Monday, May 13, 2024
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क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा, क्यों होता है 'आचार्यवर्णम' अनुष्ठान? राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी ने विस्तार से बताया

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने अयोध्या राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' से पहले 'आचार्यवर्णम' अनुष्ठान के बारे में विस्तार से बताया।

Mangal Yadav Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: January 18, 2024 16:30 IST
आचार्य सत्येन्द्र दास - India TV Hindi
Image Source : ANI आचार्य सत्येन्द्र दास

अयोध्याः 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इससे पहले 'आचार्यवर्णम'अनुष्ठान हो रहा है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और 'आचार्यवर्णम' अनुष्ठान क्यों होता है। आपके मन में उठ रहे सवालों का जवाब दिया है राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने। आचार्य सत्येन्द्र दास ही राम मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। गुरुवार को उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा और 'आचार्यवर्णम' अनुष्ठान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 

क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा

 राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन श्रीराम की प्रतिमा के सम्मुख आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार किया जाएगा। वेदों में वर्णित मंत्रों के द्वारा यह आवह्नान किया जाता है कि जिस प्रकार साक्षात परमपिता भगवान में शक्तियां निहित हैं वही शक्तियां इस प्रतिमा में समाविष्ट हो जाएं या वो शक्तियां प्रतिमा में आ जाएं। सत्येन्द्र दास ने कहा कि मंत्रों के द्वारा भगवान की शक्तियां प्रतिमा में आने से उसी प्रकार भक्तों का कल्याण होता है जैसे कि तपस्या करने से या साक्षात भगवान का दर्शन करने होता है। जब कोई भक्त दर्शन करता है तो उसको उसका फल मिलता है। यही प्राण प्रतिष्ठा है। 

 

इतने दिन होती है प्राण प्रतिष्ठा

 आचार्य ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान सात दिन, 11 दिन या 21 दिन में किया जा सकता है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान 17 जनवरी से शुरू है जोकि 22 जनवरी को खत्म हो जाएगा। सम तिथियों में, सम दिनों में मंत्रों द्वारा उसकी पूर्ति की जाती है।

क्यों होता है 'आचार्यवर्णम'अनुष्ठान

'आचार्यवर्णम'अनुष्ठान के बारे में आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यजमान आचार्य को वरण करता है। मंत्रों द्वारा या जो भी अनुष्ठान किया जाएगा उसका फल यजमान को मिलता है। इसीलिए आचार्य का वरण किया जाता है। अनुष्ठान आर्चाय द्वारा किया जाता है और उसका फल यजमान को मिलता है। यही 'आचार्यवर्णम'अनुष्ठान है। 

कई जा रहे हैं विभिन्न अनुष्ठान

बता दें कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले विभिन्न प्रकार का अनुष्ठान किया जा रहा है।  प्राण प्रतिष्ठा के लिए जारी अनुष्ठान के क्रम में बृहस्पतिवार को ‘गणेश पूजन’ और ‘वरुण पूजन’ किया गया। राम लल्ला की मूर्ति को बुधवार रात को गर्भगृह के अंदर लाया गया और तड़के 'कलश पूजन' किया गया। पुजारी अरुण दीक्षित ने   बताया,"राम लल्ला की मूर्ति गर्भगृह में प्रवेश कर गई है। यह 'विराजमान' (स्थापित) नहीं हैं।

22 जनवरी को 12.20 पर शुरू होगी प्राण प्रतिष्ठा

उन्होंने कहा कि 121 पुजारियों को उनके पूजा कार्य सौंपे जाएंगे और मंदिर परिसर में गर्भगृह के बाहर वास्तु पूजा होगी। दीक्षित ने कहा कि आज प्रतिमा को पानी में रखा जाएगा जिसे "जलाधिवास" कहा जाता है। राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, अनुष्ठान 21 जनवरी तक जारी रहेंगे। राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' 22 जनवरी को दोपहर 12:20 बजे शुरू होगी और इसके दोपहर एक बजे तक समाप्त होने की उम्मीद है। 

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