Thursday, May 09, 2024
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पाकिस्तानी लड़की आयशा में धड़क रहा हिंदुस्तानी का दिल, मुफ्त में हुआ इलाज तो हुई भारत की फैन

आयशा के खराब हृदय को सहारा देने के लिए एक हृदय पंप प्रत्यारोपित किया गया था। दुर्भाग्य से यह उपकरण अप्रभावी साबित हुआ और डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए हृदय प्रत्यारोपण की सिफारिश की।

Mangal Yadav Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: April 27, 2024 8:44 IST
 पाकिस्तान की आयशा का दिल हुआ 'हिंदुस्तानी'- India TV Hindi
Image Source : ANI पाकिस्तान की आयशा का दिल हुआ 'हिंदुस्तानी'

चेन्नईः भारत और पाकिस्तान के बीच कितनी भी दुश्मनी क्यों न हो लेकिन जरुरत पड़ने पर भारत ही पड़ोसी का साथ देते हैं और नया जीवन भी। कुछ ऐसा ही हुआ है पाकिस्तान लड़की आयशा के साथ। सीमा पार कर भारत आई आयशा को डॉक्टरों ने न सिर्फ नया जीवन दिया बल्कि मुफ्त में उसका इलाज भी किया। उन्नीस वर्षीय आयशा रशन पिछले कई साल से हृदय रोग से पीड़ित थीं।

एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल में हुआ इलाज

आयशा के परिवार ने चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. केआर बालाकृष्णन और सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव से परामर्श मांगा। मेडिकल टीम ने सलाह दी कि हृदय प्रत्यारोपण आवश्यक है क्योंकि आयशा के हृदय पंप में रिसाव हो गया था। उसे एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) पर रखा गया। 

दिल्ली के ब्रेनडेट मरीज का दिल आयशा को लगाया गया

एमजीएम हेल्थकेयर के डॉक्टरों ने दिल्ली के एक अस्पताल से लाए 69 वर्षीय ब्रेड डेड मरीज का दिल आयशा में हार्ट ट्रांसप्लांट किया। आयशा की यह सर्जरी बिल्कुल फ्री में की गई। दरअसल मरीज के परिवार ने हार्ट प्रत्यारोपण के लिए करीब  35 लाख रुपये वहन करने में असमर्थता जताई। उनका कहना था कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद मेडिकल टीम ने परिवार को ऐश्वर्याम ट्रस्ट से जोड़ा जिसने वित्तीय सहायता प्रदान की। भारत में आयशा 18 महीने रही।  

मौत के मुंह से जिंदा बाहर निकाला

 आयशा की मां सनोबर ने कहा कि जब वह भारत पहुंची तो आयशा बमुश्किल जीवित थी, उसकी जिंदा रहने की उम्मीद मात्र 10 प्रतिशत रह गई थी। मैं "सच कहूं तो, भारत की तुलना में पाकिस्तान में कोई अच्छी चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं। मुझे लगता है कि भारत बहुत मित्रवत है। जब पाकिस्तान में डॉक्टरों ने कहा कि कोई प्रत्यारोपण सुविधा उपलब्ध नहीं है तो हमने डॉ. केआर बालाकृष्णन से संपर्क किया। मैं भारत और डॉक्टरों को धन्यवाद देती हूं। 

भारत और डॉक्टरों की फैन हुई आयशा

आयशा और उसकी मां सनोबर ने भारतीय डॉक्टर और भारत सरकार को विशेषतौर पर धन्यवाद दिया। सनोबर ने कहा कि डॉक्टरों ने मुझे हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। भारत में रहने और पैसों तक की व्यवस्था डॉक्टरों की टीम ने की। मैं ट्रांसप्लांट से बहुत खुश हूं, मैं इस बात से भी खुश हूं कि एक पाकिस्तानी लड़की के अंदर एक भारतीय दिल धड़क रहा है। मैंने सोचा था कि यह कभी संभव नहीं है लेकिन ऐसा हुआ है। मां ने कहा कि आयशा एक नई आशा से भरी हुई है और वह फैशन डिजाइनर बनने का सपना देख रही है। 

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