Friday, November 07, 2025
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Sharad Purnima 2025 Puja Vidhi, Kheer Time Live: शरद पूर्णिमा की पूजा कैसे करें, खीर रखने का समय क्या रहेगा, चांद कब निकलेगा...जानिए हर जानकारी यहां

Sharad Purnima 2025 Puja Vidhi, Kheer Time Live: आज आश्विन पूर्णिमा है जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ये साल में एकमात्र ऐसा दिन होता है जब चांद सोलह कलाओं के साथ निकलता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और रात में चांद की रोशनी से नीचे खीर रखते हैं।

Written By: Laveena Sharma @laveena1693
Published : Oct 06, 2025 07:01 am IST, Updated : Oct 07, 2025 06:26 am IST
sharad purnima- India TV Hindi
Image Source : CANVA शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय

Sharad Purnima 2025 Puja Vidhi, Kheer Time Live​: पंचांग अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर 2025, सोमवार को मनाई जा रही है। इसे आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात का चांद बाकी पूर्णिमा की रात के चांद से ज्यादा चमकदार होता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाएं दिखाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इसी रात को वृंदावन में प्रेम और नृत्य के संगम महा-रास को रचा था। चलिए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा, आरती और खीर रखने का समय।

शरद पूर्णिमा 2025 पर खीर रखने का समय (Sharad Purnima 2025 Kheer Kab Rakhe)

शरद पूर्णिमा के दिन खीर रखने का समय 6 अक्टूबर 2025 की रात 10:46 बजे से शुरू होगा। खीर को पूरी रात के लिए चांद की रोशनी के नीचे छोड़ दें। फिर सुबह-सुबह इस खीर का सेवन करें।

शरद पूर्णिमा पर चांद निकलने का समय (Sharad Purnima 2025 Moonrise Time)

शरद पूर्णिमा पर चांद निकलने का समय शाम 05:35 का है।

शरद पूर्णिमा 2025 मुहूर्त (Sharad Purnima 2025 Timing)

  • अमृत - सर्वोत्तम - 06:28 ए एम से 07:56 ए एम
  • शुभ - उत्तम ृ- 09:23 ए एम से 10:51 ए एम
  • लाभ - उन्नति - 03:14 पी एम से 04:41 पी एमवार वेला
  • अमृत - सर्वोत्तम- 04:41 पी एम से 06:09 पी एम
  • लाभ - उन्नति - 10:46 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 07काल रात्रि
  • शुभ - उत्तम - 01:51 ए एम से 03:24 ए एम, अक्टूबर 07
  • अमृत - सर्वोत्तम - 03:24 ए एम से 04:56 ए एम, अक्टूबर 07

शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे रखें (Sharad Purnima Vrat Vidhi)

सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें। सुबह और शाम में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूजा करें। व्रत कथा सुनें और आरती करें। पूरे दिन व्रत रहें। इस व्रत में फलाहार का सेवन कर सकते हैं। रात में चांद की पूजा करें और अर्घ्य अर्पित करें। फिर चांद की रोशनी के नीचे रात भर के लिए खीर रखकर छोड़ दें और सुबह के समय इस खीर को ग्रहण कर अपना व्रत खोलें। 

शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)

  • शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
  • इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से पूर्व उनकी तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया जाता है उसके बाद लाल कपड़े पर उनकी मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
  • इसके बाद धूप, दीप जलाकर विधि विधान माता की पूजा की जाती है और उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं।
  • इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
  • भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
  • यदि आपने इस दिन रखा है तो चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उपवास खोलना चाहिये।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।
  • रात में चांद की रोशनी के नीचे खीर जरूर रखें।

शरद पूर्णिमा की आरती (Sharad Purnima Ki Aarti)

  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
  • उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
  • सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
  • जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
  • कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
  • सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
  • खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
  • रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
  • उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
  • तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

यह भी पढ़ें- शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाई जाती है?

