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ईरान किसके श्राप से हो रहा वीरान?... क्या तेहरान के पापों का इस मृत लड़की की आत्मा कर रही हिसाब?

इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग के बीच 20 साल पहले मृत हो चुकी एक किशोरी का नाम चर्चा में आ गया है। कहा जा रहा है कि इसी लड़की के श्राप की ईरान को सजा मिल रही है। आइये जानते हैं कि ये लड़की कौन थी?

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 20, 2025 15:05 IST, Updated : Jun 20, 2025 15:06 IST
इजरायली हमले से जलता तेहरान। (फाइल फोटो)
Image Source : AP इजरायली हमले से जलता तेहरान। (फाइल फोटो)

तेहरानः इजरायल-ईरान संघर्ष में तेहरान को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। पिछले 8 दिनों के भीषण संघर्ष में इजरायल ने ईरान को भारी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि ईरान ने भी इजरायल पर जबरदस्त पलटवार किया है, लेकिन तेहरान को इस जंग में ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इजरायली सेना ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है। उसके कई इलाके बंजर और वीरान कर दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि 20 साल मर चुकी एक ईरानी लड़की की आत्मा तेहरान से बदला ले रही है। क्योंकि इस किशोरी का ईरान को श्राप लग गया है। आइये जानते हैं कि पूरा मामला है क्या?

ईरान को क्यों और किसका लगा श्राप?

बताया जा रहा है कि ईरान ने 15 अगस्त 2004 को एक मामले में 16 साल की एक किशोरी को सार्वजनिक रूप से फांसी के फंदे पर लटका दिया था। यह घटना ईरान के नेका शहर की है। कहा जा रहा है कि ईरान को अब इसी किशोरी का श्राप लग गया है। इसलिए ईरान तबाह हो रहा है। इस लड़की का नाम अतेफा था। अतेफा की कहानी काफी हैरानी भरी है। 

ईरान ने क्यों दी थी फांसी

ईरान ने इस लड़की पर "शीलभंग के अपराध" (crimes against chastity) का आरोप लगाया गया, जिसमें व्यभिचार (adultery) शामिल था। यह ईरानी शरीयत कानून के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है। ईरान के सरकारी अखबार ने इस लड़की का नाम अतेफ़ा सहालेह (Atefah Sahaaleh) बताया था और उसकी उम्र 22 साल लिखी गई थी। जबकि असल में वह सिर्फ 16 साल की थी और अविवाहित थी। 

शरीयत कानून और मौत की सज़ा

वर्ष 2004 में ईरान में शरीयत के तहत कुल 159 लोगों को फांसी दी गई थी। यह संख्या के अनुसार चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश था, जिसने एक साथ इतने लोगों को फांसी दी। इन सभी को शरीयत कानून के तहत मौत दी गई थी। इनमें हत्या, ड्रग्स तस्करी और विवाहेतर यौन संबंध रखने जैसे आरोप लगाए गए थे। ईरान में ये सभी अपराध फांसी योग्य माने जाते हैं।

18 साल से कम आयु वाले को नहीं दी जा सकती फांसी

ईरान ने अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत 18 वर्ष से कम आयु के किसी को फांसी देना प्रतिबंधित है। मगर ईरान की धार्मिक अदालतें संसद के अधीन नहीं हैं। वे सीधे सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के अधीन काम करती हैं।

कौन थी अतेफ़ा?

अतेफा का बचपन बहुत संघर्षों में गुजरा। जब वह केवल 4-5 वर्ष की थी तो इसी उम्र में उसकी मां की मौत हो गई। उसके पिता की नशे की लत थी, जिसके कारण अतेफ़ा का बचपन कठिन रहा। वह अपने बुज़ुर्ग दादा-दादी की देखभाल करती थी, जिन्होंने कभी स्नेह नहीं दिया। धार्मिक रूप से नियंत्रित नेका जैसे शहर में अकेली घूमने वाली लड़की होना उसे "मोरल पुलिस" के निशाने पर ले आया। वह 13 वर्ष की उम्र में पहली बार "शीलभंग के अपराध" में पकड़ी गई। तब उसे 100 कोड़े मारने की सज़ा दी गई थी। जेल में उसे मोरल पुलिस द्वारा यौन शोषण का सामना करना पड़ा।

IRGC के पूर्व कर्मचारी के साथ संबंधों में फंसी अतेफा

अतेफा बाद में 51 वर्षीय अली दराबी के साथ जबरदस्ती संबंधों में फंस गई। जो कि एक विवाहित था और पूर्व रिवॉल्यूशनरी गार्ड भी था। 

यह रिश्ता उसने छिपाकर रखा, लेकिन एक स्थानीय याचिका के नाम पर उसकी चौथी गिरफ्तारी हुई, जिसमें लिखा गया कि वह "नैतिक पतन का स्रोत" है, लेकिन उस याचिका पर कोई स्थानीय हस्ताक्षर नहीं था, सिर्फ गिरफ्तार करने वाले पुलिसवालों के नाम थे।

न्यायपालिका और मौत की सज़ा

अतेफा को गिरफ्तारी के तीन दिन बाद शरीयत कानून के तहत कोर्ट में पेश किया गया। केस की सुनवाई नेका के चीफ जज हाजी रेजाई ने की। कोर्ट में पहली बार अतेफ़ा ने दराबी द्वारा किए गए यौन शोषण की सच्चाई बताई, लेकिन शरीयत कानून में नाबालिगों के लिए सहमति की आयु 9 वर्ष मानी जाती है और बलात्कार को साबित करना बेहद कठिन होता है। निर्वासित ईरानी वकील मोहम्मद होशी बताते हैं कि ईरान में "मर्द की बात औरत से अधिक मानी जाती है"।

फैसला, फांसी और धोखा

जब अतेफ़ा ने महसूस किया कि उसे न्याय नहीं मिलेगा, तो उसने जज पर चिल्लाया और विरोध में हिजाब उतार दिया। यही उसकी मौत की वजह बन गई। उसे फांसी की सज़ा दी गई, जबकि दराबी को सिर्फ 95 कोड़े मारे गए। सुप्रीम कोर्ट में गए दस्तावेज़ों में उसकी उम्र झूठे रूप से 22 साल लिखी गई थी। उसके पिता और वकील ने उसकी असली उम्र साबित करने की कोशिश नहीं की। एक गवाह के अनुसार "जज ने सिर्फ उसके शरीर को देखा और कह दिया कि वह 22 साल की लगती है।" सुबह 6 बजे, खुद जज हाजी रेजाई ने फांसी का फंदा उसके गले में डाला और क्रेन से उसे लटका दिया। (इनपुट-बीबीसी)

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