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रूसी बम यूक्रेन पर फूटे लेकिन बरबाद हो गया यूरोप, प्रचंड महंगाई के चलते फिर बढ़ीं ब्याज दरें

यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की राह पर चलते हुए बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: May 05, 2023 9:14 IST
Europe Inflation- India TV Paisa
Photo:FILE Europe Inflation

पूर्वी यूरोप का देश यूक्रेन पर हमला तो रूस कर रहा है, लेकिन पुतिन के इन बमों का कहर यूरोप पर टूट रहा है। अमेरिका के पिछलग्गू रहे यूरोपीय देशों को युद्ध में यूक्रेन की मदद करना बहुत भारी पड़ रहा है। यहां गेहूं और अनाज जैसे जरूरी सामानों की किल्लत हो रही है, वहीं रूसी प्रतिबंधों के चलते गैस और तेल की कीमतें आसमान पर हैं। इन संकट के चलते यहां महंगाई की दर रिकॉर्ड तोड़ रही है। इससे मुकाबला करने के लिए अब एक बार फिर यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर दी है। 

यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की राह पर चलते हुए बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया। हालांकि इसे भावी नरमी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यूरोप के 20 देशों के संगठन यूरोपीय संघ के केंद्रीय बैंक के रूप में कार्यरत ईसीबी की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की। लेगार्ड ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह कदम उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर उठाया गया है लेकिन अभी दर वृद्धि पर रोक नहीं लगी है। उन्होंने कहा, ’अभी हमें काफी काम करना बाकी है।’ 

अमेरिका में भी बढ़ीं ब्याज दरें 

पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति में आई गिरावट को देखते हुए इस बार सिर्फ एक-चौथाई प्रतिशत की ही बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया। इससे पहले ईसीबी ने नीतिगत दर में छह बार 0.50-0.75 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी। इसके एक दिन पहले अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि का फैसला किया था। इसके साथ ही फेडरल रिजर्व ने दरों में वृद्धि का सिलसिला थमने का इशारा भी किया। 

यूक्रेन युद्ध के कारण चरम पर महंगाई 

यूरोपीय संघ के भीतर मुद्रास्फीति अब भी सात प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है। यूक्रेन पर रूस के हमले से उपजे हालात ने उसकी मुश्किलें बढ़ाई हैं। खासकर तेल एवं गैस कीमतें बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर देखा जा रहा है।

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