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ITR फॉर्म में इस बार रेंट, होम लोन समेत इन बातों की देनी होगी जानकारी, रिटर्न भरने से पहले जान लें

इस साल इनकम टैक्स पेयर्स को आयकर रिटर्न फर्म में अधिक खुलासे करने होंगे। हालांकि नए आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म में अनुपालन को आसान बना दिया गया है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : May 07, 2025 07:54 pm IST, Updated : May 07, 2025 07:54 pm IST
Income Tax Return - India TV Paisa
Photo:FILE इनकम टैक्स रिटर्न

ITR: आयकर विभाग ने इनकम टैक्स भरने वाले टैक्सपेयर्स के लिए नया आईटीआर फॉर्म जारी कर दिया है। इस बार नए फॉर्म में कई बदलाव किए गए हैं, जिससे टैक्सपेयर्स को कई नई जानकारी रिटर्न भरते समय देनी होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा जारी किए गए सभी फॉर्म में बड़े बदलाव हुए हैं। बदलाव के बाद कर-बचत निवेश, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और वेतन के अलावा अन्य आय पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) की जानकारी देनी होगी। साथ ही, एसेट और देनदारियों की रिपोर्टिंग पर को आसान बना दिया है। इतना ही नहीं, स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड से ₹1.25 लाख तक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) वाले लोगों को सरल ITR-1 चुनने की अनुमति दी है।

आईटीआर-1/आईटीआर-4 का दायरा बढ़ा

आयकर विभाग द्वारा नए बदलाव के बाद आईटीआर-1/आईटीआर-4 का दायरा बढ़ गया है। आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। हालांकि, टैक्सपेयर्स को आखिरी डेट से पहले अपना रिटर्न फाइल करना चाहिए जिससे अंतिम समय में होने वाली गलतियों से बचा जा सके। एक व्यक्ति जिसके पास धारा 112A के तहत इक्विटी फंड और स्टॉक से ₹1.25 लाख तक का LTCG है और उसके पास पिछले वर्ष का घाटा या अगले वर्षों में गे ले जाने वाला घाटा नहीं है, वह अब ITR-1 या ITR-4 दाखिल करने के लिए पात्र है। पहले, धारा 112A के तहत LTCG, अन्य पूंजीगत लाभों के साथ, जटिल ITR-2/ITR-3 में रिपोर्ट करना पड़ता था, जिसके लिए विस्तृत खुलासे की आवश्यकता होती है।

अन्य आय पर TDS की जानकारी भी जरूरी

अब ITR फॉर्म में TDS सेक्शन को विस्तार दिया गया है। सैलरी (सेक्शन 192), ब्याज (194A), डिविडेंड (194), आदि पर कटे TDS को अलग-अलग कॉलम में दिखाना होगा। TDS कोड फॉर्म में प्री-फिल्ड हो सकते हैं, जिन्हें 26AS/AIS से मिलान करना जरूरी होगा। ₹1 करोड़ से ज़्यादा इनकम पर एसेट्स और लाइबिलिटी की रिपोर्टिंग जरूरी होगा। पहले जहां ₹50 लाख से ऊपर आय पर संपत्ति और देनदारियां रिपोर्ट करनी होती थीं, अब यह सीमा ₹1 करोड़ कर दी गई है।

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