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खरीदने जा रहे हैं बिल्‍डर से प्‍लॉट या जमीन, हमेशा रखें इन 10 बातों का ख्‍याल

इंडिया टीवी पैसा की टीम आज अपने रीडर्स को बिल्‍डर प्‍लॉट खरीदारी से जुड़ी ऐसी ही 10 बातें बताने जा रही है, जिन्‍हें याद रखना आपके लिए बेहद जरूरी है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: August 21, 2016 17:57 IST
नई दिल्‍ली। शहरों में मकान बनाने योग्‍य जमीन कम बची है, इसलिए ज्‍यादातर लोग अपने आशियाने के लिए इंडिविजुअल या बिल्‍डर फ्लैट का चयन करते हैं। लेकिन वे लोग जो माचिस की डिब्‍बी सरीके दिखने वाले फ्लैट में रहकर उकता गए हैं, या फिर खुली जगह पर स्‍वतंत्र मकान चाहते हैं वे अपने लिए प्‍लॉट का ही चयन करते हैं। फ्लैट के मुकाबले कम कीमत होने और निर्माण की स्‍वतंत्रता के चलते कई मायनों में प्‍लॉट की खरीदारी ही बेहतर मानी जाती हैं। इसी लिए कई बिल्‍डर्स शहर से 20 से लेकर 50 किमी. के दायरे में प्‍लॉट का विकल्‍प भी पेश कर रहे हैं। लेकिन फ्लैट की बजाए अपना प्‍लॉट होना जितना आरामदेय है, जमीन खरीदना उतना ही कठिन होता है। क्‍योंकि प्‍लॉट के साथ कई जोखिम जुड़े होते हैं। जिन्‍हें खरीद से पहले आपको जान लेना बहुत जरूरी होता है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज अपने रीडर्स को प्‍लॉट खरीदारी से जुड़ी ऐसी ही 10 बातें बताने जा रही है, जिन्‍हें याद रखना आपके लिए बेहद जरूरी है।

जमीन का मालिकाना हक

जमीन खरीदते समय सबसे पहले जमीन के मालिक के बारे में पता करना बेहद जरूरी है। यदि आप किसी बिल्‍डर्स कॉलोनी में जमीन खरीद रहे हैं तो इस बात को कंफर्म कर लें कि जमीन की खरीद और बिक्री का अधिकार बिल्‍डर के पास है कि नहीं। पता करें कि जमीन का मौजूदा मालिक कौन है। अधिकतर मामलों में बिल्‍डर या तो अपने नाम पर पूरी जमीन खरीद लेते हैं या फिर जमीन के मालिक के साथ जमीन के डेवलपमेंट और बिक्री के लिए जॉइंट एग्रीमेंट कर लेते हैं। दोनों ही बातों में खास अंतर नहीं है, लेकिन फिर भी आप सौदे से पहले सारी बातें सुनिश्चित कर लें।

क्‍या बिल्‍डर ने इस प्रोजेक्‍ट के लिए लोन लिया है?

अक्‍सर बिल्‍डर प्‍लॉट स्कीम के लिए बैंक से लोन लेते हैं। इससे पता चलता है कि बिल्‍डर इस प्रोजेक्‍ट को लेकिर कितना संजीदा है। प्‍लॉट की खरीदारी के लिए यह एक सकारात्‍मक संकेत है। क्‍योंकि इस स्थिति में बिल्‍डर प्रोजेक्‍ट के डेवलपमेंट के लिए सिर्फ खरीदारों से मिली एडवांस राशि पर ही निर्भर नहीं है। बैंक लोन से पता चलता है कि प्‍लॉट डेवलपमेंट के लिए निश्चित राशि का प्रावधान किया गया है और यहां पैसे की किल्‍लत होने की संभावना भी कम ही है। वहीं बैंक लोन होने से आपकी निश्चिंतता भी बढ़ जाती है, क्‍योंकि बैंक लोन देने से पहले कागजों की ठीक प्रकार पड़ताल करते हैं। ऐसे में फ्रॉड की संभावना कम ही रहती हैं।

जमीन गैर कृषि योग्‍य होनी चाहिए

भारत एक कृषि प्रधान देश है, ऐसे में यहां ज्‍यादातर जमीन कृषि कार्य के लिए ही है। ऐसे में यदि जमीन का इस्‍तेमाल गैर कृषि कार्य के लिए होना है तो इसके लिए लैंड यूज में परिवर्तन होना जरूरी है। रियल एस्‍टेट की भाषा में इसे NA(नॉन एग्रीकल्‍चर) स्‍टेटस भी कहा जाता है। लेकिन सिर्फ NA स्‍टेटस पा लेने से ही आप जमीन पर मकान बनाने के अधिकारी नहीं हो जाते। NA स्‍टेटस विभिन्‍न कार्यों के लिए दिया जाता है, जैसे NA कॉमर्शियल, NA वेयरहाउस, NA रिसॉर्ट, NA आईटी। सिर्फ NA रेजिडेंशियल के तहत बिल्‍डर को मकान बनाने के लिए प्‍लॉटिंग का अधिकार मिलता है। ऐसे में सिर्फ NA स्‍टेटस नहीं बल्कि लैंड यूज के कागजों की भी पड़ताल जरूर करें। यदि कोई सेल्‍स पर्सन जल्‍द ही लैंड यूज चेंज होने के नाम पर प्‍लॉट बेचता है, तो सावधान रहें। क्‍योंकि यह काफी लंबी प्रक्रिया है और इसमें महीने नहीं बल्कि साल लग जाते हैं।

