Wednesday, May 15, 2024
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70 साल बाद बंद होने जा रहा लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय प्रवासियों का था दूसरा घर

इंग्लैंड में स्थित इंडिया क्लब भारत की स्वतंत्रता के बाद इंग्लैंड में भारतीय प्रवासियों का केंद्र रहा है। यह इंडिया क्लब अब 70 साल बंद होने जा रहा है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 22, 2023 16:56 IST
70 साल बाद बंद होने जा रहा लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय प्रवासियों क- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA 70 साल बाद बंद होने जा रहा लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय प्रवासियों का था दूसरा घर

UK: युनाइटेड किंगडम में करीब 70 साल बाद ऐतिहासिक घटनाक्रम हो रहा है। लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब 70 साल बाद अब बंद होने जा रहा है। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही यह इंडिया क्लब भारतीय प्रवासियों का दूसरा घर था। इसके पहले भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन क्लब के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। इंग्लैंड के शुरुआती भारतीय रेस्तरां के कारण यह क्लब ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के रूप में बदल गया।

इंग्लैंड में स्थित इंडिया क्लब भारत की स्वतंत्रता के बाद इंग्लैंड में भारतीय प्रवासियों का केंद्र रहा है। यह इंडिया क्लब अब 70 साल बंद होने जा रहा है। इंडिया क्लब को बंद करने के खिलाफ काफी लंबी लड़ाई लड़ी गई, जिसमें समर्थकों को हार का सामना करना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने सितंबर में क्लब हमेशा के लिए बंद हो जाएगा।

यह होगी अंतिम तारीख 

इंडिया क्लब की प्रोपराइटर यादगार मार्कर और उनकी बेटी फिरोजा ने इसके लिए सेव इंडिया क्लब नाम से अपील शुरू की। यह एक एतिहासिक बैठक स्थल और भोजनालय है। एतिहासिक बिल्डिंग लंदन के स्ट्रैंड के मध्य में स्थित है। बिल्डिंग को तोड़कर कर यहां एक आधुनिक होटल के लिए रास्ता बनाया जाएगा। बेटी फिरोजा ने इसे बंद करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि बहुत भारी मन से हमें घोषणा करना पड़ा रहा है कि अब सिर्फ 17 सितंबर तक इंडिया क्लब जनता के लिए खुला रहेगा।

गरीब भी यहां खा सकता था खाना 

यूके के पहले भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन क्लब के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। इंग्लैंड के शुरुआती भारतीय रेस्तरां के कारण यह क्लब ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के रूप में बदल गया। 70 साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप के पहली पीढ़ी के अप्रवासियों के लिए यह दूसरा घर बन गया था। फिरोजा का कहना है कि वे बचपन से अपने पिता के साथ यहां हाथ बंटाती थी। उन्होंने कहा कि मैं जब 10 साल की थी, तब से यहां आ रही हूं। अब इसके बंद करने की घोषणा करना मेरे लिए दिल तोड़ने की तरह है। पिता ने मेनन के साथ भी काम किया था। 

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