Tuesday, May 14, 2024
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Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी पर करें इन नियमों का पालन मिलेगा व्रत का पूरा फल, जानें पूजा विधि और महत्व

Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष एकादशी को 20 नंवबर 2022 के दिन रखा जाएगा। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा होती है। इसमें व्रत के पहले से लेकर पारण तक कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है, तभी व्रत और पूजा संपन्न होती है।

Sushma Kumari Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: November 15, 2022 19:39 IST
उत्पन्ना एकादशी व्रत- India TV Hindi
Image Source : SOURCED उत्पन्ना एकादशी व्रत

Utpanna Ekadashi: प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इन एकादशी व्रत का महत्व भी अलग-अलग होता है। लेकिन एकादशी का व्रत और पूजन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। सभी एकादशी में मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी को खास माना गया है। क्योंकि इसी एकादशी से एकादशी व्रत की शुरुआत मानी जाती है। इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत रविवार 20 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। एकादशी व्रत से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों का पालन करने पर ही व्रत पूर्ण और सफल मानी जाती है। जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम, पूजा विधि और महत्व के बारे में।

उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम

  1. उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं। दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन करने पर मनाही होती है। इस दिन केवल सात्विक भोजन ही खाना चाहिए।
  2. एकादशी तिथि के दिन जल्दी उठकर स्नान कर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर भगवान विष्णु को हल्दी मिश्रित जल चढ़ाना चाहिए।
  3. उत्पन्ना एकादशी व्रत निर्जला और फलाहार दोनों तरह से रखे जाते हैं। आप अपनी क्षमता के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
  4. अगले दिन यानी द्वादशी के दिन सुबह उठकर पुन: पूजन करना चाहिए और इसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
  5. ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने के बाद ही एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए। इस नियमों का पालन करने पर व्रत और पूजा संपन्न होती है और भगवान विष्णु आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन ही माता एकादशी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थीं और मुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष, संतान और आयोग्य की प्राप्ति होती है।

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें। फिर चंदन, धूप, फूल, तुलसी और नैवेद्य अर्पित कर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं। पूजा में उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़े और आखिर में आरती करें। पूरे दिन उपवास रहकर भगवान विष्णु का स्मरण करें। अगले दिन पारण के मुहूर्त पर व्रत खोलें।

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