Saturday, April 20, 2024
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पावर प्लांट में कोयले की किल्लत, गर्मी में झेलनी पड़ सकती हैं लंबी बिजली कटौती

देश के अधिकांश राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है लेकिन कोयले से चलने वाले तापीय बिजली संयंत्रों को जरूरी मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: April 20, 2022 7:21 IST
powerplant- India TV Paisa
Photo:FILE

powerplant

Highlights

  • देश के अधिकांश राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है
  • बिजली संयंत्रों को जरूरी मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है
  • गर्मी बढ़ने पर बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है

नई दिल्ली। अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ (एआईपीईएफ) ने देशभर के कोयला-आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की समुचित आपूर्ति नहीं होने से आने वाले समय में बिजली संकट पैदा होने की आशंका जताई है। एआईपीईएफ ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि गर्मी बढ़ने के साथ ही देश के अधिकांश राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है लेकिन कोयले से चलने वाले तापीय बिजली संयंत्रों को जरूरी मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है। 

बिजली संकट का सामना करना होगा 

इसकी वजह से बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच के फासले को पाटने में कई राज्यों को दिक्कत हो रही है। महासंघ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा कि तापीय विद्युत संयंत्रों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित न किए जाने पर देश को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बयान में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की नवीनतम दैनिक कोयला रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि घरेलू कोयले का इस्तेमाल करने वाले कुल 150 ताप-विद्युत स्टेशनों में से 81 में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है। निजी क्षेत्र के ताप विद्युत संयंत्रों की स्थिति भी उतनी ही खराब है, जिनके 54 में से 28 संयंत्रों में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है। 

उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खराब स्थिति

एआईपीईएफ के बयान के अनुसार, देश के उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खराब स्थिति राजस्थान और उत्तर प्रदेश की है। राजस्थान में 7,580 मेगावॉट क्षमता वाले सभी सातों तापीय संयंत्रों के पास बहुत कम स्टॉक बचा है। उत्तर प्रदेश में भी अनपरा संयंत्र को छोड़कर तीन सरकारी संयंत्रों में कोयला स्टॉक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। पंजाब के राजपुरा संयंत्र में 17 दिनों का कोयला भंडार बचा है जबकि तलवंडी साबो संयंत्र के पास चार दिन का स्टॉक है। वहीं जीवीके संयंत्र के पास कोयले का स्टॉक खत्म हो चुका है। रोपड़ और लहर मोहब्बत संयंत्रों में भी क्रमशः नौ एवं छह दिनों का भंडार ही बचा है। 

आठ दिन और सात दिन का स्टॉक

बयान के मुताबिक, हरियाणा में यमुनानगर संयंत्र में आठ दिन और पानीपत संयंत्र में सात दिन का स्टॉक है। खेदार बिजली संयंत्र में सिर्फ एक इकाई के ही सक्रिय रहने से 22 दिनों का स्टॉक बचा हुआ है। देश की उत्तरी राज्यों में शाम के समय 2,400 मेगावॉट बिजली की कमी दर्ज की जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश से 1,200 मेगावॉट और हरियाणा से 600 मेगावॉट की कमी रिकॉर्ड की गई है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अगले कुछ महीनों में बिजली की मांग चरम पर होने की स्थिति में कोयले का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने के लिए 10 प्रतिशत तक मिश्रण के लिए कोयला विदेश से मंगाने की सिफारिश की है।

आयातित कोयले से लागत बढ़ जाएगी 

हालांकि, एआईपीईएफ का मानना है कि महंगे आयातित कोयले से लागत बढ़ जाएगी। इसके अलावा कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे ने हर दिन 415 ट्रेनों के इस्तेमाल की ही प्रतिबद्धता जताई है जबकि जरूरत 453 ट्रेनों की है। वैसे व्यवहार में ढुलाई में लगी ट्रेनों की संख्या कभी भी 400 से अधिक नहीं होती है। 

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