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भीषण तबाही के बीच दो हिस्सों में बंट जाएंगे ये देश, वैज्ञानिकों की चेतावनी से चौंकी दुनिया

अफ्रीका महाद्वीप में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। पूर्वी अफ्रीका में दो प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स- न्युबियन और सोमालियाई, एक-दूसरे से दूर जा रही हैं।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : May 04, 2025 11:28 IST, Updated : May 04, 2025 11:29 IST
 नए महासागर के जन्म की आशंका
नए महासागर के जन्म की आशंका

पृथ्वी की सतह के नीचे की विशाल चट्टानी प्लेट्स, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये प्लेट्स पृथ्वी के मेंटल पर तैरती रहती हैं और धीरे-धीरे खिसकती हैं। यह धीमी गति लाखों सालों में बड़े भूवैज्ञानिक परिवर्तनों का कारण बनती है। ये बदलाव अफ्रीका महाद्वीप में देखा जा रहा है। पूर्वी अफ्रीका में दो प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स- न्युबियन और सोमालियाई, एक-दूसरे से दूर जा रही हैं। यह अलगाव पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट सिस्टम (EARS) का निर्माण कर रहा है, जो पृथ्वी पर सबसे सक्रिय भूवैज्ञानिक क्षेत्रों में से एक है। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को एक नए महासागर के जन्म की शुरुआत मान रहे हैं, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

EARS इथियोपिया से शुरू होकर केन्या, तंजानिया और मोजाम्बिक तक लगभग 3,500 किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों के खिंचाव और पतले होने के कारण होने वाली दरारों और भ्रंशों की एक श्रृंखला से चिह्नित है। यह प्रक्रिया धीमी है, प्लेटें हर साल सिर्फ कुछ मिलीमीटर ही खिसकती हैं, लेकिन लाखों सालों में यह एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा कर सकती है।

नए महासागर का होगा जन्म

जब टेक्टोनिक प्लेटें अलग होती हैं, तो उनके बीच की जमीन खिंचती और पतली होती है। इससे दरारें बनती हैं, जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि लाल सागर और अदन की खाड़ी का पानी इन दरारों में भर सकता है, जिससे अंततः एक नया महासागर बनेगा। यह प्रक्रिया लाखों साल पहले अटलांटिक महासागर के बनने के समान है।

अफार क्षेत्र में 2005 की घटना

2005 में इथियोपिया के अफार क्षेत्र में 420 से अधिक भूकंपों की एक श्रृंखला ने 60 किलोमीटर लंबी और 10 मीटर गहरी दरार बना दी। यह घटना वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत थी कि अफ्रीका का विभाजन उम्मीद से कहीं तेज हो रहा है। यह दरार हर साल लगभग आधा इंच चौड़ी हो रही है, जो नए महासागर के बनने की प्रक्रिया को दर्शाती है।

धीरे-धीरे गहरी हो रही हैं दरारें

Image Source : INDIATV
धीरे-धीरे गहरी हो रही हैं दरारें

कौन-कौन से देश होंगे प्रभावित देश?

इस टेक्टोनिक हलचल से इथियोपिया, केन्या, तंजानिया और सोमालिया जैसे देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। युगांडा, जाम्बिया और रवांडा जैसे लैंडलॉक्ड देशों को भविष्य में समुद्री तट मिल सकता है, जिससे उन्हें समुद्री व्यापार और अर्थव्यवस्था के नए अवसर मिलेंगे। वहीं, सोमालिया और इथियोपिया का कुछ हिस्सा एक अलग महाद्वीप बन सकता है, जिसे वैज्ञानिक 'न्युबियन महाद्वीप' कह रहे हैं।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

पहले वैज्ञानिक मानते थे कि यह प्रक्रिया करोड़ों साल लेगी, लेकिन हाल की स्टडीज और अफार क्षेत्र की घटना से पता चला है कि यह 5 से 10 लाख साल में पूरी हो सकती है। टुलेन यूनिवर्सिटी की भू-वैज्ञानिक सिंथिया एबिंगर के मुताबिक, भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं इस प्रक्रिया को और तेज कर सकती हैं। नए महासागर के बनने से अफ्रीका का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह बदल जाएगा। समुद्री जलवायु के कारण मौसम, कृषि और जैव-विविधता पर गहरा असर पड़ेगा।

गोंडवाना सुपरकॉन्टिनेंट के समान प्रकिया

लगभग 180 मिलियन साल पहले गोंडवाना सुपरकॉन्टिनेंट टूटा था, जिससे अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका अलग हुए और अटलांटिक महासागर बना। वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी अफ्रीका में चल रही प्रक्रिया उसी का एक छोटा संस्करण है। 

वैज्ञानिक जीपीएस ट्रैकिंग, भूकंपीय डेटा और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके इन भूवैज्ञानिक परिवर्तनों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। अफार क्षेत्र में मैग्मा की गतिविधियां और भ्रंश विस्तार इस प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह अनुसंधान पृथ्वी के भविष्य को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

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