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SIP vs RD: किसमें पैसे लगाने में है ज्यादा समझदारी? निवेश से पहले यहां करें अपना कॉन्सेप्ट क्लियर

आरडी निश्चित ब्याज दरें प्रदान करता है जो आम तौर पर 5% से 9% के बीच होती हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए थोड़ी अधिक दरें होती हैं। ये दरें पूरी अवधि के लिए लॉक होती हैं। जबकि एसआईपी में रिटर्न की गारंटी नहीं होती है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Sep 26, 2024 7:54 IST, Updated : Sep 26, 2024 8:09 IST
आरडी को निश्चित ब्याज दर की गारंटी के चलते कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है।- India TV Paisa
Photo:INDIA TV आरडी को निश्चित ब्याज दर की गारंटी के चलते कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है।

जब निवेश की बात आती है तो रिटर्न और पैसे की सेफ्टी का ख्याल सबसे पहले आता है। निवेश के यूं तो कई साधन हैं, लेकिन हम यहां एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) और आरडी (रेकरिंग डिपोजिट) की बात कर रहे हैं। सवाल यहां यह है कि अगर इन दोनों विकल्पों में से कोई एक चुनना हो तो आखिर किसे चुना जाए। किसमें पैसे लगाने का फैसला समझदारी भरा होगा। यह एक अहम बात है। आइए, हम यहां एसआईपी और आरडी के बीच के अंतर को समझते हैं और इनकी अपनी-अपनी उपलब्धियां क्या हैं, इस पर चर्चा करते हैं।

एसआईपी क्या है?

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी SIP, एक निवेश विकल्प है जो व्यक्तियों को म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करने की अनुमति देता है। इसमें मासिक या तिमाही आधार पर बाजार में पैसा निवेश करना शामिल है। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आवर्ती जमा की तरह काम करते हैं, जहां एक निश्चित राशि नियमित रूप से समय के साथ निवेश की जाती है।

आरडी क्या है?

आवर्ती जमा या आरडी, बैंकों द्वारा पेश किया जाने वाला एक वित्तीय साधन है जो व्यक्तियों को एक निश्चित अवधि के लिए नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि जमा करने की अनुमति देता है। आरडी को एक सुरक्षित निवेश योजना माना जाता है, जो अल्पकालिक निवेश के अवसरों की तलाश करने वाले व्यक्तियों के लिए आदर्श है।

आरडी या एसआईपी: कौन है बेहतर?

निवेश के प्रकार: निवेशक नियमित अंतराल पर (मासिक, तिमाही या छमाही) एक निश्चित राशि आरडी से जुड़े बैंक खाते में जमा करते हैं। जबकि एसआईपी में निवेशक पूर्व निर्धारित अंतराल (साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक) पर म्यूचुअल फंड योजना में निवेश करते हैं। निवेश की गई राशि मौजूदा नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर चुने गए फंड की यूनिट खरीदती है।

रिटर्न: आरडी निश्चित ब्याज दरें प्रदान करता है जो आम तौर पर 5% से 9% के बीच होती हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए थोड़ी अधिक दरें होती हैं। ये दरें पूरी अवधि के लिए लॉक होती हैं। जबकि एसआईपी में रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। चुने गए म्यूचुअल फंड प्रकार (इक्विटी या डेट) और पूरे बाजार प्रदर्शन के आधार पर इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है। वैसे रिटर्न पर नजर डालें तो इक्विटी एसआईपी ने पिछले 5-10 सालों में 12% से 22% के बीच रिटर्न दिया है।

अवधि: आरडी में 6 महीने से लेकर 10 साल तक की निश्चित परिपक्वता अवधि (मेच्योरिटी पीरियड) प्रदान करता है। निवेशकों को परिपक्वता पर संचित ब्याज के साथ मूल राशि प्राप्त होती है। जबकि एसआईपी में कोई पूर्व-निर्धारित अवधि नहीं है। निवेशक अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किसी भी वांछित अवधि के लिए निवेश जारी रख सकते हैं।

