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बेहतर मानसून से किसानों के चेहरे खिले, खरीफ फसल की बंपर पैदावार की उम्मीद जगी, आया ये आंकड़ा

दलहन और तिलहन की खेती का रकबा बढ़ने से दालों व तेल की कीमत कम करने में मदद मिलेगी। इससे आम लोगों को भी राहत होगी। आपको बता दें कि देश में दाल और तेल की मांग को पूरा करने के लिए अभी महंगे आयात का भी सहारा लेना पड़ता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Jul 17, 2024 6:40 IST, Updated : Jul 17, 2024 6:40 IST
Kharif Corp- India TV Paisa
Photo:FILE खरीफ फसल

बेहतर मानसून से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। दरअसल, कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इस साल बेहतर मानसून के कारण चालू सीजन के दौरान खरीफ फसल की बुआई का कुल क्षेत्रफल 10.3 प्रतिशत बढ़कर 575 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है। पिछले वर्ष इस समय तक खरीफ की बुआई 521.25 हेक्टेयर में हुई थी, अनियमित बारिश के कारण कुछ क्षेत्र हाई एंड ड्राई (ऊंची और सूखे) हो गए थे। खरीफ फसल की बुआई का रकबा बढ़ने से इस साल बंपर पैदावार की उम्मीद बढ़ गई है। इससे किसानों की आय बढ़ने और ग्रामीण मांग में तेजी आने की उम्मीद है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है। 

दलहन की खेती का भी रकबा बढ़ा

चालू खरीफ सीजन में लगभग 62.32 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई है। जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान बोई गई 49.50 लाख हेक्टेयर से 26 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 115.08 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष लगभग 140.43 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती की गई है। दलहन और तिलहन की खेती के क्षेत्र में हुई वृद्धि एक स्वागत योग्य कदम और इसके विकास के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि दोनों वस्तुओं का उत्पादन मांग से कम हो जाता है, जिससे इसकी कीमतें बढ़ती हैं।

कीमत और आयात घटाने में मिलेगी मदद

दलहन और तिलहन की खेती का रकबा बढ़ने से दालों व तेल की कीमत कम करने में मदद मिलेगी। इससे आम लोगों को भी राहत होगी। आपको बता दें कि देश में दाल और तेल की मांग को पूरा करने के लिए अभी महंगे आयात का भी सहारा लेना पड़ता है। जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का खर्च होने के साथ ही रुपये के कमजोर होने का खतरा भी शामिल होता है। देश में पैदावार बढ़ने से न सिर्फ आयात से मुक्ति मिलेगी बल्कि सस्ती कीमत में लोगों को दाल और तेल भी मिल पाएंगे। 

इनपुट: आईएएनएस

जीकेटी/

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