें- बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, हमने पहले उन लोगों को एक मौका दिया जिन्होंने देश की संपत्ति विदेशों में रखा है। इसका मकसद कालाधन वापस लाना था। एचएसबीसी खातों के बारे में सूचना का आकलन किया गया और लोगों के खिलाफ अभियोजन चलाया जा रहा है। करीब 8,000 करोड़ रुपए का पता लगाया गया। उन्होंने कहा, आईसीआईजे ने बड़ा खुलासा किया जिसमें भारतीय 5,000 करोड़ रुपए विदेश में रखे पाए गए। जेटली ने कहा कि आने वाले समय में प्रौद्योगिकी प्रगति से कालाधन सृजित करना और उसे खर्च करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, एकबार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू हो जाता है, उसके बाद सभी सौदों का मिलान किया जाएगा चाहे वे वस्तुएं हों या फिर सेवाएं।
यह भी पढ़ें- Compliance Window: टैक्स चोरों को मिल सकती है और मोहलत, किस्तों में भी कर सकेंगे ब्लैकमनी को व्हाइट