Thursday, December 11, 2025
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RBI ने 4 NBFCs का रजिस्ट्रेशन किया कैंसिल, 4 अन्य ने सरेंडर किए सर्टिफिकेट

आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA (6) के तहत आरबीआई को मिली शक्तियों के अनुसार यह एक्शन लिया गया है। आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना के कारण भी इन पर कार्रवाई हुई है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Dec 11, 2025 11:42 pm IST, Updated : Dec 11, 2025 11:49 pm IST
आरबीआई ने गुरुवार को कोऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, पारलखेमुंडी, ओडिशा पर ₹13,000 का जुर्माना भी लगाय- India TV Paisa
Photo:PTI आरबीआई ने गुरुवार को कोऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, पारलखेमुंडी, ओडिशा पर ₹13,000 का जुर्माना भी लगाया।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ से संबंधित चार नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, इन कंपनियों में पश्चिम बंगाल स्थित गेम इन्वेस्टमेंट्स & ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, विस्टार फाइनेंशियल्स और अम्बिका बार्टर प्राइवेट लिमिटेड, और चंडीगढ़ स्थित श्री लक्षवी फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड शामिल हैं, जैसा कि आरबीआई के बयान में कहा गया।

इन एनबीएफसी ने सरेंडर किए सर्टिफिकेट

यह कार्रवाई आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA (6) के तहत आरबीआई को प्राप्त शक्तियों के अनुसार की गई है। इसके अतिरिक्त, चार अन्य एनबीएफसी ने अपने प्रमाणपत्र सौंप दिए हैं। इनमें Yg Capital Limited शामिल है, जिसने नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के कारोबार से बाहर होने के कारण अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लौटाया। Intell Invofin India Private Limited ने अनरजिस्टर्ड कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी के रूप में निर्धारित मापदंडों को पूरा न करने के कारण अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र वापस किया।

गंगोत्री कमोडिटीज़ एंड फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड और पर्किन डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपने प्रमाणपत्र सौंपे क्योंकि संबंधित एनबीएफसी एक कानूनी इकाई के रूप में अस्तित्व में नहीं रही, यह या तो विलय/विलय/विघटन/स्वेच्छिक स्ट्राइक-ऑफ के कारण हुआ है।

₹13,000 का जुर्माना भी लगाया

आरबीआई ने गुरुवार को कोऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, पारलखेमुंडी, ओडिशा पर ₹13,000 का जुर्माना भी लगाया। यह कार्रवाई आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना के कारण की गई है, क्योंकि इस बैंक ने बिना पूर्व स्वीकृति के पूंजीगत व्यय किया था और अपने ग्राहकों का क्रेडिट जानकारी चारों क्रेडिट सूचना कंपनियों को जमा करने में विफल रहा था, जैसा कि आधिकारिक बयान में कहा गया है। बता दें, आरबीआई, समय-समय पर एनबीएफसी और को-ऑपरेटिव बैंकों की समीक्षा करता है और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी करता है। 

रिज़र्व बैंक ने 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी इंजेक्ट की

रिज़र्व बैंक ने OMO के जरिए 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी इंजेक्ट कीरिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने गुरुवार को ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के तहत सरकारी सिक्योरिटीज की खरीदारी की, जिससे सिस्टम में 50,000 करोड़ रुपये की नई लिक्विडिटी डाली गई।RBI के बयान के अनुसार, 50,000 करोड़ रुपये की नोटिफाइड राशि के मुकाबले बाजार से कुल 1,11,615 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुईं, यानी ओवर-सब्सक्रिप्शन लगभग 2.23 गुना रहा। इससे बाजार में मौजूद अतिरिक्त लिक्विडिटी की भारी मांग स्पष्ट हुई।यह इस महीने की पहली OMO खरीद ऑक्शन थी।

आपको बता दें कि दिसंबर की शुरुआत में ही RBI ने दो चरणों में कुल 1 लाख करोड़ रुपये की OMO खरीद की घोषणा की थी — पहला चरण 11 दिसंबर (आज) और दूसरा चरण 18 दिसंबर 2025 को, प्रत्येक में 50,000 करोड़ रुपये।OMO खरीद का सीधा मतलब है कि केंद्रीय बैंक खुले बाजार से बैंकों और अन्य संस्थानों से सरकारी बॉन्ड खरीदकर उनके हाथ में नकदी डालता है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ती है और ब्याज दरों पर दबाव कम होता है।आज की सफल बोली से साफ है कि बाजार को अभी और लिक्विडिटी की जरूरत है। अब सभी की नजरें 18 दिसंबर के अगले ऑक्शन पर टिकी हैं।

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