प्‍लॉट के लिए FSI क्‍या है

सिर्फ जमीन खरीदने भर से आप उस पर मकान बनाने के अधिकारी नहीं बन जाते हैं। मकान कैसा होगा यह आपके प्‍लॉट की FSI ( फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स) तय करती है। साधारण शब्‍दों में समझने के लिए मान लें आपका प्‍लॉट 2000 स्‍क्‍वायर फीट का है, तो आप कितनी जमीन पर मकान बना सकते हैं। 100 फीसदी FSI का मतलब है कि आप पूरी जमीन पर मकान बना सकते हैं। लेकिन यदि FSI 75 फीसदी है तो आपके पास सिर्फ 1500 स्‍क्‍वायर फुट में मकान बनाने का अधिकार है।

बिल्‍डर के दूसरे प्रोजेक्‍ट के बारे में करें पड़ताल

बिल्‍डर के काम करने के तरीके और प्रोजेक्‍ट की विश्‍वसनीयता उसके पिछले प्रोजेक्‍ट से पता चल जाती है। ऐसे में हमेशा सेल्‍स पर्सन से बिल्‍डर के पुराने प्रोजेक्‍ट की जानकारी लें। देख लें क्‍या बिल्‍डर ने इससे पहले भी इसी प्रकार के प्रोजेक्‍ट पर काम किया है। प्रोजेक्‍ट की क्‍वालिटी कैसी थी, क्‍या इस प्रोजेक्‍ट में भी कुछ कानूनी अड़चनें पेश आई थीं। और सबसे अंत में यह भी पता कर लें कि पुराने प्रोजेक्‍ट के ग्राहक बिल्‍डर से संतुष्‍ट हैं कि नहीं।

कब होगा जमीन का सौदा

आपने अक्‍सर एग्रीमेंट टू सेल का नाम सुना होगा। यह तब होता है जब आप 35 से 40 फीसदी के शुरुआती भुगतान के साथ फ्लैट बुक कर देते हैं। इस समय आप रजिस्‍ट्रेशन चार्ज और स्‍टांप ड्यूटी का भुगतान कर देते हैं। अधिकतर ग्राहक मानते हैं कि सिर्फ एग्रीमेंट टू सेल भर से ही वह प्‍लॉट उनके नाम हो गया है और वे कानूनी रूप से सुरक्षित हैं, तो वे सरासर गलत हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। आप एग्रीमेंट टू सेल से जमीन के मालिक नहीं बनते। यह सिर्फ बायर और सेलर के बीच प्रारंभिक करार मात्र है। इसमें वे नियम व शर्तें होती हैं जिनके आधार पर डीलिंग पूरी होगी। जमीन वास्‍तव में आपके नाम पर होने के लिए सेल डीड का सब रजिस्‍ट्रार के दफ्तर में रजिस्‍टर्ड होना जरूरी है। ऐसे में सौदे के वक्‍त जान लें कि सिर्फ एग्रीमेंट टू सेल नहीं बल्कि सेल डीड कब होगी।

क्‍या भूमि अभिलेख में आपका नाम दर्ज होगा

देश के कई राज्‍यों में भूमि अभिलेख 7/12 का प्रचलन है। इस अभिलेख में पिछले 20 वर्षों में जमीन के मालिकों का नाम दर्ज होते हैं। इसकी मदद से आप इस बात की पूरी ताकीत कर सकते हैं कि पिछले तीन दशक में जमीन का मालिकाना हक किस किस के पास रहा है। इससे आप यह भी पता कर सकते हैं कि सौदा वास्‍तविक है कि नहीं।

जमीन का वार्षिक मेंटेनेंस चार्ज क्‍या होगा

जिस प्रकार आप हाउसिंग सोसाइटी में एनुअल मेंटेनेंस चार्ज चुकाते हैं, उसी प्रकार बिल्‍डर भी प्‍लॉट की जमीन के मेंटेनेंस जैसे सिक्‍योरिटी, आधारभूत सुविधाओं, गार्डन, पानी आदि के लिए निर्धारित राशि चार्ज करते हैं। इसकी पड़ताल पहले ही कर लें, ऐसा न हो कि बाद में ये चार्ज आपको चौंका दें। सामान्‍यतया मेंटेनेंस चार्ज प्‍लॉट की साइज के आधार पर वार्षिक अंतरात पर वसूला जाता है।

जमीन समतल भूमि पर है या ढलान पर

भारत के पठारी भागों में जमीन ऊबड़खाबड़ या असमतल होना आम बात है। ऐसे में यह मान लेना सही नहीं है कि जमीन सिर्फ समतल जमीन पर होगी। अक्‍सर बिल्‍डर जमीने के बड़े टुकड़े खरीदते हैं, जहां जमीन के ऊंची नीची होने की संभावनाएं भी रहती है। यदि आप का प्‍लाट ढलान पर है तो आपको अपने घर समतल बनाने के लिए ज्‍यादा राशि खर्च करनी पड़ेगी।

पानी, बिजली और अन्‍य सुविधाएं

आप यदि मकान बनाने जा रहे हैं तो वहां पर बिजली और पानी जैसी बेसिक जरूरतें पूरी होना जरूरी है। ऐसे में प्‍लॉट लेते वक्‍त यह पता कर लें कि यहां पर पानी की सप्‍लाई कौन करेगा। सीवेज का क्‍या इंतजाम है। यहां पानी म्‍युनिसिपिलटी से मिलेगा या पंचायत से। या फिर इसके लिए अलग इंतजाम है। बिजली की बात करें तो क्‍या सभी प्‍लांट को इंडिविजुअल बिजली मीटर मिलेंगे। इसका चार्ज क्‍या होगा। यदि प्‍लॉट मेन रोड से दूर है तो एक्‍सेस रोड कौन बनाएगा।

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