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खुदरा जमाकर्ताओं को बैंक जमा पर नुकसान, करों की समीक्षा जरूरी: एसबीआई अर्थशास्त्री

रिजर्व बैंक ने संकेत दिये हैं कि लिक्विडिटी के ऊपरी स्तरों पर रहने की वजह से जमा पर ब्याज दरों के फिलहाल बढ़ने की संभावना नहीं है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 21, 2021 16:10 IST
'बैंक जमा पर करों की...- India TV Paisa
Photo:PTI

'बैंक जमा पर करों की समीक्षा जरूरी'

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि खुदरा जमाकर्ताओं को बैंकों में जमा अपने पैसे पर मिलने वाले ब्याज में नुकसान हो रहा है और इसलिए उन्हें मिलने वाले ब्याज आय पर करों की समीक्षा करने की जरूरत है। सौम्य कांति घोष के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों द्वारा लिखे एक नोट में कहा गया कि अगर सभी जमाकर्ताओं के लिए संभव न हो तो कम से कम वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जमा की जाने वाली राशि के लिए करों की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसी ब्याज पर निर्भर करते हैं। 

उन्होंने कहा कि पूरी बैंकिंग व्यवस्था में कुल मिलाकर 102 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। वर्तमान में, बैंक सभी जमाकर्ताओं के लिए 40,000 रुपये से अधिक की ब्याज आय देते समय टीडीएस काटते हैं, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय 50,000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक होने पर कर निर्धारित किया जाता है। चूंकि इस समय मुख्य चिंता वृद्धि दर की है इसलिए प्रणाली में ब्याज दरें नीचे जा रही हैं जिससे जमाकर्ता प्रभावित हो रहे हैं। नोट में कहा गया, "स्पष्ट रूप से, बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज की वास्तविक दर एक बड़ी अवधि के लिए नकारात्मक रही है और रिजर्व बैंक ने यह पूरी तरह साफ कर दिया है कि प्राथमिक लक्ष्य वृद्धि में मदद करना है, भरपूर लिक्विडिटी बने रहने के चलते कम बैंकिंग ब्याज दर के निकट भविष्य में बढ़ने की संभावना नहीं है।" 

अर्थशास्त्रियों ने कहा, "हमारा मानना ​​है कि यह सही समय है जब हम बैंकों में जमा राशि पर ब्याज के कराधान को लेकर पुनर्विचार करें या कम से कम वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा को बढ़ाएं।" इसमें यह भी कहा गया कि प्रणाली में काफी लिक्विडिटी होने के चलते इस समय बैंकों पर मुनाफे को लेकर काफी दबाव है। इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि इस समय बैंक खुदरा ऋण के लिए न्यूनतम सात प्रतिशत से कम पर उधार दे रहे हैं और सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वह अच्छी साख वाले कॉरपोरेट लेनदारों को उधार देने को तरजीह देते हैं जहां ऋण दर काफी प्रतिस्पर्धी हैं। 

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