
परंपरागत तौर पर देखें तो एक भारतीय निवेशक सामान्य तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन फिनटेक उन्हें नए निवेश की तरफ भी मोड़ रहा है। जैसे म्यूचुअल फंड हाई रिटर्न और अधिक कंट्रोल प्रदान करते हैं। एक व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) म्यूचुअल फंड में धीरे-धीरे निवेश करने की परमिशन देती है और यह आज एक लोकप्रिय विकल्प है। एक आम मुद्दा यह तय करना है कि कौन सा विकल्प उनके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के साथ बेहतर ढंग से मेल खाता है।
एफडी क्या है
एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के साथ एकमुश्त निवेश है। इसमें आप 7 दिनों से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं। बैंक या एनबीएफसी एक तय ब्याज दर का भुगतान करता है, जो आपके द्वारा अकाउंट ओपनिंग पर निर्धारित होती है। एफडी में यह ब्याज दर गारंटीड है और बाजार दरों में बदलाव होने पर भी इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। अगर आप कम से कम 5 साल के लिए टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो आपको टैक्स बेनिफिट मिल सकता है, जिससे एफडी के फायदे बढ़ जाते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट का मुख्य मकसद पूंजी को सुरक्षित रखते हुए उसपर रिटर्न पाना है।
SIP क्या है
एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, एक व्यवस्थित निवेश की एक विधि है जो आपको डेट या इक्विटी म्यूचुअल फंड में नियमित, निश्चित निवेश करने की सुविधा देती है। SIP निवेश उन लोगों के लिए एकदम सही है जो शेयर बाजार में नए हैं और जो एकमुश्त निवेश एक बार में नहीं करना चाहते हैं। एसआईपी टारगेट ओरिएंटेड निवेश हैं। वे निवेशकों को अनुशासित और समय पर बचत की आदत डेवलप करने में मदद करते हैं। अगर आप एक साल या उससे अधिक समय के लिए एसआईपी में हर महीने पैसे लगाते हैं, तो आपको अपने योगदान पर टैक्स बेनिफिट भी मिलता है।
किसमें निवेश करने में है ज्यादा समझदारी
यहां सबसे पहले यह समझ लें कि एफडी निवेश के साधन हैं जबकि एसआईपी एक निवेश प्रक्रिया है। एसआईपी बराबर भागों में और नियमित अंतराल पर किया जाने वाला निवेश। टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस के मुताबिक, इन दोनों की तुलना करना थोड़ा अनुचित हो सकता है। लेकिन यह एक फैक्ट है कि कई लोग एसआईपी को म्यूचुअल फंड से जोड़ते हैं और इस शब्द का इस्तेमाल लगभग एक दूसरे के लिए करते हैं। एफडी और एसआईपी दोनों की अपनी अनूठी विशेषताएं और लाभ हैं। आप अपनी निवेश जरूरतों के मुताबिक, सबसे अच्छा विकल्प चुन सकते हैं। आप निम्न बातों पर गौर करते हुए निवेश को लेकर खुद फैसला कर सकते हैं:
- अगर आप एक रूढ़िवादी निवेशक हैं जो अपनी मेहनत की कमाई को जोखिम में डालना पसंद नहीं करते हैं यानी आप रिस्क लेना नहीं चाहते हैं, तो आप एफडी का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन अगर आप आक्रामक निवेशक हैं यानी आप हाई रिटर्न चाहते हैं और अपने निवेश पर मीडियम से हाई रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं, तो आप एसआईपी का ऑप्शन चुन सकते हैं।
- अगर आप एकमुश्त पैसे निवेश करना चाहते हैं, तो आप एफडी में निवेश कर सकते हैं। अगर आप नियमित अंतराल पर छोटी-छोटी रकम निवेश करना चाहते हैं और बड़ी रकम निवेश नहीं करना चाहते हैं, तो आप एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।
- अगर आपके निवेश का मकसद पूंजी संरक्षण है और आप हाई रिटर्न की उम्मीद नहीं करते हैं, तो आपके लिए एफडी एक बेहतर निवेश ऑप्शन हो सकता है। अगर आप टारगेट ओरिएंटेड निवेश करना चाहते हैं, ताकि हाई रिटर्न मिल सके तो आपके लिए एसआईपी एक बेहतर निवेश विकल्प है।
- अगर आपके मन में निवेश को लेकर कोई निश्चित समयसीमा है, तो आप फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा निवेश कर सकते हैं। अगर आप निवेश की अवधि के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं और आपका निवेश उचित रिटर्न दे रहा हो, तो आप किसी भी समय पैसे निकालना चाहते हैं, तो आप एसआईपी के साथ आगे बढ़ सकते हैं।