
तेहरानः इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधी धमकी दी है। ट्रंप ने कहा है कि "उन्हें पता है कि ईरान का सुप्रीम लीडर कहां छुपा है। अमेरिका को खामेनेई की सटीक लोकेशन पता है। इसलिए ईरान को बिना शर्त सरेंडर करना चाहिए।" हालांकि ट्रंप की इस धमकी के बाद खामेनेई ने बुधवार को राष्ट्र को दिए संबोधन के दौरान सरेंडर करने से साफ इंकार कर दिया। साथ ही अमेरिका को बीच में आने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी। अब ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका अगर खामेनेई के साथ कुछ करता है तो ईरान का अगला सुप्रीम लीडर कौन होगा?
खामेनेई के बाद कौन?
अगर खामेनेई को कुछ हुआ तो उनके अगले वारिस के तौर पर मुजतबा खामेनेई और अलीरजा आरफी का नाम अगले सुप्रीम लीडर के तौर पर प्रमुखता से आ रहा है। इसके अलावा भी कई नाम इस दौड़ में शामिल हैं। आइये जानते हैं किसका चांस सबसे ज्यादा है?
मुजतबा खुमैनी
अयातुल्लाह खुमैनी के दूसरे बेटे हैं। वह सबसे बड़े दावेदार हैं। उनकी उम्र 56 साल है। आईआरजीसी और मज़हबी संगठन से उनके अच्छे रिश्ते हैं। ईरान-इराक़ वार में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। परदे के पीछे पावरफुल चेहरा हैं। वह रेस में सबसे आगे हैं और खुद एक धर्म गुरु हैं।
अलीरज़ा आरफ़ी
अयातुल्लाह खामेनेई के भरोसेमंद हैं। असेम्ब्ली ऑफ़ एक्सपर्ट के डिप्टी चेयरमैन हैं। ईरान की गार्जियन कौंसिल के सदस्य हैं। क़ोम में जुमे की नमाज़ में ख़ुत्बा और इमामत का ज़िम्मा है। वह ईरानियों के भी विश्वासपात्र हैं। साफ छवि रखते हैं।
अली असग़र हेजाज़ी
ओवरसीज़ पोलिटिकल सेक्युरिटी अफेयर का ज़िम्मा है। अयातुल्लाह खामेनेई तक डायरकेट ऐक्सेस है। परदे के पीछे पावरफुल शख़्सियत की हैसियत रखते हैं। इंटेलिजेंस और स्ट्रेटेजिक फैसले में बड़ी भूमिका रहती है।
ग़ुलाम हुसैन मोहसेनी
जुडिशियरी और इंटेलिजेंस का लम्बा अनुभव है। अहमदीनेजाद सरकार में इंटेलिजेंस मिनिस्टर रह चुके हैं। ईरान के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं।
मोहम्मद गोलपाएगनी
अयातुल्लाह खामेनेई के साथ काम करने का लम्बा अनुभव है।
इसके अलावा पूर्व विदेश मंत्री अली अकबर वेलायती, पूर्व विदेश मंत्री कमाल ख़राज़ी, पूर्व स्पीकर -पार्लियामेंट अली लारीजानी का नाम भी इस दौड़ में प्रमुखता से शामिल है।
सुप्रीम लीडर बनने की शर्तें
- अयातुल्लाह धर्मगुरू की एक पदवी है।
- सुप्रीम लीडर बनने के लिए अयातुल्ला होना जरूरी है।
- सुप्रीम लीडर का पद सिर्फ एक धार्मिक नेता को ही मिल सकता है।
- ईरान में सुप्रीम लीडर का पद राजनीतिक और धार्मिक व्यवस्था में सबसे बड़ा है।
- सुप्रीम लीडर के अधिकार राष्ट्रपति से भी ज्यादा हैं।
- सुप्रीम लीडर को देश के सैन्य, न्यायिक, और धार्मिक मामलों में फैसले लेने का अधिकार होता है।
- सुप्रीम लीडर के फैसले को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता।
- ईरान से जुड़े किसी भी जरूरी मुद्दे पर सुप्रीम नेता का फैसला ही आखिरी माना जाता है।
कैसे चुना जाता है सुप्रीम लीडर
- सुप्रीम लीडर की मौत या इस्तीफे के बाद नया लीडर चुना जाता है।
- नए सुप्रीम लीडर के चुनाव के लिए असेम्ब्ली की मीटिंग बुलाई जाती है।
