अमेरिका और चीन के बीच बिगड़े व्यापार संबंधों में एक बार फिर पॉजिटिव सुधार के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर वे दक्षिण कोरिया में आयोजित हो रहे एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति से मिलेंगे तो उनके बीच एक ‘‘शानदार समझौता’’ होने की उम्मीद है। ट्रंप ने कहा कि चीन, अमेरिका का ‘‘बहुत सम्मान’’ करता है और जब वे जिनपिंग से मिलेंगे तो एक ‘‘शानदार समझौता’’ होने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति की ये टिप्पणी बीजिंग द्वारा स्मार्टफोन, लड़ाकू विमानों, इलेक्ट्रिक वाहनों आदि में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ मृदा उत्पादों पर निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ाने को लेकर उनकी नाराजगी के बाद आई है।
अप्रैल में चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से शुरू हुआ टैरिफ वॉर
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप ने चीन को लेकर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही नहीं बल्कि कई बार भारी-भरकम टैरिफ लगाने की भी धमकी दी। लेकिन, ट्रंप के मौजूदा रुख को देखकर ऐसा ही लग रहा है कि उनकी बातें गीदड़भभकी से ज्यादा कुछ नहीं थी। ट्रंप ने पद संभालने के बाद जब सभी देशों के लिए अप्रैल में नई टैरिफ रेट की घोषणा की थी, तब चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही गई थी। जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा कर डाली। चीन की घोषणा से घबराए ट्रंप ने ड्रैगन को फिर धमकी दी और कहा कि वे उस पर 34 प्रतिशत टैरिफ के साथ 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे।
ट्रंप ने की चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा
अमेरिका की धमकियों से चीन पर कोई असर नहीं पड़ा और झल्लाए ट्रंप ने 8 अप्रैल को चीन पर कुल 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी, जिसे 9 अप्रैल से लागू होना था। अमेरिका द्वारा 104 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के जवाब में चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर सीधे 84 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद ट्रंप बैकफुट पर आ गए और चीन को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। चीन ने अमेरिका की बात नहीं मानी तो ट्रंप ने 104 प्रतिशत टैरिफ को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया और फिर 145 प्रतिशत कर दिया।
चीन पर 145 से बढ़ाकर 245 प्रतिशत टैरिफ लगाने की दी धमकी
अमेरिका द्वारा 145 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद चीन ने अपनी सभी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी बोइंग से डिलीवरी न लेने के आदेश दे डाले। चीन की इस प्रतिक्रिया ने ट्रंप को और भी ज्यादा निराश कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने चीन के लिए घोषित किए गए 145 प्रतिशत टैरिफ को 16 अप्रैल को बढ़ाकर सीधे 245 प्रतिशत करने का ऐलान कर दिया, जो लागू नहीं हुआ। यहां चीन को बैकफुट पर आना पड़ा और उसने अमेरिका के सामने बातचीत कर प्रस्ताव रखा। 9 मई को ट्रंप ने चीन पर लगाए गए 145 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर 80 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा। उस समय, चीन ने अमेरिका पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा रखा था।
दोनों देशों के बीच बनी बात
काफी समय तक बातचीत चलने के बाद 11 जून को अमेरिका और चीन के बीच एक प्रस्ताव पर बात बन गई। इसमें अमेरिका ने चीन पर टैरिफ को घटाकर 55 प्रतिशत कर दिया और चीन ने अमेरिका पर टैरिफ घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया। खास बात ये है कि ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया, लेकिन उन्होंने रूसी तेल के सबसे बड़ी खरीदार चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर भी 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन उन्होंने यहां भी चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
अब शी जिनपिंग के साथ एक बार फिर बातचीत के लिए तैयार हुए ट्रंप
दोनों देशों के बीच लगभग सारी चीजें ठीक-ठाक चल रही थीं। इसी बीच चीन ने अक्टूबर में अमेरिकी इंडस्ट्री के लिए आवश्यक दुर्लभ खनिजों के एक्सपोर्ट को बैन कर दिया। चीन के इस ताजा फैसले से ट्रंप एक बार फिर भड़क गए और चीन पर 1 नवंबर से 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। अब 1 नवंबर से पहले ही ट्रंप एक बार फिर चीन के साथ बातचीत करने की तैयारियों में जुट गए हैं।



