(शरद पूर्णिमा से जुड़ी हर एक जानकारी के लिए बने रहिए इस लाइव ब्लॉग पर)

Sharad Purnima 2025 Live

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  • 7:10 PM (IST) Posted by Arti Azad

    शरद पूर्णिमा पर आसमान के नीचे क्यों रखी जाती है खीर?

    मां लक्ष्मी को चावल की खीर बेहद प्रिय है। वहीं, चंद्रमा का सफेद रंग से गहरा संबंध है। इसलिए मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाते हैं। इसके लिए ज्योतिष सफेद रंग की चीजों का दान करने की सलाह देते हैं। शरद पूर्णिमा की रात देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं। इस दौरान मां व्यक्ति विशेष के कर्मों का अवलोकन करती हैं। वहीं, चांद की रोशनी में खीर रखने से खीर अमृत तुल्य हो जाता है। इसे अगले दिन पूजा के समय भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इसके बाद सपरिवार खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति पर देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। वहीं, मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

  • 6:27 PM (IST) Posted by Arti Azad

    कोजागर पूजा का समय

    मां लक्ष्मी की कोजागर पूजा कोजागर पूजा सोमवार, अक्टूबर 6 2025 को
    कोजागर पूजा निशिता काल -  6 अक्टूबर 2025 से 11:45 पी एम से प्रारंभ होकर 7 अक्टूबर को 12:34 ए एम तक
    पूजा की कुल अवधि - 00 घंटे 49 मिनट्स
    कोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय - 05:27 पी एम 
    पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 06, 2025 को 12:23 पी एम बजे
    पूर्णिमा तिथि समाप्त - अक्टूबर 07, 2025 को 09:16 ए एम बजे

  • 6:11 PM (IST) Posted by Arti Azad

    पूर्णिमा के व्रत पारण ऐसे करें

    अगले दिन सुबह-सुबह स्नान आदि करने के बाद रात को चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर का भोग भगवान जी को लगाया जाता है। इसके बाद परिवारजनों को प्रसाद रूप में बांट दिया जाता है। व्रती इसी खीर को खाकर व्रत का पारण करते हैं। इसी के साथ चंद्र देव से अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सौभाग्या की कामना की जाती है। 

  • 5:16 PM (IST) Posted by Arti Azad

    चांद को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जाप

    आज के दिन सफेद या पीले वस्त्र पहनें। घर के उत्तर-पूर्व दिशा यानी कि ईशान कोण में सफेद कपड़ा बिछाएं। चंद्र देव और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर आम के पत्ते रखें और नारियल रखें। इस पर कुमकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। देवी को प्रणाम करके उन्हें रोली, चावल, पुष्प, दीप और भोग अर्पित करें। लक्ष्मी चालीसा या लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ें। रात में चंद्र दर्शन करके जल और दूध से तैयार मिश्रित जल से चंद्र देव को अर्घ्य दें। 

    ॐ चंद्राय नमः या ॐ सोमाय नमः मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें। खीर का भोग लगाएं, फिर उसे चांदनी में खुले आकाश के नीचे रखें। चंद्र देव की आरती करें।

  • 4:27 PM (IST) Posted by Arti Azad

    अपनी 16 कलाओं से युक्त होते हैं चंद्र देव

    हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त होते हैं। इसे कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागिरी पूर्णिमा के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की  पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की विधिवत पूरा और व्रत रखा जाता है। इसके बाद अगले दिन सुबह व्रत का पारण किया जाता है

  • 3:49 PM (IST) Posted by Arti Azad

    शरद पूर्णिमा व्रत की संपूर्ण कथा

    एक व्यापारी की दो बेटियां थीं। दोनों बहनें धार्मिक स्वभाव की थी, लेकिन बड़ी वाली बेटी धार्मिक रीति-रिवाजों में बहुत आगे थी। दोनों रोज भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करती थीं और पूर्णिमा का उपवास भी रखती थीं। 