- असेम्ब्ली में सीनियर क्लेरिक को नए लीडर के चुनाव ज़िम्मा दिया जाता है।
- कुल 88 मेंबर होते हैं ,जिनका कार्यकाल 8 साल का होता है।
- जीतने वाले को 45 वोट की ज़रूरत होती है।
- ये वोटिंग और मीटिंग बेहद ख़ुफ़िया तरीके से होती है।
- नए लीडर के चुनाव में रिलिजियस क्रेडेंशियल ,पोलिटिकल लॉयल्टी जैसे पैरामीटर को तरजीह दी जाती है।
- आम तौर पर सुप्रीम लीडर का चुनाव आम सहमति से ही हो जाता है।
- अयातुल्लाह अली खुमैनी को 1989 में निर्विवाद तौर पर सुप्रीम लीडर चुना गया था।
खामेनेई का इतिहास
वर्तमान में अयातुल्लाह अली खामेनेई ईरान के सुप्रीम लीडर हैं। वह 1989 से इस पद पर हैं। खामेनेई का जन्म 19 अप्रैल, 1939 को ईरान के मशहद शहर में एक धार्मिक परिवार में हुआ था। खामेनेई के पूर्वजों का संबंध भारत से था। उनके दादा सैय्यद अहमद मूसवी 1830 के आसपास उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाराबंकी जिले के किंतूर गांव से जुड़े थे। खामेनेई के दादा पहले इराक़ के नजफ थे और फिर ईरान चले गए। अली खामेनेई शिया इस्लाम के एक वरिष्ठ मौलवी (अयातुल्लाह) हैं और ईरान की प्रशासनिक व धार्मिक व्यवस्था में सर्वोच्च अधिकार रखते हैं। सुप्रीम लीडर के रूप में वे देश की सेना, न्यायपालिका, विदेश नीति, और मीडिया पर नियंत्रण रखते हैं। बतौर सुप्रीम लीडर वह राष्ट्रपति और संसद के फैसलों को भी प्रभावित कर सकते हैं। खामेनेई परिवार का सरनेम "खामेनेई" पूर्वी अजरबैजान प्रांत के "खामानेह" नामक स्थान से आता है, जहां उनके पिता अजरबैजानी मूल के थे।
कैसे बने ईरान के सुप्रीम लीडर?
खामेनेई ने मशहद और क़ोम में धार्मिक शिक्षा प्राप्त की। वे 1960 के दशक में अयातुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी के शिष्य बने, जो बाद में 1979 की इस्लामिक क्रांति के नेता बने। आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी हुई। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद हुई। खामेनेई ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वे इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और 1981 से 1989 तक ईरान के राष्ट्रपति रहे। 3 जून, 1989 को अयातुल्लाह खोमैनी की मौत के बाद विशेषज्ञों की सभा (Assembly of Experts) ने खामेनेई को सुप्रीम लीडर चुना।
पारिवारिक जीवन और शिक्षा
अली खामेनेई आठ भाई-बहनों में से दूसरे नंबर पर थे। उनका पालन-पोषण एक बहुत ही धार्मिक माहौल में हुआ, जहाँ उन्होंने शिया धर्मशास्त्र, इस्लामी न्यायशास्त्र और क्रांतिकारी विचारों का गहरा अध्ययन किया। कम उम्र में ही वे एक मौलवी बन गए। उनके दो और भाई भी मौलवी हैं, और उनके छोटे भाई हादी खामेनेई एक अखबार के संपादक और मौलवी दोनों हैं।
वर्तमान परिवार
- अली खामेनेई की शादी मंसौरेह खोजेस्तेह बघेरज़ादेह से हुई है।
- उनके कई बच्चे हैं, जिनमें उनके बेटे मोजतबा खामेनेई भी शामिल हैं, जिन्हें उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है।
- उनकी बेटियों, जैसे होदा और बोशरा, के बारे में भी सार्वजनिक रूप से जानकारी उपलब्ध है, जो एक आलीशान जीवन शैली जीने और महत्वपूर्ण संपत्ति रखने की रिपोर्ट हैं।