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कड़वी डोज़: 1 अप्रैल से इलाज भी महंगा, पैरासिटामॉल और एंटीसेप्टिक सहित इन 800 दवाओं की बढ़ेंगी कीमतें

अब आपको साधारण बुखार से लेकर अन्य बीमारियों के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी होगी।

India TV Paisa Desk Edited By: India TV Paisa Desk
Updated on: December 19, 2022 13:09 IST
paracetamol - India TV Paisa
Photo:FILE

paracetamol 

Highlights

  • पेट्रोल-डीजल और गैस के बाद अब आम लोगों को महंगी दवाएं खरीदनी होंगी
  • आम बीमारियों का इलाज करने वाली 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं के दाम बढ़े
  • नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सोमवार को कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की

नई दिल्ली। अप्रैल का महीना शुरू होने से पहले ही सरकार ने महंगाई की एक कड़वी डोज़ दे दी है। पेट्रोल-डीजल और गैस के बाद अब आम लोगों को महंगी दवाएं खरीदनी होंगी। आम बीमारियों का इलाज करने वाली करीब 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं के दाम में 11 प्रतिशत की भारी वृद्धि हो जाएगी। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सोमवार को कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की।

NPPA ने जिन दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं उन्हें आवश्यक दवाओं की श्रेणी में गिना जाता है। यानि कि अब आपको साधारण बुखार से लेकर अन्य बीमारियों के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। ये दवाएं नेशनल एसेंशियल लिस्ट ऑफ मेडिसिन (NLEM) में आती हैं। नेशनल एसेंशियल लिस्ट ऑफ मेडिसिन की संशोधित नीति वर्ष 2013 में लागू हुई थी। उसके बाद से जरूरी दवाओं के दामों में यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि (10.76 फीसदी की) है। 

ये दवाएं होंगी महंगी

1 अप्रैल से जिन 800 आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी उसमें एंटीबायोटिक्स, सर्दी-खांसी की दवाएं, कान-नाक और गले की दवाएं, एंटीसेप्टिक्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, दर्द और गैस की दवाएं शामिल हैं। बुखार में काम आने वाली पैरासिटामोल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज वाली एंटीबायोटिक्स एजिथ्रोमाइसिन भी इनमें शामिल है। गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड, विटामिन और मिनरल्स की कमी को दूर करने वाली दवाएं भी इसी श्रेणी में आती हैं।

थोक महंगाई बनी वजह

एनपीपीए आवश्यक श्रेणी की दवाओं के दाम में बढ़ोतरी होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर करता है। थोक महंगाई यानी होलेसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) 2020 की तुलना में 2021 में 10.76 प्रतिशत बढ़ा है। मेडिसिन की कीमतों में वृद्धि के पीछे की वजह थोक महंगाई में बढ़ोतरी बताई जा रही है। महंगाई के इन्हीं आंकड़ों के आधार पर दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की दवा कंपनियों को मंजूरी दी गई है।

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