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WhatsApp Vs SignalApp: जानिए सिक्योरिटी और प्राइवेसी के मामले में कौन है बेहतर

सबसे पॉपुलर इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatApp के अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव के बाद से यूजर दूसरे अल्टरनेटिव्स की तरफ जा रहे हैं। यूजर Signal और Telegram जैसे दूसरे प्राइवेसी फोकस्ड इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप को अपना रहे हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 09, 2021 23:21 IST
Signal App vs WhatsApp Privcay Policy  know all about- India TV Paisa
Photo:INDIA TV

Signal App vs WhatsApp Privcay Policy  know all about

नई दिल्ली। सबसे पॉपुलर इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatApp के अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव के बाद से यूजर दूसरे अल्टरनेटिव्स की तरफ जा रहे हैं। यूजर Signal और Telegram जैसे दूसरे प्राइवेसी फोकस्ड इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप को अपना रहे हैं। Signal App की डाउनलोडिंग में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। केवल भारत में ही पिछले एक सप्ताह में सिग्नल (Signal App) की डाउनलोडिंग में 36 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। Signal ऐप अपने User को Data Linked to You फीचर देता है। 

टेलीग्राम के बाद Signal App को व्हाट्सएप के सबसे बड़े विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। Signal ऐप की चर्चा सबसे ज्यादा इसकी प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर है इसलिए Signal ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से समझ लीजिए। Signal एक ऐसा ऐप है जो यूजर डेटा के नाम पर केवल लोगों से कॉन्टैक्ट नंबर लेता है। इस ऐप को दुनियाभर में जर्नलिस्ट, एक्टिविस्ट, पॉलिटिशियन्स, लॉयर्स और सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में हम आपको Signal ऐप और व्हाट्सएप के बारे में बता रहे हैं।

इस पर मालिकाना हक किसी बड़े कॉर्पोरेशन का नहीं है

एपल के एप स्टोर पर Signal एप के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक एप यूजर्स से मोबाइल नंबर के अलावा कोई भी जानकारी नहीं लेता है और इस मोबाइल नंबर से वह आपकी पहचान को उजागर नहीं करने का दावा करता है। Signal Messenger LLC, जो कि Mozilla जैसे एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन सिग्नल फाउंडेशन के अंडर काम करता है। इसे तब बनाया गया था जब Acton ने कंपनी छोड़ी और सिग्नल को 50 मिलियन डॉलर डोनेट किया। एनक्रिप्टेड टेक्स्टिंग के लिहाज से ये काफी अच्छा है। सिग्नल फाउंडेशन एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है और किसी मेजर टेक कंपनी से इसकी कोई साझेदारी नहीं है। इस ऐप का डेवलपमेंट Signal यूजर्स के डोनेशन सपोर्ट से होता है।

आपको पता रहेगा कि ऐप के अंदर क्या है?

इस ऐप का सोर्स कोड सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। ऐसे में दुनियाभर के सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स इसमें आ रही दिक्कतों को चेक कर सकते हैं। ऐसे में इसे बाकी ऐप्स की तुलना में तेजी से फिक्स किया जा सकता है। सिग्नल हर चीज को एनक्रिप्ट कर देता है। इसमें आपकी प्रोफाइल फोटो, वॉयस-वीडियो कॉल्स, अटैचमेन्ट्स, स्टिकर्स और लोकेशन पिन्स शामिल हैं। सिग्नल की प्राइवेसी पॉलिसी में यह भी शामिल है कि यदि आप सिग्नल ऐप पर किसी अन्य वेबसाइट की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो वहां सिग्नल की नहीं, बल्कि उस वेबसाइट की शर्तें लागू होंगी। सिग्नल को इस्तेमाल करने की न्यूनतम उम्र 13 साल है। यह ऐप आपके फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट को देखता है ताकि आपको बताया जा सके कि आपके कौन से कॉन्टेक्ट्स सिग्नल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Chat करते हुए नहीं ले सकते हैं स्क्रीन शॉट

