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भारत में ग्रीन शिपबिल्डिंग हब के तौर पर उभरने की है क्षमता, मैरीटाइम एक्सपर्ट का आकलन

भारत सरकार देश में शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर क्लस्टर स्थापित करने के लिए जापानी और कोरियाई शिपयार्ड से निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को प्रोत्साहित कर रही है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Oct 02, 2024 14:10 IST, Updated : Oct 02, 2024 14:12 IST
ग्रीन-मैरीटाइम परिसंपत्तियों की मांग 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के चरणबद्ध उन्मूलन से पहले बढ़ र- India TV Paisa
Photo:(@MAZAGONDOCKLTD/TWITTER) ग्रीन-मैरीटाइम परिसंपत्तियों की मांग 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के चरणबद्ध उन्मूलन से पहले बढ़ रही है।

भारत में ग्रीन शिपबिल्डिंग के केंद्र के रूप में उभरने की मजबूत संभावना है। भारत में सरकार वैकल्पिक ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है। एक समुद्री उद्योग विशेषज्ञ ने बुधवार को यह बात कही। नॉर्वे स्थित परीक्षण, प्रमाणन और तकनीकी सलाहकार सेवा प्रदाता DNV में क्षेत्रीय प्रबंधक दक्षिण पूर्व एशिया, प्रशांत और भारत, मैरीटाइम क्रिस्टीना सेन्ज़ डे सांता मारिया ने कहा कि भारतीय शिपयार्ड का आधुनिकीकरण और अपग्रेडेशन का काम जारी है, जबकि पुराने डॉकयार्ड को फिर से खोलने और ग्रीन शिपबिल्डिंग के लिए अधिक क्षमता जोड़ने के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है। वैश्विक मांग में तेजी देखी जा रही है।

भारत सरकार कर रही ये पहल

खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश में शिपबिल्डिंग और शिप रिपेयर क्लस्टर स्थापित करने के लिए जापानी और कोरियाई शिपयार्ड से निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को प्रोत्साहित कर रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, यह ऐसे समय में हुआ है जब एशिया में अधिकांश पारंपरिक जहाज निर्माण यार्ड पूरी तरह से बुक हो चुके हैं, जबकि ग्रीन-मैरीटाइम परिसंपत्तियों की मांग 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के चरणबद्ध उन्मूलन से पहले बढ़ रही है, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा निर्धारित किया गया है। सांता मारिया ने कहा कि जहाज मालिक भी नई पर्यावरण के अनुकूल परिसंपत्तियों में निवेश कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले यार्ड स्पेस की तलाश कर रहे हैं।

सांता मारिया के मुताबिक, DNV ने 2023 में 'भारतीय तटीय हरित शिपिंग कार्यक्रम' शीर्षक से एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें भारत की अपने समुद्री उद्योग के लिए एक स्थायी भविष्य प्रदान करने की क्षमता का अध्ययन किया गया था। मुंबई में रॉयल नॉर्वेजियन महावाणिज्य दूतावास द्वारा कमीशन किए गए इस पेपर में इस बात पर अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है कि तटीय शिपिंग भारत के कार्बन उत्सर्जन को कैसे कम कर सकती है और नॉर्वे के ग्रीन शिपिंग प्रोग्राम के सफल अनुभव के आधार पर ग्रीन शिपिंग में इसके संक्रमण को कैसे सुगम बना सकती है।

भारतीय बंदरगाह के बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन भी चल रहा

ग्रीन शिपिंग ईंधन और वैकल्पिक ईंधन तक पहुंच के साथ हाइब्रिड मॉडल पर चलने वाले सहायक जहाजों के लिए भारतीय बंदरगाह के बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन भी चल रहा है। हालांकि यह एक दीर्घकालिक ईंधन विकास योजना है जिसे आने वाले वर्षों में शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2030 तक शीर्ष 10 जहाज निर्माण देशों में शामिल होने और 2047 तक शीर्ष पांच में शामिल होने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत डीएनवी के लिए स्थिर बाजारों में से एक के रूप में उभरा है।

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