निवेश योजना विकल्प: आरडी सीमित लचीलापन प्रदान करता है। हालांकि, कुछ बैंक लचीली आरडी की पेशकश कर सकते हैं जो अर्जित ब्याज में संभावित समायोजन के साथ कभी-कभी छूटी हुई किस्तों की अनुमति देते हैं। जबकि एसआईपी अधिक लचीलापन प्रदान करता है। निवेशक अपनी जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर इक्विटी या डेब्ट फंड में से चुन सकते हैं। साथ ही वे बदलती वित्तीय परिस्थितियों के मुताबिक योगदान राशि को समायोजित कर सकते हैं या योजना को अस्थायी रूप से रोक भी सकते हैं।

जोखिम: आरडी को निश्चित ब्याज दर की गारंटी के चलते कम जोखिम वाला निवेश माना जाता है। मूल राशि भी पूरी तरह सुरक्षित है। जबकि एसआईपी में इसमें अंतर्निहित बाजार जोखिम होता है, खासकर इक्विटी एसआईपी के साथ। हालांकि, लंबी अवधि के लिए निवेश करने से बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करने और संभावित रूप से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

टैक्सेशन: आरडी पर अर्जित ब्याज व्यक्ति के टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स योग्य है। इसमें कोई टैक्स छूट या कटौती नहीं है। जबकि टैक्सेशन एसआईपी यूनिट्स की बिक्री से जेनरेट हुए पूंजीगत लाभ (अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) या दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी)) के प्रकार पर निर्भर करता है।

लिक्विडिटी: रेकरिंग डिपोजिट मध्यम तरलता प्रदान करता है। हालांकि समय से पहले निकासी की अनुमति है, लेकिन आमतौर पर उन पर पूर्व-बंदोबस्ती दंड लगाया जाता है जो अर्जित कुल ब्याज को कम कर सकता है। जबकि आम तौर पर आरडी की तुलना में एसआईपी में ज्यादा लिक्विडिटी होती है। निवेशक आमतौर पर एसआईपी से बाहर निकल सकते हैं और किसी भी समय निवेश की गई राशि निकाल सकते हैं, हालांकि अगर यूनिट को एक निश्चित अवधि से पहले भुनाया जाता है तो एग्जिट लोड शुल्क लग सकता है।

उपयुक्तता: आरडी उन जोखिम-विरोधी निवेशकों के लिए सबसे उपयुक्त है जो गारंटीकृत रिटर्न के साथ सुरक्षित और अनुमानित निवेश विकल्प चाहते हैं। जबकि एसआईपी में रूढ़िवादी और आक्रामक दोनों तरह के निवेशकों के लिए उपयुक्त निवेश रणनीति होती है। निवेशक इक्विटी एसआईपी द्वारा दिए जाने वाले उच्च रिटर्न से लाभ उठा सकते हैं।

आखिर में क्या सोचा आपने

जाहिर है आप अब सोच रहे होंगे कि आखिर तय कैसे करूं। दरअसल, यहां यह समझ लें कि एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) और आरडी (आवर्ती जमा) के बीच चुनाव आपके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता पर निर्भर करता है। एसआईपी बाजार में निवेश के जरिये हाई रिटर्न की संभावना प्रदान करते हैं, लेकिन इसमें एक अंतर्निहित जोखिम होता है। दूसरी तरफ, आरडी निश्चित, गारंटीकृत रिटर्न के साथ पूंजी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। एसआईपी लंबी अवधि के धन जमा करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं क्योंकि उनमें वृद्धि की संभावना है। हालांकि, अल्पकालिक बचत या सुनिश्चित, अनुमानित रिटर्न की तलाश करने वाले व्यक्तियों के लिए, आरडी स्थिरता प्रदान करते हैं।

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