Signal App आपके मैसेजेस का असुरक्षित बैकअप्स क्लाउड को नहीं भेजता है। जहां इसे गूगल और वॉट्सऐप समेत कोई भी पढ़ सकता है। जबकि, इन्हें आपके फोन में एनक्रिप्टेड डेटाबेस में स्टोर किया जाता है। साथ ही ये ऐप अपने सर्वर में आपके कॉन्टैक्ट्स तक नहीं रखता है और ये आपको आपके फ्रेंड्स मैच कराने के लिए दूसरी प्राइवेसी फ्रेंडली मेथड का इस्तेमाल करता है। इसकी दूसरी खासियत ये है कि Signal ऐप अपने User को Data Linked to You फीचर देता है। इस फीचर को इनेबल करने के बाद कोई भी चैटिंग के दौरान उस चैट का स्क्रीनशॉट नहीं ले सकता। यह प्रक्रिया एक मैसेज को सबसे अधिक सुरक्षित रखने की संतुष्टि देती है। पिछले दिनों जब सुशांत केस में  फिल्मी हस्तियों की चैट वायरल हुई थी तो भी यह मुद्दा बड़े पैमाने पर उठा था कि आखिर कैसे किसी की Chat वायरल हो सकती है? तब लोगों ने सवाल उठाए थे कि क्या End to End encrypted की बात सिर्फ WhatsApp का दिखावा भर है।

सर्वर पर स्टोर नहीं होता डाटा

Signal ऐप का एक सबसे पुराना और यूजफुल फीचर वो है, जिससे आप मैसेज डिसअपीयर कर सकते हैं। ये फीचर हाल ही में वॉट्सऐप में आया है। यूजर्स इसके लिए 10 सेकेंड से लेकर एक हफ्ते तक का टाइमर सेट कर सकते हैं। इससे पुराना कोई भी अपने आप वैनिश हो जाएगा। साथ ही वन-टाइम व्यूएबल मीडिया और मैसेजिंग रिक्वेस्ट्स जैसे कई फीचर्स वॉट्सऐप में नहीं मिलते हैं। सिग्नल ऐप का दावा है कि आपकी चैटिंग का एक भी हिस्सा अपने सर्वर पर स्टोर नहीं करती है। आपकी चैटिंग हिस्ट्री आपके फोन में ही रहती है और यदि आपका फोन खो जाता है या खराब हो जाता है तो आपकी चैटिंग हिस्ट्री भी खत्म हो जाएगी। सिग्नल ऐप में बैकअप की कोई सुविधा नहीं है। कंपनी के दावे के मुताबिक कॉलिंग और मैसेजिंग पूरी तरह से एंड टू एंड एंक्रिप्टेड है। सीधे शब्दों में कहें तो जैसे आप व्हाट्सएप को दूसरे फोन में इंस्टॉल करने पर बैकअप ले लेते हैं, वैसा बैकअप आपको सिग्नल में नहीं मिलता है। 

Signal App कौन-कौन सा एक्सेस लेता है?

गूगल प्ले-स्टोर एप पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सिग्नल आपके मैसेज का एक्सेस लेता है जिसमें मैसेज पढ़ने से लेकर मैसेज भेजने और उसे एडिट करना भी शामिल हैं। इसके अलावा कॉलिंग, कैलेंडर, फोन के मॉडल, लोकेशन, फोटो-मीडिया फाइल, कैमरा, माइक्रोफोन, स्टोरेज, वाई-फाई और इंटरनेट कनेक्शन का भी एक्सेस सिग्नल एप लेता है। सिग्नल के साथ सबसे अच्छी बात यह है वह किसी अन्य कंपनी के साथ आपका डाटा शेयर नहीं करता है। इसका जिक्र कंपनी की प्राइवेसी पॉलिसी में कहीं भी नहीं है।

WhatsApp vs SignalApp

बात करें तो WhatsApp और SignalApp एक ही बाप की दो औलादें हैं। फेसबुक के हाथों बिकने के बाद WhatsApp के Co-Founder ब्रायन एक्टन ने Signal Founadation बनाया। फेसबुक मैसेजर की तरह ये भी एक इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप है। फिलहाल इसे दुनिया का सबसे सिक्योर App माना जा रहा है। बता दें कि गूगल प्ले-स्टोर से अभी तक सिग्नल एप को एक करोड़ से अधिक लोगों ने डाउनलोड कर लिया है।

WhatsApp की प्राइवेसी पॉलिसी और भारत: क्या है प्रावधान

भारत में Data को लेकर सुरक्षा वैसे ही निचले स्तर पर है। यहां Data Protection को लेकर कानून बनने की प्रक्रिया चरण में है। ऐसे में WhatsApp की नई पॉलिसी भारतीयों के लिहाज से खतरनाक ही है। भारत में कंपनियां, वेबसाइट्स आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत खुद को सुरक्षित मानती हैं। क्योंकि कानूनी लिहाज से उन्हें कई तरह की छूट मिली हैं।

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