Friday, April 26, 2024
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Chanakya Niti: अगर धन हानि से बचना है, तो चाणक्य की ये बातें रखें ध्यान, वरना हो जाएंगे कंगाल

चाणक्य की नीतियों के बारे में कौन नहीं जानता। उन्होंने जीवन के हर पड़ाव से जुड़ी कई सारी बातें बताई हैं। चाणक्य दार्शनिक गुरु होने के साथ ही एक महान अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने धन से जुड़ी एक ऐसी बात बताई जिसमें रखे हुए धन की हानि हो सकती है। उसे बचाने के लिए चाणक्य ने क्या नीति बताई आइए जानते हैं।

Aditya Mehrotra Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: December 02, 2023 23:34 IST
Chanakya Niti- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti

Chanakya Niti: चाणक्य ने कई सारी बातें ऐसी बताई हैं। जिसे आज के समय में पालन कर लिया जाए तो जीवन में कभी भी भटकना नहीं पड़ेगा। वैसे चाणक्य महा ज्ञानी और तीव्र बुद्धि वाले महापुरुष की श्रेणी में गिने जानें वाले दार्शनिक गुरु माने जाते हैं। उनकी कुशल नेतृत्व करने की छमता, उच्च कोटी का विचार ये सभी गुण उनमें कूट-कूट कर भरे हए थे। उन्होंने अपने सिद्धांतों को अपनी नीति बनाई और कई लोगों का जीवन में मार्गदर्शन भी किया।

चाणक्य ने आगे चल कर मौर्य वंश को स्थापित किया और समाज को वो नीतियां दी। जिसकी जरूरत आज भी लोगों को पड़ती है। सफलता के बारे में, आदमी को परखने के बारे में, जीवन में क्या करें, क्या नहीं और पैसा कैसे कमाएं इन तमाम सारे आम जनमान के मुद्दों पर उन्होंने अपनी नीति में खूब विस्तार से बताया है। आज हम आपको उनकी जो नीति बताने जा रहे हैं। उसमें चाणक्य ने पौसों से जुड़ी एक बात बताई है। जिसमें उन्होंने ने निवेश, धन व्यय और पैसों की वृद्धि कैसे करें उसके बारे में सलाह दी है।

उनकी नीति इस प्रकार से - 

उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणाम्।

तडागोदरसंस्थानां परीस्रव इवाम्भसाम्।।

आचार्य चाणक्य अपनी इस नीति में कहते हैं कि धन उपयोग करने की चीज हैं और इसका का समय-समय पर व्यय करना चाहिए। धन का संतुलित मात्रा में व्यय करना ही धन की रक्षा है। वो कहते हैं जिस प्रकार किसी पात्र में रखा जल अगर प्रयोग में न लाया जाए तो वह खराब हो जाता है। ठीक उसी प्रकार अगर धन को रखे रहेंगे और उसका प्रयोग नहीं करेंगे तो उसकी कीमत खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि अवश्यकता से ज्यादा पैसा बचा कर रखना लाभकरी नहीं होता है। यदि आपके पास धन है तो उसे सही चीजों में व्यय करें और दान-पुण्य के कार्यों में उसका प्रयोग करें।

धन दान-पुण्य में खर्च करने से बढ़ता है 

आचार्य चाणक्य आगे कहते है कि पैसा अच्छो कार्य में निवेश करना चाहिए। दान-दक्षिणा, कर्मकांड, यज्ञ, हवन आदि कार्यों में धन खर्च करना चाहिए। इन कार्यों में खर्च किया धन निवेश ही है। क्योंकि आपके कर्म ही आपको महान बनाते हैं और उसी से आपके भाग्य का निर्माण होता है। यही धन की रक्षा करने जैसा है न की धन को रख कर उसकी रक्षा होती है। क्योंकि आप धन को रखे हुए हैं और महंगाई बड़ गई तो आपके रखें हुए धन की कीमत घट जाएगी और न हीं आपका कोई कर्म आपके प्रारब्ध को बनाएगा। क्योंकि आपने धन से कोई भी धार्मिक कार्य किया ही नहीं। 

धन की तुलना की पानी से

आचार्य चाणक्य न पैसे की तुलना जल से करते हुए कहा कि जिस तरह तलाब का पानी प्रयोग न होने के कारण उसमें काई जमने लगती है और उसमें से दुर्गंध आने लगती है तो व्यक्ति चाहते हुए भी उस पानी का प्रयोग नहीं कर सकता ठी उसी प्रकार रखे हुए धन का भी यही हाल होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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