Thursday, May 16, 2024
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रूस के लूना-25 मिशन फेल होने से चीन को भी लगा सदमा, जानिए क्या बोला 'ड्रैगन'?

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इच्छा थी कि वह रूस के साथ मिलकर चंद्रमा पर बेस बनाएं। प्रस्तावित बेस के निर्माण से चीन अमेरिका सहित अन्य अंतरिक्ष महाशक्तियों को चुनौती देना चाहता था। लूना-25 को लेकर रूसी और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों ने 2021 में घोषणा की थी कि वे एकसाथ निर्माण करने के लिए सहमत हैं।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 22, 2023 16:55 IST
रूस के लूना-25 मिशन फेल होने से चीन को भी लगा सदमा, जानिए क्या बोला 'ड्रैगन'?- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV रूस के लूना-25 मिशन फेल होने से चीन को भी लगा सदमा, जानिए क्या बोला 'ड्रैगन'?

Russia China: रूस के चंद्रयान मिशन को करारा झटका लगा, जब रूसी यान लूना-25 चंद्रमा पर पहुंचने से पहले की क्रैश हो गया। इससे रूस को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। साथ ही अनावश्यक तेजी और शॉर्टकट की वजह से रूस को सफलता नहीं मिल पाई। इस मिशन के फेल होने से रूस को तो झटका लगा ही, लेकिन चीन को भी गहरा सदमा लगा है। दरअसल, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इच्छा थी कि वह रूस के साथ मिलकर चांद पर बेस बनाएं। लेकिन लुना 25 मिशन विफल होने से ऐसा संभव नहीं हो सका। 

रूस के चंद्रयान मिशन के लिए गए अंतरिक्ष यान लुना-25 का क्रैश होना रूस के साथ-साथ चीन के लिए भी एक झटका है। रूसी मिशन को लेकर चीन भी उत्साहित था। लुना 25 के क्रैश होने से रूस को गहरा झटका लगा है। यह मिशन इसलिए भी रूस के लिए अहम था, क्योंकि सोवियत संघ के अंत के बाद लूना-25 चांद पर उतरने का प्रयास करने वाला पहला रूसी अंतरिक्ष यान था। इस मिशन में चीन भी काफी रुचि ले रहा था, लेकिन जैसे ही लुना 25 दुर्घटनाग्रस्त हुआ, चीनी मीडिया लूना-25 की खबर चलाने से अब कतरा रहा है।

लूना-25 के लिए 2021 में दोनों देशों ने की थी घोषणा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इच्छा थी कि वह रूस के साथ मिलकर चंद्रमा पर बेस बनाएं। प्रस्तावित बेस के निर्माण से चीन अमेरिका सहित अन्य अंतरिक्ष महाशक्तियों को चुनौती देना चाहता था। लूना-25 को लेकर रूसी और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों ने 2021 में घोषणा की थी कि वे एकसाथ निर्माण करने के लिए सहमत हैं।

लुना 25 क्रैश होने पर चीन ने सिर्फ 5 लाइन का संदेश किया जारी

चीनी मीडिया के अनुसार, इसी महीने की शुरुआत में रूसी और चीनी प्रतिनिधिमंडल ने रूस के वास्तोचन कोस्मोड्रोम में बैठक की। इसका नेतृत्व चीन के अंतरिक्ष अन्वेषण परियोजना के प्रमुख डिजाइनर वू यानहुआ ने किया था। मिशन की विफलता के बाद चीनी मीडिया इस पर चर्चा करने से कतरा रहा है। मुख्य चीनी समाचार एजेंसी ने केवल पांच लाइन का संदेश जारी किया।

चीन ने रूस का इस तरह किया बचाव

कम्युनिस्ट नेता हू जिजिन ने एक अखबार में लिखा कि इस विफलता के कारण रूस की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगने की उम्मीद है। सिर्फ एक चंद्रमा कार्यक्रम विफल होने के कारण पश्चिमी देशों को रूस को कम नहीं आंकना चाहिए। अंतरिक्ष इतिहासकार अलेक्जेंडर जेलेज्न्यकोव ने एक रूसी मीडिया से कहा कि हमें अब सबकुछ फिर से सीखना होगा। हमें सीखना होगा कि कैसे आत्मविश्वास के साथ चांद तक उड़ान भरें। एक बार फिर से सब सीखने के बाद ही चीन सहित अन्य देशों के साथ परियोजनाओं को शुरू करना चाहिए।

चीन के रुख पर ये बोले रूसी अधिकारी

अंतरिक्ष नीति के शोधकर्ता पावेल लुज़िन का कहना है कि कहीं न कहीं चीन का मानना है कि अंतरिक्ष भागीदार के रूप में रूस का महत्व एकदम सीमित है। चीन को रूस के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। चीन को लगता है कि रूस उसे कुछ नहीं दे सकता। चंद्र मिशन के लिए रूस ने संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए चीनी मिशनों के साथ साझेादारी की।

लुना-25 मिशन क्यों था रूस की इज्जत का सवाल?

दरअसल सोवियत समय में जब शीतयुद्ध अपने चरम पर था, तब रूस और अमेरिका के बीच स्पेस में रेस चलती थी। तब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्पेस एजेंसी सोवियत संघ की थी। दुनिया की पहली सैटेलाइट स्पुतनिक-1 को सोवियत संघ ने लॉन्च किया था। वहीं सोवियत संघ के यूरी गागरिन 1961 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान थे। इसके अलावा रूस का लूना 1 पहला इंपैक्टर स्पेसक्राफ्ट था जो चांद पर पहुंचा। वहीं लूना-2 पहला लैंडर था जो चांद पर सफलतापूर्वक उतरा। रूस एक बार फिर शीतयुद्ध के समय वाली प्रतिष्ठा को वापस चाहता था। 

लुना 25 दुर्घटनाग्रस्त होने से रूस के अरमान भी हो गए 'क्रैश'

लुना 25 मिशन को लेकर भी रूस का यह मोटिव था कि वह यूरोप और अमेरिका को यह बताना चाहता थ कि वह सिर्फ यूक्रेन से जंग में ही नहीं खपा हुआ है, बल्कि अभी भी वह हर क्षेत्र में पहले की तरह अव्वल है। इस मिशन को जहां वह पहले यूरोप की मदद से पूरा करना चाहता था, वहीं जंग के बाद वह अकेले ही चंद्रयान मिशन को पूरा कर अपनी धाक जमाना चाहता था। पर लुना 25 क्रैश हो गया, और रूस के अरमान भी 'क्रैश' हो गए।

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