    शादी के बाद भी दोनों ने पूर्णिमा की व्रत जारी रखा, लेकिन छोटी बेटी के व्रत पूरा नहीं रखती थी। जिसकी वजह से उसे पूरी तरह से व्रत का पुण्य फल नहीं मिल पाता था। बड़ी बेटी ने अपनी पूरी श्रद्धा से व्रत पूर्ण किया, जिससे उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। हालांकि, नियम से पूर्णिमा के व्रत करने के कारण छोटी बेटी ने भी संतान की सुख पाया, लेकिन उसकी संतान दीर्घायु नहीं होती थी और जन्म के कुछ दिन बाद उसकी संतान की मृत्यु हो जाया करती थी।  

    अपने इस दुख का कारण जानने के लिए उसने एक महात्मा से बात की। महात्मा ने उसे बताया तुम्हारा मन पूरी तरह से ईश्वर भक्ति में नहीं लगता है, जिसके कारण तुम्हें तकलीफ भोगनी पड़ रही है। इस दुख का निवारण पूछने पर महात्मा ने उसे शरद पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि विधान के साथ करने के लिए कहा। महात्मा की बात सुनकर छोटी बहन ने पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ पूरा किया, लेकिन उसकी संतान जीवित नहीं बची। जब वह पुत्र को खोने का संताप कर रही थी, तभी उसकी बड़ी बहन आई। 

    मौसी के वस्त्र छूने ने छोटी बहन की संतान जीवित हो उठी।  यह देख छोटी बहन खुश हुई और खुशी से रोने लगी, तब बड़ी बहन ने उसे व्रत की महिमा बताई। इसके बाद छोटी बहन ने पूरे विधि-विधान के साथ शरद पूर्णिमा का व्रत किया और दूसरों को भी व्रत करने की सलाह दी। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इससे आपको सभी कार्यों में सफलता हासिल होती है। 

  • 2:47 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Chandra Devta Ki Aarti: चंद्र देवता की आरती

    • ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
    • दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
    • ॐ जय सोम देवा।।
    • रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
    • दीन दयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।
    • ॐ जय सोम देवा।। 
    • जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
    • सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
    • ॐ जय सोम देवा।। 
    • योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
    • ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, संत करें सेवा।
    • ॐ जय सोम देवा।।वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
    • प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
    • ॐ जय सोम देवा।। 
    • शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
    • धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
    • ॐ जय सोम देवा।। 
    • विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
    • सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
    • ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
  • 2:17 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती

    • ॐ जय लक्ष्मी माता

    • मैया जय लक्ष्मी माता।
    • तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
    • सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
    • जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
    • कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
    • सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
    • खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।
    • रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
    • महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई जन गाता।
    • उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥
    • ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  • 1:51 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima Kheer Benefits: शरद पूर्णिमा की खीर खाने के फायदे

    शरद पूर्णिमा की खीर खाने से विशेष रूप से चर्म रोगियों को फायदा होता है। इसके अलावा ये खीर आंखों की रोशनी बढ़ाने का भी काम करती है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई प्रसाद रूप में इस खीर का सेवन करता है उसके जीवन में धन की कभी कमी नहीं होती।

  • 1:12 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Laxmi Puja Vidhi)

    • शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
    • फिर एक कलश लें और उसमें पांच तरह के अनाज, थोड़ा गंगाजल, सिक्के, मौली, दही, शहद, आम का पत्ता और नारियल रखें।
    • कलश को जल से भरें और उस पर आम के पत्ते लगाएं।
    • फिर एक लाल वस्त्र पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
    • माता के सामने दीपक जलाएं।
    • इसके बाद माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें।
    • फिर माता को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
    • अंत में माता की आरती करें।
    • इसके बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर खीर को पूरी रात चांद की रोशनी के नीचे रहने दें।
    • अगले दिन खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
  • 12:49 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा व्रत में क्या खा सकते हैं?

