देश में बिजली की मांग में वृद्धि के बीच मांग-आपूर्ति में अंतर के साथ आने वाले समय में इसकी कमी बनी रह सकती है। इसका कारण पिछले कुछ साल से तापीय बिजली क्षमता में धीमी वृद्धि है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि बिजली की मांग में तेजी आई है और कुछ ही दिनों में इसकी वजह से देश में बिजली संकट गहरा गया है।
बिजली कटौती इस समय राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
देश के अधिकांश राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है लेकिन कोयले से चलने वाले तापीय बिजली संयंत्रों को जरूरी मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है।
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भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
फिलहाल बिजली संयंत्रों के पास 5 दिन का कोयला भंडार है जिसके इसी हफ्ते में बढ़कर 6 दिन का होने की उम्मीद है। बीते 1 हफ्ते से कोयले के भंडार 2 लाख टन प्रति दिन से बढ़ रहे हैं
आधिकारिक बयान में कहा गया कि नौ दिनों से कोयले के भंडार में वृद्धि के साथ, बिजली संयंत्रों के पास पांच दिनों का भंडार उपलब्ध है, जो एक हफ्ते में बढ़कर 6 दिन का हो जायेगा
अनुमान के अनुसार कार्बन उत्सर्जन घटाने के प्रयासों से भारत को वर्ष 2015 से 2030 के बीच 106 गीगावॉट से अधिक ऊर्जा बचाने में मदद मिलेगी और 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 1.1 अरब टन की कटौती होगी।
CEA के आंकड़ों के अनुसार 11 अक्टूबर को चार दिन से कम भंडार वाली परियोजनाओं की संख्या 69 थी। CEA 135 ताप बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति पर नजर रखता है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार चार दिनों से कम कोयले वाले गैर-पिट हेड परियोजनाओं की संख्या 17 अक्टूबर को 61 थी, जबकि यह आंकड़ा 10 अक्टूबर को 70 और तीन अक्टूबर को 64 था।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 13 अक्टूबर तक पूर्वी क्षेत्र में बिजली उत्पादन 8.48 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जबकि इस दौरान अन्य क्षेत्रों में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
13 अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक खानों से दूर स्थित ऐसे संयंत्र जिनके पास चार दिन से कम का कोयला स्टॉक था, उनकी संख्या घटकर 64 रह गई है। आठ अक्टूबर को यह संख्या 69 थी।
एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार सिंह जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर यहां आये हैं।
दिल्ली में बृहस्पतिवार को कोई बिजली कटौती नहीं हुई और बिजली की अधिकतम मांग बुधवार के 4,382 मेगावाट से घटकर 4,160 मेगावाट पर आ गयी। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के जरिये निजी कंपनियों ने सिर्फ तीन दिन के अंदर देश भर में मनमानी दरों पर बिजली बेचकर 840 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।
कोयले की कमी के कारण बिजलीघरों की ऊर्जा उत्पादन की कुल क्षमता में कटौती 12 अक्टूबर को 11,000 मेगावॉट से कम होकर 13 अक्टूबर को 6,000 मेगावॉट पर आ गयी।
कोयला उत्पादन में वृद्धि और चीन के कार्बन नियंत्रण लक्ष्य के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। चीन ने हमेशा अपने द्वारा तय किए गए लक्ष्यों का सम्मान किया है और हम उन्हें हासिल करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "दिल्ली में विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से मिली जानकारी के मुताबिक, बिजली की कमी के कारण बिजली की कोई कटौती नहीं हुई
अगले 5 से 7 दिन में 20 लाख टन कोयला प्रतिदिन की सप्लाई शुरू हो जायेगी। वही कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिये रेलवे की साढ़े तीन सौ रैक की उपलब्धता कर दी गयी है।
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