राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने ट्रैवल और इमिग्रेशन नियमों को और सख्त करते हुए ट्रैवल बैन का दायरा बढ़ा दिया है। अब पांच और देशों के नागरिकों की अमेरिका में एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है, जबकि कई अन्य देशों पर आंशिक प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
अमेरिका में आसमान छूती महंगाई ने आम लोगों की जेब पर जबरदस्त बोझ डाल दिया है। किराने की दुकानों पर बढ़ती कीमतों से परेशान उपभोक्ताओं का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। इसी दबाव के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ा यू-टर्न लेते कई रोजमर्रा की चीजों लगे टैरिफ में कटौती की घोषणा कर दी।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक नई हलचल देखी जा रही है। ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया है कि भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को “किसी दिन” कम किया जा सकता है। इस बयान के बाद भारत में उत्साह तो बढ़ा है, लेकिन एक्सपर्ट्स इसे ट्रंप की एक और राजनीतिक रणनीति मान रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर विदेश मंत्रालय ने साफ संदेश दिया है और अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट कर दी है। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी दुनिया के सामने अपनी बात रख चुके हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक भारतीय और भारतीय मूल के पेशेवरों पर निशाना साध रहे हैं, लेकिन असल में यही लोग अमेरिका के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और कीमती साबित हो रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय वाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप की प्रतिक्रिया व्यापार वार्ता में कनाडा की रणनीति को लेकर प्रशासन की लंबे समय से बरकरार हताशा का परिणाम है।
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि भारत इस साल के अंत तक रूस से तेल के आयात को लगभग 40% तक घटा देगा। ट्रंप ने यह बयान उस समय दिया जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी ऑयल कंपनियों पर बैंन लगाते हुए मॉस्को से तुरंत युद्धविराम की मांग की थी।
भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। खबर है कि दोनों देशों के बीच होने वाले आगामी ट्रेड डील में भारतीय निर्यातपर लगने वाला भारी अमेरिकी टैरिफ 50% से घटाकर 15-16% तक किया जा सकता है।
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप ने चीन को लेकर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही नहीं बल्कि कई बार भारी-भरकम टैरिफ लगाने की भी धमकी दी।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर ने दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है, लेकिन भारत के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। चीन पर बढ़े टैरिफ के बाद अमेरिकी कंपनियां अब भारत की ओर रुख कर रही हैं, जिससे भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए कमाई के नए दरवाजे खुल गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि चीन पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ 1 नवंबर, 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने कहा कि अगर चीन कोई सख्त कदम उठाता है तो ये 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ 1 नवंबर से पहले ही लागू कर दिए जाएंगे।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मध्यम और भारी ट्रकों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने से अमेरिकी कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलेगी।
केनेथ रोगॉफ ने कहा, ‘‘अगर आप कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में जाएं तो वहां भारतीय इंजीनियरों और टैक्निकल प्रोफेशनल्स की संख्या काफी ज्यादा है। अगर इन टैलेंट को आने से रोका गया तो इसके बहुत बड़े दुष्परिणाम होंगे।’’
वाइट हाउस ने फेडरल एजेंसियों को आदेश दिया है कि अगर कोई समझौता नहीं होता है तो बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना तैयार करें।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में विदेशी फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की।
डोनाल्ड ट्रंप के ये नए आयात शुल्क अमेरिका की अर्थव्यवस्था और आम उपभोक्ताओं पर गहरा असर डाल सकते हैं। जहां एक ओर उनका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है, वहीं दूसरी ओर उच्च महंगाई, दवाओं की कीमतों में इजाफा और घर बनाने की लागत जैसे मुद्दे मतदाताओं और बाजार दोनों के लिए चुनौत
US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज इस प्रस्ताव को लेकर बुधवार से 30 दिनों तक जनता से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित करेगा, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान उनके सलाहकार रहे और इमिग्रेशन पॉलिसी पर एशियाई-अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भुटोरिया ने H-1B वीजा फीस बढ़ाने संबंधी ट्रंप की नई योजना से अमेरिकी आईटी सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त पर संकट मंडराने की चेतावनी दी।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व (फेड) की बुधवार को मीटिंग है जिसमें ब्याज दर पर नई घोषणाएं हो सकती हैं, जिसका असर आने वाले दिनों में भारत सहित दुनियाभर में भी देखने को मिल सकता है।
वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया जबकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सहायक व्यापार प्रतिनिधि (दक्षिण एवं पश्चिम एशिया) ब्रेंडन लिंच ने किया।
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