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Budget 2020: बजट से पहले समझिए इन खास शब्दों का अर्थ, आसानी से समझ में आएगा बजट

आप भी जानिए बजट से जुड़ी खास शब्दावली, जिसके बाद आपको बजट समझने में आसानी होगी। 

Written by: India TV Business Desk
Published : January 24, 2020 12:47 IST
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नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्णकालिक बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणा 5 जुलाई 2019 (शनिवार) को पेश करेंगी। बजट का दूसरा नाम लेखा-जोखा भी होता है। बजट सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है अर्थात बजट में यह बताया जाता है कि सरकार के पास रुपया कहां से आया और कहां खर्च किया गया और आगे कहां खर्च किया जाएगा। सीधे और आसान शब्दों में कहें तो वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है। आप भी जानिए बजट से जुड़ी खास शब्दावली, जिसके बाद आपको बजट समझने में आसानी होगी।

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गौरतलब है कि, 5 जुलाई 2019 पेश किए बजट के दौरान में एक बड़ा परंपरागत परिवर्तन करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट दस्तावेजों को लाल बैग में न रखकर लाल कपड़े में लेकर संसद के पटल पर रखा था। परम्परा के मुताबिक, साल के इस पहले संसद सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। उस दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित कर सरकार की भावी योजनाओं का खाका पेश करेंगे।

31 जनवरी से शुरू होगा बजट सत्र

इस बार संसद का बजट सत्र दो चरणों में चलेगा। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा चरण 2 मार्च से 3 अप्रैल 2020 तक चलेगा। इस दौरान 1 फरवरी 2020 को वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट पेश किया जाएगा। बजट सत्र के बीच में करीब एक महीने का अवकाश रखा जाता है। इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों, विभागों से जुड़ी संसदीय समितियां बजट आवंटन प्रस्तावों का परीक्षण करती हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों की बैठक बुलाते हैं। 31 जनवरी को ही सरकार 2019-20 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण भी संसद में पेश करेगी।

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टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव

विश्लेषकों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में जारी नरमी को देखते हुए मोदी सरकार आम बजट 2020-2021 में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा कर सकती हैं। इस बार बजट में टैक्स स्लैब की दरों में भी परिवर्तन देखने को मिलने की उम्मीद है। वैसे तो शनिवार को शेयर बाजार बंद रहते हैं लेकिन इस बार बजट वाले दिन शनिवार को बाजार बंद नहीं रहेगा। शेयर बाजार ने इसकी पुष्टि भी कर दी है।

बजट की शब्दावली

  • डायरेक्ट टैक्स (Direct taxes): किसी भी व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है।
  • इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect taxes): इनडायरेक्ट टैक्स उत्पादित वस्तुओं और सर्विस, आयात-निर्यात होने वाले प्रोडक्ट पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि लगता है। 
  • बजट घाटा (Budgetary deficit): बजट घाटा कि स्थिति तब पैदा होती है जब खर्चे, राजस्व से अधिक हो जाती है।
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit): राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों और गैर कर्जपूंजी प्राप्तियों के जोड़ के बीच का अंतर होता है।
  • आयकर (Income tax): किसी भी व्यक्ति की आय और अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स को इनकम टैक्स कहते हैं। 
  • कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax): कॉरपोरेट टैक्स कॉरपोरेट संस्थानों या फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए सरकार को आमदनी होती है। जीएसटी आने के बाद से यह खत्‍म हो गई है।
  • उत्पाद शुल्क (Excise duties): देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाला टैक्‍स को उत्पाद टैक्स कहते हैं। एक्‍साइज ड्यूटी को भी जीएसटी में शामिल कर लिया गया है।
  • सीमा शुल्क (Customs duties): सीमा शुल्क उन वस्तुओं पर लगता है, जो देश में आयात की जाती है या फिर देश के बाहर निर्यात की जाती है।
  • सेनवैट (CENVAT): यह केंद्रीय वैल्‍यू एडेड टैक्‍स है, जो मैन्युफैक्चरर पर लगाया जाता है। इसे साल 2000-2001 में पेश किया गया था।
  • बैलेंस बजट (Balanced budget): एक केंद्रीय बजट बैलेंस बजट तब कहलाता है, जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं।
  • बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payments): देश और बांकी दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेनदेन के हिसाब को भुगतान संतुलन या बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।
  • बांड (Bond): यह कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है, जिसे कोई सरकार या कॉरपोरेशन जारी करती है ताकि पैसा जुटाया जा सकें।
  • विनिवेश (Disinvestment): सरकार द्वारा किसी पब्लिक इंस्टिट्यूट में अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्‍व जुटाने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाता है।
  • जीडीपी (GDP): जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का कुल जोड़ होता है।

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