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पाकिस्तान में भड़क सकते हैं भयंकर दंगे, जानिए IMF ने कर्ज के साथ क्यों नत्थी की ये चेतावनी

आईएमएफ ने सातवीं और आठवीं समीक्षाओं के सारांश में कहा, ‘‘खाद्य वस्तुओं और ईंधन की ऊंची कीमतें सामाजिक विरोध और अस्थिरता को भड़का सकती हैं।’’

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: September 02, 2022 18:46 IST
Pakistan- India TV Paisa
Photo:FILE Pakistan

Highlights

  • खाद्य वस्तुओं और ईंधन की ऊंची कीमतें सामाजिक विरोध और अस्थिरता को भड़का सकती हैं
  • पाकिस्तान में अगस्त माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के रिकॉर्ड 27.3 प्रतिशत पर
  • विरोध-प्रदर्शन के जोखिम के अलावा सामाजिक-राजनीतिक दबाव भी ऊंचा रहने की आशंका है

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान के छह अरब डॉलर के रुके हुए कार्यक्रम की सातवीं और आठवीं समीक्षा को मंजूरी दी थी। पाकिस्तान अभी इन पैसों से फूला नहीं समा रहा था कि आईएमएफ ने इस कर्ज के साथ पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चेतावनी भी नत्थी कर दी है। आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान में महंगाई खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। ऐसे में यहां भयंकर दंगों की आशंका भी पैदा हो गई है। 

आफत भरी महंगाई 

आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान में अगस्त माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के रिकॉर्ड 27.3 प्रतिशत पर पहुंचने और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उबाल से देश में ‘सामाजिक विरोध और अस्थिरता’ की स्थिति पैदा हो सकती है। 1975 के बाद महंगाई दर पहली बार इतनी ऊंचाई पर पहुंची है। नकदी संकट से जूझ रहे देश में यह स्थिति तब है जब खाद्य पदार्थों और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर भीषण बाढ़ के प्रभाव का अभी आकलन किया जाना बाकी है। 

पेट्रोल की महंगाई से भड़क सकती है महंगाई 

आईएमएफ ने सातवीं और आठवीं समीक्षाओं के सारांश में कहा, ‘‘खाद्य वस्तुओं और ईंधन की ऊंची कीमतें सामाजिक विरोध और अस्थिरता को भड़का सकती हैं।’’ आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान के छह अरब डॉलर के रुके हुए कार्यक्रम की सातवीं और आठवीं समीक्षा को मंजूरी दी थी। इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) को बुधवार को नकदी संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए 1.16 अरब डॉलर की जमा मिली थी। 

खतरे में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 

विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) के तहत जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गंभीर घरेलू और बाहरी वातावरण को देखते हुए परिदृश्य और कार्यक्रम कियान्वयन को लेकर जोखिम ऊंचा बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, विरोध-प्रदर्शन के जोखिम के अलावा सामाजिक-राजनीतिक दबाव भी ऊंचा रहने की आशंका है। इसका नीति और सुधार कार्यान्वयन पर भी असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति अप्रैल के मध्य से नाजुक बनी हुई है। तब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक नाटकीय अविश्वास प्रस्ताव में हटा दिया गया था। इसके बाद से विपक्षी नेता शहबाज शरीफ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

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