Friday, June 20, 2025
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होम बायर्स के लिए खुशखबरी! सालों से अटके प्रोजेक्ट्स में घर मिलने का रास्ता हुआ साफ, जानें तस्वीर कैसे बदली?

घर की जबरदस्त मांग ने अटके प्रोजेक्ट बनाने का रास्ता खोला दिया है। इसका फायदा सालों से इंतजा कर रहे होम बायर्स को मिला है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : May 22, 2025 19:43 IST, Updated : May 22, 2025 19:43 IST
Stalled Projects
Photo:FILE अटके प्रोजेक्ट्स

सालों से अटके प्रोजेक्ट्स में घर मिलने का इंतजार कर रहे होम बायर्स के अच्छे दिन आ गए हैं। रियल एस्टेट में तेजी लौटने और प्रॉपर्टी की मांग में उछाल आने से अटके प्रोजेक्ट में काम शुरू हो गया है। दरअसल, नए प्रोजेक्ट के लिए लैंड की कीमत आसमान पर पहुंचने के बाद कई डेवलपर्स ने पुरानी कंपनी का टेकओवर कर उसे बनाने का रास्ता चुना है। इससे उस प्रोजेक्ट में पहले से फ्लैट बुक कराए होम बायर्स को घर मिलने का रास्ता साफ हो गया है। रियल एस्टेट की तेजी का फायदा उठाने के लिए इन दिनों कई डेवलपर्स एनसीएलटी से रिवर्स इनसॉल्वेनसी कराकर, को-डेवलपर पॉलिसी और नए मैनेजेमेंट लाकर भी स्टॉल्ड प्रोजेक्ट में जान फूंक रहे हैं। इससे 10 सालों से बंद पड़े कई प्रोजेक्ट में काम शुरू हो गया है। कई प्रोजेक्ट में पुराने होम बायर्स को फ्लैट भी हैंड ओवर ​शुरू हो गया है। 

क्यों प्रोजेक्ट का काम रुक गया था?

किसी प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं होने के पीछे असल समस्या फंड की कमी होती है। इसके कारण बहुत सारे प्रोजेक्ट का काम रुका हुआ है। क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता का मानना है कि अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फंड की कमी से कई अन्य रियल एस्टेट प्रोजेक्ट या तो अभी भी ठप है या फिर एनसीएलटी में पहुंच रही है जो सेक्टर के लिए ठीक नहीं है। सेक्टर में फिलहाल फंड के सोर्स के अलावा कई अन्य पहल की जरूरत है जिससे रुकी हुए प्रोजेक्ट को फिर से बनाना संभाव होगा। 

इन 4 मॉडल पर हो रहा अभी काम 

रुके प्रोजेक्ट को टेकओवर करना: इस मॉडल के तहत किसी रुके प्रोजेक्ट को चालू करने के लिए एक नई रियल एस्टेट कंपनी पुरानी कंपनी का अधिग्रहण करती है, जिसमें या तो 100% शेयर ट्रांसफर किया जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत रेनॉक्स ग्रुप ने निवास प्रोमोटर्स का अधिग्रहण कर लगभग एक दशक से ठप पड़ी ग्रेटर नोएडा वेस्ट की 3.30 एकड़ भूमि पर रेनॉक्स थ्राइव परियोजना की शुरुआत की है। रेनॉक्स ग्रुप के चेयरमैन शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि यह सबसे आसान तरीका है। हमने परियोजना से जुड़े सभी लंबित भुगतानों का निपटारा किया, जिसमें ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, बैंक और रेरा शामिल हैं। अब हम तेजी से प्रोजेक्ट को पूरा करने का काम कर रहे हैं। 

कंपनी में नया मैनेजमेंट आना: इस मॉडल के तहत अगर कोई प्रोजेक्ट फंड की कमी के चलते बंद हो गया था, उसे शुरू किया जा रहा है। इसके तहत पूर्व प्रोमोटर्स द्वारा की जा रही गलतियों को दूर करने के लिए नया मैनेजमेंट लाया जाता है जो फंड की कमी दूर करने के साथ दूसरे काम को पूरा करता है। इस मॉडल पर डिलिजेन्ट बिल्डर्स द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ही 2.5 एकर में फैले अंतरिक्ष वैली नाम की परियोजना का पुनः निर्माण किया जा रहा है। डिलिजेन्ट बिल्डर्स के सीओओ ले.क. अश्वनी नागपाल (रिटायर्ड) के अनुसार पुरानी कंपनी में ही नए प्रबंधन द्वारा नए स्तर से फंड की आपूर्ति करके न केवल प्राधिकरण का बकाया चुकाया बल्कि परियोजना से जुड़े पुराने आवंटियों को रिफ़ंड भी दिया गया। नई कार्य योजना से बंद पड़ी परियोजना में निर्माण कार्य पुनः प्रारंभ हुआ। इस प्रक्रिया में हमें सरकार की सकरात्मक नीतियों और अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों का साथ मिला जिसके कारण हम जल्द ही घर खरीदारों को उनका घर दे सकेंगे और परियोजना पूर्ण कर सकेगे। 

एनसीएलटी से रिवर्स इनसॉल्वेनसी: रियल एस्टेट सेक्टर में ऐसी प्रोजेक्ट बहुत सीमित है जो एनसीएलटी में जाने के बाद बन कर तैयार हो गए हैं। लेकिन ऐसे अपवाद भी है जहां प्रोमोटर द्वारा एनसीएलटी से प्रोजेक्ट न केवल वापस लाई गई बल्कि पूरा करके ओसी प्राप्त की जा चुकी है। आरजी ग्रुप द्वारा अपनी कंपनी को एनसीएलटी की प्रक्रिया से रिवर्स इनसॉल्वेनसी द्वारा वापस लाया गया और अपनी आरजी लक्जरी होम्स को पूर्ण करके ओसी प्राप्त किया गया है। आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग के अनुसार, रिवर्स इनसॉल्वेनसी के जरिए अपने प्रोजेक्ट को एनसीएलटी से वापस लाए और पूरा किया। इसमें हमे अपने घर खरीदारों के अलावा सरकारी नीतियों और वित्तीय संस्थान से भी सहयोग मिला। 

को-डेवलपर पॉलिसी: अमिताभ कांत समिति की कई सिफारिशों में से एक को-डेवलपर पॉलिसी के अन्तर्गत भी कई प्रोमोटर्स की परियोजना को किसी अन्य प्रोमोटर द्वारा पूरा कराया जा रहा है। इस मॉडल में प्राधिकरण के शर्तों के अनुरूप भूखंड का शेष बकाया व अन्य कर्जे चुकाकर नया प्रोमोटर अधूरी परियोजना में पुनर्निर्माण के अधिकार प्राप्त करता है। इस आधार पर निम्बस ग्रुप द्वारा सेक्टर 168 और हवेलिया ग्रुप द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट की परियोजना पूर्ण करने के अधिकार प्राप्त किए गए है।

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