    शरद पूर्णिमा व्रत में फलाहार ले सकते हैं। लेकिन अन्न का सेवन भूलकर भी नहीं करना है। आप दूध, दही, आलू, टमाटर, फल, पनीर इत्यादि चीजों का सेवन कर सकते हैं।

  • 12:23 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा के उपाय (Sharad Purnima Ke Upay)

    शरद पूर्णिमा की रात में माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें। माता को मिठाई और सुगन्धित चीज़ें अर्पित करें। फिर “ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः”, इस मंत्र का कम से कम 11 बार माला से जाप करें।

  • 11:57 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    sharad purnima scientific reason: शरद पूर्णिमा मनाने का वैज्ञानिक कारण

    शरद पूर्णिमा को लोग धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से तो मानते ही हैं, लेकिन इसके पीछे गहरे वैज्ञानिक कारण भी हैं। दरअसल, यह दिन प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और स्वास्थ्य संतुलन से सीधा जुड़ा हुआ है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीक होता है और उसकी किरणों में विशेष ऊर्जा होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस दिन चांद की रोशनी में अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें बहुत कम होती हैं, जिससे यह रात मानव शरीर के लिए सुरक्षित और हीलिंग मानी जाती है। इस रात खुले में चंद्रमा की रोशनी में बैठना, ध्यान करना या टहलना मानसिक शांति, हृदय स्वास्थ्य और नींद सुधारने में मदद करता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा के बाद से मौसम में ठंडक और शुष्कता बढ़ने लगती है। ऐसे में यह पर्व लोगों को सचेत करता है कि अब शरीर को ठंडी चीजें संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए और अपना आहार बदलना चाहिए।

  • 11:42 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima Moonrise Time: शरद पूर्णिमा पर चांद निकलने का समय

    • नई दिल्ली - 05:27 पी एम
    • पटना - 04:56 पी एम
    • भोपाल - 05:28 पी एम
    • रांची - 04:56 पी एम
    • कोलकाता - 04:43 पी एम
  • 11:02 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima Ka Mahatva: शरद पूर्णिमा का महत्व

    शरद पूर्णिमा के पर्व को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्‍सव के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने महारास किया था। तब से चंद्र देव ने प्रसन्न होकर अमृत की बारीश की थी।

  • 10:41 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा की खीर कब बनाएं (Sharad Purnima Ki Kheer Kab Banaye)

    शरद पूर्णिमा की खीर 6 अक्टूबर 2025 की शाम में बनाई जाएगी।

  • 10:00 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima Vrat Katha Lyrics)

    शरद पूर्णिमा की कथा अनुसार, एक समय की बात है, एक गांव में एक साहूकार रहता था जिसकी दो बेटियां थीं। दोनों ही बहनें पूर्णिमा का व्रत किया करती थीं। लेकिन दोनों के विचार व्रत को लेकर अलग-अलग थे। बड़ी बहन पूर्ण श्रद्धा के साथ शरद पूर्णिमा व्रत किया करती थी और शाम के समय में भगवान चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पण करने के बाद अपना व्रत सम्पन्न करती थी। दूसरी तरफ छोटी बहन नाम मात्र के लिये व्रत का पालन करती थी और वह अपना व्रत सम्पन्न किये बिना ही भंग कर देती थी।

    धीरे-धीरे वे दोनों बहनें बड़ी हो गयीं और साहूकार ने उन दोनों का विवाह कर दिया। बड़ी बहन ने स्वस्थ शिशुओं को जन्म दिया तो वहीं छोटी बहन की कोई सन्तान नहीं हुई। उसके सभी शिशु जन्म लेते ही मर जाते थे। जिससे छोटी बहन अत्यन्त उदास रहने लगी थी तथा अपने दुखों का समाधान खोजने के लिये वह एक सन्त के पास गई। सन्त ने उसके दुखों का कारण समझा तथा उसे बताया कि, वह बिना किसी रुचि और भक्ति के पूर्णिमा का व्रत कर रही थी, जिसके कारण ही उसके साथ ऐसा हो रहा है। सन्त ने उसे सलाह दी कि, यदि वह पूर्ण श्रद्धा से इस व्रत का पालन करेगी तो भगवान चन्द्रमा की कृपा से उसका अशुभ समय समाप्त हो जायेगा। 

