मेलबर्न: पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने शुक्रवार को उस स्थान का दौरा किया जहां एक सप्ताह पहले भयंकर भूस्खलन के कारण सैंकडों ग्रामीणों के जिंदा दफन हो जाने की आशंका है। भूस्खलन वाली जगह इतनी अस्थिर हो गई है कि वहां मिट्टी हटाने वाली भारी मशीनों को ले जाना मुश्किल है। मारापे ने भूस्खलन के तबाही स्थल याम्बाली गांव में इकट्ठे हुए सैकड़ों लोगों से कहा है कि जिन सरकारों एवं वैश्विक नेताओं ने शोक संदेश भेजा है उनमें अमेरिका, चीन, भारत, फ्रांस, मलेशिया एवं चेक गणराज्य हैं। ऐसे संदेश भेजने वालों की सूची में पहले नंबर पर ब्रिटेन के चार्ल्स तृतीय हैं जो पापुपा न्यू गिनी के संवैधानिक राष्ट्राध्यक्ष हैं। मारापे ने कहा, ‘‘मेरे लोग बहुत सीधे-साधे हैं। मैं पापुआ न्यू गिनी के वैश्विक मित्रों को धन्यवाद कहना चाहता हूं।’’
भूस्खलन ने मचाई भारी तबाही
भूस्खलन स्थल पर पहली यांत्रिक खुदाई मशीन (एक्सकेवेटर) रविवार को पहुंची थी लेकिन उसे बोल्डर, चट्टानों और मलबे में दबे उखड़े-बिखरे पेड़ों को हटाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसकी वजह है कि वहां की जमीन बहुत ही अस्थिर हो गई है। एंगा प्रांत में इस भूस्खलन में भयंकर तबाही मचाई है। सेना को ग्रामीणों की मदद के लिए इस सप्ताह घटनास्थल पर 10 ‘एक्सकेवेटर’ और बुलडोजर पहुंच जाने की उम्मीद थी लेकिन अब तक सात ही मशीनें वहां पहुंच पाई हैं। ग्रामीणों ने मलबे से शव निकालने के लिए कुदाल एवं अन्य कृषि उपकरणों का इस्तेमाल किया है।
क्या कहते हैं आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र संघ का अनुमान है कि इस आपदा में 670 लोगों की जान गई और 1650 लोग विस्थापित हुए हैं। सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह सोचती है कि 2000 से अधिक लोग मलबे के नीचे दब गए हैं। मारापे ने कहा कि हाल के दिनों में भू-तकनीकी रिपोर्ट में पाया गया कि यह क्षेत्र अस्थिर है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमने भारी मशीनों का उपयोग नहीं किया क्योंकि आशंका है कि इससे कुछ और गड़बड़ी ना हो जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ भारी मशीनों का उपयोग करने से पहल इस स्थान की स्थिरता को लेकर संपूर्ण आकलन किया जाएगा।’’ (एपी)
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