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Holi 2024: आखिर होलिका दहन करने की परंपरा कैसे शुरू हुई? जानिए इसकी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार होली आने वाला है। वहीं होली मनाने से पहले होलिका दहन किया जाता है। ऐसे में आपके मन में सवाल आता होगा कि क्यों होलिका दहन किया जाता है, आज हम आपको इसके पीछे की पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Mar 17, 2024 17:20 IST, Updated : Mar 17, 2024 17:34 IST
Holi 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Holi 2024

Holi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। होली के त्योहार में लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गले लग कर यह त्योहार खुशियों के साथ मनाते हैं। लेकिन होली मनाने से पहले होलिका दहन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। हिंदू धर्म में होलिका दहन करने के पीछे पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। होली से ठिक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, आइए जानते हैं आखिर इसके पीछे क्या मान्यता है।

भक्त प्रहलाद और होलिका की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है जब हिरण्यकशिपु नाम का असुर राजा था। जो अपने पुत्र प्रहलाद को इसलिए नापसंद करता था क्योंकि प्रहलाद विष्णु जी के परम भक्त थे। हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। प्रहलाद के मुख से निरंतर हरि वंदना सुनना हिरण्यकशिपु को रास नहीं आता था, इसलिए वह अपने पुत्र को मृत्यु दंड देना चाहता था। उसने भक्त प्रहलाद को मृत्यु दंड देने के लिए कई प्रयास किए लेकिन भक्त वत्सल श्री हरि प्रहलाद को हर बार बचा लेते थे। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती है, हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को होलिका के साथ अग्नि में सौंप दिया था। कहते हैं जब प्रभु भक्त की रक्षा में लग जाते हैं तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। जलती अग्नि में प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ लेकिन होलिका उसमें जल कर भस्म हो गईं। यह देख हिरण्यकशिपु दंग रह गया और अपनी विफलता और बहन के भस्म होने का शोक व्यक्त किया। 

होलिका दहन की परंपरा हुई शुरू

मान्यता के अनुसार होलिका जिस दिन अग्नि में भस्म हुई थीं वह दिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि और समय प्रदोष काल का था। तब से होलिका दहन की परंपरा चलती चली आ रही है। होलिका दहन की अग्नि बड़ी पवित्र मानी जाती है और यह त्योहार बुराई पर अच्छाई  की जीत का प्रतीक माना जाता है। होलिका की अग्नि को नकारात्मक ऊर्जा के अंत का भी प्रतीक लोग मानते हैं, इसलिए लोग होलिका दहन की जाती है।

होलिका दहन 2024 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 24 मार्च 2024 दिन रविवार को होलिका दहन किया जाएगा। इसका शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से लेकर अगले दिन 25 मार्च को देर रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन की पूजा करने के लिए कुल अवधि का समय 1 घंटा 14 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त के अनुसार इस समय अवधि के अंतराल आप होलिका दहन कर सकते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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