वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यों के मंत्रियों के समूह यानी GoMs के सामने जीएसटी व्यवस्था में व्यापक सुधारों का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में मुख्य रूप से टैक्स दरों को सरल बनाने और कारोबारियों के अनुपालन बोझ को कम करने पर जोर दिया गया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार जीएसटी दरों को मौजूदा 5%, 12%, 18% और 28% की चार कैटेगरी से घटाकर मुख्य रूप से 5% और 18% की दो कैटेगरी में लाने की योजना बना रही है। वहीं, sin goods (जो समाज के लिए हानिकारक माने जाते हैं) पर 40% की विशेष दर लागू करने का सुझाव भी शामिल है।
इन विषयों पर हो रही चर्चा
खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री ने लगभग 20 मिनट के अपने संबोधन में इन सुधारों की जरूरत और इससे होने वाले लाभों को राज्यों के प्रतिनिधियों के सामने रखा। यह बैठक दो दिनों तक चलेगी, जिसमें रेट रेशनलाइजेशन, बीमा पर टैक्स और मुआवजा उपकर जैसे विषयों पर चर्चा की जा रही है। बीमा क्षेत्र से जुड़े GoM स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों को कम करने पर विचार कर रहा है। वहीं, मुआवजा उपकर समूह इसके भविष्य को लेकर सुझाव देगा, खासकर ऐसे समय में जब उधार चुकाने की समयसीमा खत्म हो रही है।
समस्याओं का समाधान सुझाने की जिम्मेदारी
रेट रेशनलाइजेशन GoM को टैक्स स्लैब में संशोधन, दरों की सरलता और ड्यूटी इनवर्जन जैसी समस्याओं का समाधान सुझाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह समूह 21 अगस्त को दोबारा बैठक करेगा। एक SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ये प्रस्ताव लागू होते हैं तो इससे सरकार को सालाना लगभग ₹85,000 करोड़ का राजस्व घाटा हो सकता है। अगर नई दरें 1 अक्टूबर से प्रभावी होती हैं, तो चालू वित्त वर्ष में करीब ₹45,000 करोड़ की क्षति हो सकती है।
अगली बैठक अगले महीने संभावित
इन प्रस्तावों को GoMs की मंजूरी के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखा जाएगा, जिसकी अगली बैठक अगले महीने संभावित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि दिवाली तक जीएसटी सुधार लागू किए जाएंगे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि जीएसटी लागू होने के समय औसत प्रभावी टैक्स दर 14.4% थी, जो सितंबर 2019 तक घटकर 11.6% हो गई थी। नई दरों के लागू होने से यह दर 9.5% तक आ सकती है।






