    संत के कहे अनुसार छोटी बहन ने आगामी शरद पूर्णिमा का व्रत पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से किया। जिसके फलस्वरूप शिशु की तो प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश यह शिशु भी जन्म के बाद तुरन्त मृत्यु की गोद में समा गया। छोटी बहन को यह ज्ञात था कि उसकी बड़ी बहन को भगवान चन्द्रमा की विशेष कृपा प्राप्त है और उसकी बहन उसके शिशु को पुनः जीवित कर सकती है। इसीलिये, छोटी बहन ने एक योजना बनायी और अपने शिशु के मृत शरीर को एक कपड़े से ढककर एक छोटी सी शैया पर लिटा दिया। इसके बाद उसने अपनी बड़ी बहन को अपने घर आमन्त्रित किया और उसे वहीं बैठने का आग्रह किया, जिस पर शिशु का शव पड़ा था। जैसे ही बड़ी बहन शैया पर बैठने लगी उसी समय उसके वस्त्र उस मृत शिशु को स्पर्श हो गये। जिससे शिशु जीवित होकर रुदन करने लगा। बड़ी बहन आश्चर्यचकित हो गयी और उसने अपनी छोटी बहन को इस लापरवाही के लिए खूब डांटा। उस समय छोटी बहन ने अपनी बड़ी बहन को बताया कि, जन्म के समय ही उसके इस शिशु की मृत्यु हो गयी थी और उसकी बड़ी बहन के स्पर्श से शिशु पुनः जीवित हो गया। यह केवल भगवान चन्द्रमा की कृपा और पूर्णिमा व्रत के प्रभाव से ही हुआ। कहते हैं उस दिन से शरद पूर्णिमा पर व्रत पालन करने की परम्परा आरम्भ हो गयी।

  • 9:31 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा पूजा सामग्री (Sharad Purnima Puja Samagri)

    1. लक्ष्मी जी की मूर्ति
    2. चंदन
    3. अक्षत
    4. दीपक
    5. धूप
    6. नैवेद्य
    7. कलश
    8. रोली
    9. फूल
    10. कलश में रखने के लिए पांच तरह के अनाज
    11. दही, शहद
    12. गंगाजल
    13. सिक्के, मौली
    14. आम का पत्ता, नारियल
  • 8:32 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima Par Kheer Kab Banaye: शरद पूर्णिमा पर खीर कब बनाए?

    शरद पूर्णिमा पर खीर 6 अक्टूबर 2025 की रात 10:46 से पहले बनाकर तैयार कर लें। खीर रखने का समय 10:46 से सुबह 4.30 बजे तक रहेगा।

  • 8:14 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा खीर का महत्व (Sharad Purnima Kheer Ka Mahatva)

    मान्यता अनुसार शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी से अमृत वर्षा होती है। कहा जाता है चांद की ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है। इसलिए ही इस रात में खीर बनाकर चांद की रोशनी के नीचे चांदी के पात्र में रखी जाती है। 

  • 7:52 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शरद पूर्णिमा के दिन खीर क्यों मनाई जाती है?

    कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग जागरण करके पूजा करते हैं, उन पर मां की विशेष कृपा होती है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी को खीर अर्पित करना उन्हें अत्यंत प्रिय है इसलिए ही इस दिन माता को खीर का भोग जरूर लगाया जाता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी रात चंद्रमा अमृत बरसाता है, जिससे पृथ्वी पर शीतलता और ऊर्जा फैलती है। इसलिए परंपरा है कि खुले आकाश के नीचे खीर रखी जाती है, ताकि वह चांदनी की अमृत किरणों से पवित्र हो जाए। अगले दिन इस अमृत खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना गया है।

  • 7:24 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा होती है?

    शाम के समय मां लक्ष्मी की विधि विधान पूजा करके उनकी आरती जरूर करनी चाहिए। “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। मां को खीर का भोग लगाएं। फिर इस खीर को चांद की रोशनी के नीचे रख दें।

  • 7:06 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sharad Purnima Mantra: शरद पूर्णिमा मंत्र

    • ॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः ॥
    • ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
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