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Chanakya Niti: सफल व्यक्ति जीवन में इस एक चीज के दम पर बनते हैं महान, चाणक्य ने बताया इसका राज

चाणक्य के बारे में लगभग हम सभी ने सुना है। इनकी नीति में जीवन की सफलता के बड़े गूढ़ रहस्य छिपे हैं। आज हम चाणक्य की जिस नीति के बारे में बताने जा रहे हैं उसमें उन्होंने सफल व्यक्ति किस एक चीजे के दम पर समाज में पूज्यनीय बनता है उसके बारे में जानते हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Mar 23, 2024 18:42 IST, Updated : Mar 23, 2024 18:51 IST
Chanakya Niti- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti

Chanakya Niti: भारत की भूमि के प्रख्यात आचार्य चाणक्य को ज्ञान का प्रतीक आज भी माना जाता है। आज भले वह जीवित नहीं हैं पर उनकी नीतियों की चर्चा आज भी होती है। उन्हें कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और विद्वान गुरु के तौर पर देखे जाते थे। उन्होंने नीतिशास्त्र पर जिस ग्रंथ की रचना की थी उसे हम सभी चाणक्य नीति के नाम से जानते हैं। इस नीति के माध्यम से चाणक्य ने लोगों का मार्गदर्शन कर उनके हित की बात कही है।

आचार्य चाणक्य की यह नीति सफलता की कूंजी से कम नहीं मानी जाती है। यहां तक की लोग अपने जीवन की सफलता का मार्ग उनकी नीतियों के माध्यम से तय करते हैं। उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू पर ज्ञान बांटा। उन्होंने साधारण से चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बात करते हैं चाणक्य की एक नीति के बारे में जिमसे उन्होंने सभी कार्य की सफलता के पीछे एक जरूरी बात अपनी नीति के माध्यम से बताई है।

चाणक्य की नीति इस प्रकार से-

यद्दूरं यद्दुराराध्यं यच्च दूरे व्यवस्थितम्।

तत्सर्व तपसा साध्यं तपो हि दुरतिक्रमम्।।

आचार्य चाणक्य अपनी इस नीति में कहते हैं कि जो चीज आपसे बहुत दूर है, जो कठिनता से आराधना करने वाला है और जो बहुंत ऊंचाई पर है। वह सब कुछ तप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि तप में बहुत बल होता है और एक तपस्वी के लिए कोई भी कार्य करना कठिन नहीं होता है।

मनुष्य को मिलता है तप का फल

चाणक्य अपनी इस नीत के माध्यम से यही कहना चाहते हैं कि तप करने से मुश्किल कार्य आसान हो जाते हैं। तप से हर जीच प्राप्त की जा सकती है लेकिन तप है क्या? माला लेकर जाप करना, एक पांव के दम पर खड़े रहना या फिर एक हाथ को ऊपर खड़ा कर लेना ये सब तप की श्रेणी में नहीं आते हैं। तप का सही अर्थ है मुश्किल परिस्थितियों का डट कर सामना करना, भूख-प्यास, दुःख सुख, हानि-लाभ, जीवन-मरण में एक जैसा रहना और विपदा आने पर अपने धर्म को नहीं छोड़ना। ये सब जीवन के तप हैं और यह मनुष्य को किसी चीज के लायक बनाता है।

तप करना इसलिए भी है जरूरी

किसी भी चीज को पाने या सफलता को प्राप्त करने के लिए तप करना पड़ता है। अगर आप किसी चीज को आसानी से प्राप्त कर लेंगे तो उसकी कीमत नहीं समझ पाएंगे। संसार में जितने भी महान लोग हुए हैं उन्होंने अपने तप के बल से ही जीवन में सफलता प्राप्त की है और अपने लक्ष्य तक पहुंचे हैं। बिना तप के व्यक्ति जीवन में कोई भी मुकाम हासिल नहीं कर सकता है। क्योंकि सफलता जीवन में आसानी से नहीं प्राप्त होती है। चाणक्य आगे कहते हैं कि तप के द्वारा ही व्यक्ति जीवन में उच्च पद को प्राप्त करता है और समाज में सम्मान पाता है। जो लोग जीवन में बैठे-बैठ सब कुछ पाने की कल्पना करते हैं वह मरने के बाद अपने कर्मों का फल भोगते हैं और अंत में उसका पश्चाताप करते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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