Friday, April 26, 2024
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Pakistan Crisis: पाकिस्तान में फिर मंडराने लगे सियासी संकट के बादल, संसद भंग कर सकते हैं पीएम शहबाज शरीफ

Pakistan Crisis: बताया जा रहा है कि या तो शहबाज शरीफ की सरकार को पेट्रोलियम कीमतों को बढ़ाने का साहसिक फैसला लेना होगा, नहीं तो फिर संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं।

Malaika Imam Edited by: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: May 20, 2022 15:05 IST
Shahbaz Sharif- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Pakistan Crisis

Pakistan Crisis: पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। प्रधानमंत्री बनने के एक महीने के भीतर ही शहबाज शरीफ की सरकार आर्थिक संकट के बीच उलझ गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से फंड नहीं मिलने से बढ़े आर्थिक संकट के दबाव में शहबाज शरीफ के सामने दो ही विकल्प हैं. बताया जा रहा है कि या तो शहबाज शरीफ की सरकार को पेट्रोलियम कीमतों को बढ़ाने का साहसिक फैसला लेना होगा, नहीं तो फिर संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं। 

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, पेट्रोलियम कीमतों को बढ़ाने के साहसिक फैसले की उम्मीद दूर तक नजर नहीं आती। ऐसे में पिछले महीने प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं। अगर शहबाज शरीफ संसद भंग करते हैं, तो फिर आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान में सियासी संकट भी पैदा हो जाएगा। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चुनाव में खुद को और अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को बचाने के लिए सरकार में शामिल गठबंधन के प्रमुख नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर रहे हैं और किसी एक फैसले पर पहुंचने की कोशिश में हैं।  

इसे लेकर शहबाज शरीफ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी प्रमुख आसिफ अली जरदारी, जमात उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के संयोजक खालिद मकबूल सिद्दीकी से इस्लामाबाद में अलग-अलग मुलाकात की। महंगाई और आर्थिक अस्थिरता के मुद्दे पर हुई बैठक में बढ़ते राजनीतिक दबाव को देखते हुए पीएम शाहबाज अपने मंत्रिमंडल को जल्द भंग कर सकते हैं। 

शाहबाज शरीफ की पुरजोर कोशिशों के बावजूद चीन, सऊदी अरब, यूएई अमेरिका जैसे देश भी उनकी आर्थिक मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। नए मंत्रिमंडल को अधिकतम 16 महीने तक शासन के बाद चुनाव मैदान में उतरना था, लेकिन लगता है कि सियासी वजहों से वे इस अवधि को  पूरा नहीं कर पाएंगे।

बता दें कि आर्थिक अस्थिरता के चलते डेढ़ महीने के भीतर पाकिस्तान दूसरी बार राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। इस बार सबसे बड़ा संकट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के मुताबिक, पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ाने के निर्णय को लेकर है, क्योंकि कीमत बढ़ाने से जनता में आक्रोश तय माना जा रहा है, जिसका नुकसान सत्तारूढ़ गठबंधन को होना भी तय है। ऐसे में अपनी छवि बचाने के लिए पीएम शहबाज शरीफ संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं। 

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